- मजदूरों के किराये पर कांग्रेस का बड़ा फैसला
- घर वापसी कर रहे मजूदरों का किराया देगी कांग्रेस
- अहमद पटेल ने की जन-आंदोलन बनाने की अपील
लॉकडाउन में राहत के बीच मजदूरों की घर वापसी विवाद का केंद्र भी बनती जा रही है. विपक्षी दलों के नेता मजदूरों के रेल किराया वसूलने पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं. इस बीच कांग्रेस ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिसमें पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी प्रदेश इकाइयों से मजदूरों का किराया खर्च उठाने के लिये कहा है. इतना ही नहीं कांग्रेस इस मुहिम को एक जन-आंदोलन का रूप देने भी की कोशिश कर रही है.
सोनिया गांधी के फैसले के बाद ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने इस मसले पर ट्वीट किया है. अहमद पटेल ने अपने ट्वीट में लिखा है कि कांग्रेस अध्यक्ष के निर्देशानुसार कोषाध्यक्ष होने के नाते मैं सभी प्रदेश कांग्रेस इकाइयों से ये अपील करता हूं कि प्रवासी मजदूरों के टिकट खर्च को लेकर हर मुमकिन प्रयास करें ताकि वो अपने घरों को जा सकें. इसके साथ ही अहमद पटेल ने कांग्रेस की प्रदेश इकाइयों से ये भी कहा है इस कदम को एक जन-आंदोलन बनाया जाये और अगर किसी भी मदद की जरूरत हो तो कांग्रेस हेडक्वार्टर में संपर्क करें.
कांग्रेस पार्टी का यह कदम जहां मजदूरों के लिये बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं इसे केंद्र की मोदी सरकार को बैकफुट पर धकेलने की भी कोशिश के तौर भी देखा जा रहा है. दरअसल, लॉकडाउन में राहत देते हुये केंद्र सरकार ने अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों व कामगारों को गृहराज्य जाने की परमिशन देने के साथ ही स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था भी कर दी है, लेकिन केंद्र सरकार इसका पैसा भी ले रही है. राज्य सरकारें इस पर ऐतराज भी जता रही हैं.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल ने आजतक के ई-एजेंडा कार्यक्रम में इस मसले पर कहा था कि केंद्र का राज्यों से ये किराया वसूलना हास्यास्पद है. उन्होंने खुले तौर पर इसका विरोध किया है. बघेल के अलावा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी किराया वसूलने को लेकर सरकार की आलोचना कर चुके हैं.
वहीं राहुल गांधी ने इस मसले पर ट्वीट किया है. राहुल ने लिखा है कि एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है. जरा ये गुत्थी सुलझाइए! ऐसे में लगातार इस मसले को उठा रही कांग्रेस ने मजदूरों का किराया उठाने का फैसला लेकर एक बड़ा राजनीतिक कदम भी उठाया है.