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Sunday, December 28, 2025
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कृषि वैज्ञानिक का सीएम भूपेश बघेल को पत्र, किसानों को मजबूत करने दिए ये 10 सुझाव, Agricultural Scientist writes a letter to cm bhupesh baghel and gives this suggestion for farmers | raipur – News in Hindi

रायपुर.  कोरोना हारेगा…..देश जीतेगा… इस  नारे के साथ केंद्र से लेकर राज्य सरकार लॉकडाउन का पालन कड़ाई से करा रही हैं. लॉकडाउन (Lock doown) के दौरान कृषि क्षेत्र में कई छूट दिए गए हैं ताकि अन्नदाताओं को परेशानियों से दो-चार ना होना पड़े. बावजूद इसके कोरोना लॉकडाउन का वर्तमान के अतिरिक्त भविष्य में दूरगामी प्रभाव पड़ना तय माना जा रहा है. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में सब्जी, चना और फल उत्पादक किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. किसानों को इस वर्ष दोहरा नुकसान हुआ है. पहले ओला और बेमौसम बारिश ने फसल बर्बाद की, अब लॉकडाउन की वजह खेतों में लेबर-मजदूर ना आने के कारण तुड़ाई-कटाई कार्य प्रभावित हुई. तो वहीं मंडी में वाजिब रेट नहीं मिलने के कारण किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.

इन सब के अलावा कई किस्म के उत्पादों की मांग शून्य हो गई है जिसमें फूल-पौधे, बीज प्रमुख रूप से शामिल हैं, इस विषम परिस्थितियों में किसान की परेशानियां सरकार तक पहुंच तो रही है मगर उस हद तक नहीं की सभी परेशानियों क हल खोजा जा सके. किसानों को हो रही परेशानी और आर्थिक समस्याओं को लेकर प्रदेश के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर  (Dr. Sanket Thakur)  ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) को पत्र लिख ना केवल किसानों की समस्याओं से अवगत कराया है बल्कि कुल 10 बिन्दुओं पर जरूरी सुझाव भी दिए हैं. सुझाव के साथ डॉ. ठाकुर ने सीएम से अपील की है कि उक्त सुझाओं के अमल से किसानों को काफी हद तक राहत मिलेगी. उनकी आर्थिक स्थिति कुछ हद तक सुधरेगी जिससे आने वाले दिनों में अन्नदाता उसी मेहनत और लगन के साथ एक बार फिर फसल उगा सके.
इन किसानों के समस्याओं का दिया गया उदारहण

1. कुम्हारी में किसान रुगधर यादव की करीब 180 एकड़ में सब्जियां ओले-बारिश के कारण बर्बाद हुई.  करीब 80 लाख के कर्ज में लीज पर खेती कर रहे रुगधर अब क्या करें उनकी समझ में नहीं आ रहा है.2. सुनीता बघेल ने ग्राम मंझगांव,ब्लॉक सहसपुर लोहारा में 70 एकड़ में चना लगाया. पहले बारिश ने बर्बादी लाई अब जब बची खुची फसल कटाई को तैयार हुई तो लॉकडॉउन के कारण कटाई नहीं कर पाई. पूरी फसल खेत में सूख गई.

3. चन्द्र शेखर वर्मा ने ग्राम कुसमंदा,  बोड़ला में 6 एकड़ में केला लगाया था. 1000 पौधे तो आंधी-पानी की भेंट चढ़ गए. बचे पौधों में फल लगे, कटाई को तैयार है तो फल को मंडी ले जाने के लिए गाड़ी नहीं मिल रही है. लोकल कोचिए 4-5 रूपये प्रति किलो रेट दे रहे हैं, जाहिर है फसल लागत भी नहीं निकलने वाली है.

4. तुषार चंद्राकर ने महासमुंद के पाली हाउस में गुलाब-जरबेरा की खेती की. फूलों की डिमांड नहीं है.  अब तक 10 लाख का फूल बिक जाना था. वे फूलों जो काट काटकर फेंक रहे हैं. उपरोक्त तो कुछ ही उदाहरण हैं.  प्रदेश के सभी किसानों पर कोरोना लॉकडाउन  की गम्भीर मार पड़ी है.
कृषि वैज्ञानिक ने सीएम को दिए यह सुझाव

01. किसानों के समस्त फसल उपज की खरीदी अब सरकारी स्तर पर हो, जिसमें प्रत्येक फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य स्वामीनाथन कमेटी की अनुशंसा के अनुरूप लागत का डेढ़ गुना हो.

02. सब्जियों, फलों आदि का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए और इसी दर पर ही खरीदी सुनिश्चित की जाए.

03. किसानों को खेती के पहले नकद एडवांस दिया जाए जो संभावित लागत का कम से कम 75% हो. इस एडवांस को सरकारी खरीदी के समय एडजस्ट किया जाए.

04. बीज कम्पनियों से सरकार तत्काल चर्चा करे और आगामी खरीफ फ़सल के लिए उनके द्वारा बीज व्यवस्था में सहयोग करे, जैसे बीज के परिवहन, भंडारण आदि में  सहायता उपलब्ध हो.

05. कृषि को मनरेगा में शामिल किया जाए  जिसमें लघु-सीमांत किसानों को मनरेगा से भुगतान किया जाए तथ मध्यम-बड़े किसानों के लिए  50% राशि का भुगतान मनरेगा के तहत किया जाए.

06. कृषि से सम्बंधित सभी व्यवसाय को आवश्यक सेवा घोषित किया जाए.

07. सब्जी बाजार खोलने की बजाए सरकार सब्जी वितरण को सार्वजनिक वितरण प्रणाली याने राशन दुकानों से जोड़े और होम डिलीवरी करवाए.

08. किसानों के लिए संचालित विविध योजनाओं के मद में सब्सिडी राशि किसानों के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर किया जाए, तथा किसान को अपनी पसन्द से बीज, यंत्र, ड्रिप आदि खरीदने की छूट दी जाए.

09. पीएम-सीएम केयर की तरह सीएम किसान केयर प्रारम्भ किया जाए जिसमें डोनेशन की राशि को आयकर से छूट के साथ साथ कारपोरेट के सीएसआर फंड का पैसा आदि सीधे किसानों के खातों में जमा किया जाए.

10.  सभी कृषि योजनाओं का लाभ बटाईदार या रेगहा लीज में खेती करने वाले किसानों को मिले, जैसे फ़सल बीमा योजना, धान बोनस,  फसल ऋण, कृषि सब्सिडी आदि का लाभ इन किसानों को नहीं मिलता.
भविष्य में समस्या गहराने के आसार

भविष्य की तस्वीर भी कुछ भयावह नजर आता है – मार्च, अप्रैल मई  महीना खरीफ फसलों के लिए बीज प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और परिवहन का रहता है.  खरीफ का धान, मक्का, दलहन, तिलहन , सब्जी आदि के बीज समय पर उपलब्ध नहीं ही पाएंगे  जिससे बोनी प्रभावित हो सकती है. किसानों को मजबूरी में घटिया बीजों का इस्तेमाल करना पड़ सकता है.

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