- सरकार कर सकती है इनकम टैक्स में संरचनात्मक बदलाव
- 3 की जगह 4 टैक्स स्लैब प्रस्तावित करने की संभावना
अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कॉरपोरेट टैक्स घटाने से लेकर तमाम उपाय नाकामयाब हो चुके हैं. अब इनकम टैक्स में संरचनात्मक बदलाव सरकार का अगला कदम हो सकता है. वित्त मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने इंडिया टुडे को बताया कि आगामी बजट 2020-21 में उपभोक्ताओं की मांग को बढ़ावा देने के लिए सरकार इसकी घोषणा कर सकती है.
वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘लोग खर्च नहीं कर रहे हैं और सरकार व्यक्तिगत आयकर और मांग बढ़ाने वाली योजनाओं के जरिए व्यय योग्य आय बढ़ाने पर सक्रियता से विचार कर रही है. कॉरपोरेट टैक्स घटाने के बाद सरकार डायरेक्ट टास्ट फोर्स की अन्य सिफारिशों, खास तौर से आयकर और आवास से संबंधित सिफारिशों को लागू करने पर विचार कर रही है.’
टैक्स स्लैब
आगामी बजट में सरकारी की ओर से मौजूदा तीन टैक्स स्लैब की जगह चार टैक्स स्लैब प्रस्तावित करने की संभावना है. टास्क फोर्स ने अगस्त, 2019 में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में ऐसा सुझाव दिया है. बजट में 2.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच वार्षिक आय वाले व्यक्तियों के लिए 10 प्रतिशत टैक्स रेट प्रस्तावित किया जा सकता है. इसी तरह 10 लाख रुपये से लेकर 20 लाख रुपये के बीच आय वालों के लिए 20 प्रतिशत और 20 लाख से 2 करोड़ रुपये की आय वालों के लिए 30 प्रतिशत टैक्स का प्रस्ताव लाया जा सकता है.
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अगर सरकार टास्क फोर्स की सिफारिशों पर अमल करती है तो जो लोग साल में दो करोड़ रुपये से अधिक आय वाले हैं उनके लिए 35 फीसदी टैक्स दर तय की जा सकती है. 5 लाख रुपये तक की आय पर पूरी तरह कर से छूट को बढ़ाकर 6.5 लाख तक किया जा सकता है. कर प्रणाली में ये परिवर्तन करने पर 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आ सकती है.
टैक्स
नवंबर, 2017 में सरकार ने मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट 1961 की समीक्षा करने और देश की आर्थिक जरूरतों के मुताबिक डायरेक्ट टैक्स के लिए नया ड्राफ्ट बनाने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया था. टास्क फोर्स ने पिछले साल अगस्त में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.
वेतनभोगी व्यक्तियों को मिलने वाले विशिष्ट भत्ते की जगह उच्च मानक कटौती का प्रावधान किया जाएगा. वेतनभोगी लोगों को कई सालों से कई सारे भत्ते मिलते हैं. इनमें से कुछ ऐसे हैं जो विभिन्न खर्च को लेकर कर्मचारी द्वारा उपलब्ध कराए गए ब्योरे के बदले टैक्स फ्री रीइंबर्समेंट के रूप में दिए जाते हैं. वेतन से मौजूदा मानक कटौती 50,000 रुपये है जिसे बढ़ाकर 60,000 किया जा सकता है.
फरवरी में आएगा बजट
हालांकि, सरकार के पास कोई साहसिक कदम उठाने की गुंजाइश बेहद सीमित है क्योंकि इस साल राजस्व संग्रह घटने की संभावना है. सरकार ने कथित रूप से 15वें वित्त आयोग को संकेत दिया है कि अगले पांच वर्षों में कर राजस्व में वृद्धि बजट के अनुमान से बहुत कम हो सकती है. वित्त वर्ष 2020 के लिए कुल कर राजस्व का लक्ष्य 25.52 लाख करोड़ है लेकिन वित्त वर्ष 2019 के प्रोविजनल डाटा के मुताबिक, यह 23.61 लाख करोड़ ही रह सकता है.
इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2013 की चौथी तिमाही के बाद सबसे कम है. इसी तरह, इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में निजी खपत घटकर 4.1 प्रतिशत रह गई जो लगातार घट रही है. वित्त मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि मौजूदा परिदृश्य में, किसी अन्य राजकोषीय उपाय की तुलना में आयकर संरचना में बदलाव ज्यादा उचित कदम साबित हो सकता है.