रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। जाति प्रमाण पत्र के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री व छत्तीसगढ जनता कांग्रेस के सुप्रीमों अजीत प्रमोद जोगी के खिलाफ कार्रवाई से प्रदेश में फर्जी प्रमाण पत्र धारकों में हडकंप मचा है। प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर लाभ के पदों पर काम करने वालों की संख्या करीब 468 बताया जा रहा है, इनमें से 186 के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है। 6 निर्वाचित जनप्रतिनिधि के साथ कई शासकीय कर्मियों को फर्जी प्रमाण पत्र का दोषी पाया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दोषियों को एक माह के भीतर बर्खास्त करने का निर्देश दिये है। शासन के कठोर कार्रवाई से बचने कई लोगों हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने में लगे है। मालूम हो कि फरवरी माह में विधानसभा में भाजपा सदस्य देवजी पटेल के सवाल पर आदिम जाति विकास मंत्री केदार कश्यप ने बताया था कि फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने की शिकायत पर आदिमजाति विकास विभाग के अंतर्गत हाईपावर कमेटी ने 124 प्रकरणों की जांच की है। इनमें 98 प्रकरणों में अब तक जांच पूरी कर ली गई है। 59 मामलों में जाति प्रमाणपत्र धारक दोषी पाए गए हैं और उनके प्रमाणपत्रों को निरस्त करने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। मंत्री कश्यप के लिखित जवाब के अनुसार 6 मामलों में दोषियों को पद से पृथक करने की कार्रवाई की गई है। इनमें से 2 प्रकरण कोर्ट में लंबित हैं। इस तरह अब तक फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने वाले 4 लोग ही हटाए जा सके हैं। बाकी फर्जी अब भी नौकरी कर रहे हैं।