ललितपुर। भले ही विकास के मामले में बुंदेलखंड का सबसे पिछड़ा जनपद माना जाता हो, लेकिन प्राकृतिक व खनिज संपदाओं का ललितपुर में अकूत भंडार है।ग्राम पिसनारी में रॉक फास्फेट होने की पुष्ट हुई है। इससे सिंगल सुपर फास्फेट खाद तैयार किया जाता है। इसके अलावा वैज्ञानिक ने जिले में यूरेनियम होने की संभावना व्यक्त करने के साथ ही हाल ही में तहसील मड़ावरा के ग्राम गिरार में वैज्ञानिकों की खोज में प्लेटिनम की पुष्टि होने के बाद यह तय हो गया है कि जिले में खनिज संपदा का अकूत भंडार है।
एक जमाना था, जब यहां से इमारती पत्थर मालगाड़ी के माध्यम से हरियाणा के पलवल तक जाता था, लेकिन अब यह कारोबार ठप है। इसकी वजह नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण हितों को देखते हुए खनन पर रोक लगा दी है। एक समय था, जब यहां पर मकान बनाने के लिए पत्थर का अधिक से अधिक उपयोग होता था। दरवाजे की चौखट, छत, दालान के खंभे समेत अधिकाधिक पत्थर लगाया जाता था। पत्थर काटने से लेकर मकान बनाने तक का पूरा काम कारीगरों के हाथ में था। इस काम के एक से बढ़कर एक हुनरमंद थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। कभी जिले के धौर्रा क्षेत्र के लोगों को ग्रेनाइड के कारण समृद्ध माना जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इसी तरह ग्राम मदनपुर और पंडवन क्षेत्र में भी इमारती पत्थर निकलता है।
ललितपुर जिले में 11.07 प्रतिशत क्षेत्र में जंगल है। कुल वन क्षेत्रफल में 519.3 हजार हेक्टेयर है। उत्तर प्रदेश की दक्षिणी सीमा में विंध्य और पठार भूमि पर जिला आबाद है। पठारी क्षेत्र होने के कारण यहां पर प्रचुर मात्रा में इमारती पत्थर है। ग्राम धौर्रा इमारती पत्थर के लिए जाना जाता है। उत्तर प्रदेश खनिकर्म एवं पुरातत्व विभाग और भारतीय भू-सर्वेक्षण विभाग द्वारा मड़ावरा ब्लाक के आधा दर्जन गांवों के भू-भाग के कुछ स्थानों को चिह्नित कर खनिजों की उपलब्धता की संभावनाओं को देखकर खोज की जा रही है। यहां से जांच के लिए सैंपल लेकर आगरा, दिल्ली और हैदराबाद प्रयोगशालाओं में भेजे गए। प्रयोगशालाओं में जांच के बाद प्लेटिनम जैसे कीमती खनिजों की उपलब्धता की जानकारी मिली है।
=========
जिले में रॉक फास्फेट की उपलब्धता है। इसके अलावा अन्य खनिज संपदाएं भी हैं।
– नवीन कुमार दास
क्षेत्रीय खान अधिकारी/ जिला खान अधिकारी