https://www.biskitjunkiehouston.com/menu

https://www.menuhartlepool.com/

slot server jepang

Monday, December 15, 2025
HomestatesUttar Pradeshकमलनाथ सरकार के मंत्री को ट्विटर यूजर्स क्यों सिखा रहे हैं भाषाई...

कमलनाथ सरकार के मंत्री को ट्विटर यूजर्स क्यों सिखा रहे हैं भाषाई मर्यादा? – Twitterati got angry over hukum singh karada remarks on divyang

  • कमलनाथ के मंत्री पर भड़के यूजर्स
  • पीएम मोदी से सीखने की दी नसीहत

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से वो काम की वजह से कम और विवादों की वजह से ज्यादा सुर्खियों में रहा है. अब नया विवाद कमलनाथ सरकार में मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा के एक बयान पर शुरू हो गया है. किसानों के लिए आयोजित एक जनसभा में वो अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे थे. इस दौरान उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘क्या अंधे, लंगड़े-लूले लोगों को मिलने वाली पेंशन राशि को 300 से बढ़ाकर 1000 रुपये करना गलत काम है? किसानों के लिए 100 यूनिट का 100 रुपये करना गलत है.’

लेकिन मंत्री की शब्दावली को लेकर अब सोशल मीडिया पर खूब छीछालेदर हो रही है. कई लोग उन्हें पीएम मोदी से सीखने की सलाह दे रहे हैं. वो बता रहे हैं कि एक पीएम मोदी हैं जो इस तरह के लोगों को विकलांग तक नहीं कहते. उनके लिए दिव्यांग शब्द को गठित किया गया. वहीं एक कांग्रेस सरकार में मंत्री हैं जो उन्हें सीधे-सीधे अंधे,लंगड़े और लूले कह रहे हैं.

नरेंद्र मोदी फैन के नाम से ट्विटर हैंडल चलाने वाले एक शख्स ने कमलनाथ के मंत्री पर निशाना साधते हुए लिखा, ‘एक तरफ मोदी जी है जो दिव्यांग भाई बहनों का बहुत सम्मान करते है, दूसरी तरफ कांग्रेसी उनको अंधे, लंगड़े, लूले कहते हैं शर्मनाक.’

वहीं अंकित सिंह ठाकुर नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘बात सही बोल रहा है पर बोलने का तरीका वही जाहिलों जैसा है.’

भारत सिंह सेंगर नाम के एक यूजर ने लिखा है, ‘कुछ तो शर्म करो मंत्री जी उन्हें दिव्यांग कहते हैं.’

नचिकेता सिन्हा नाम के एक शख्स ने भी तरीके पर सवाल खड़ा किया है.

बता दें अभी हाल ही में पुरुष नसबंदी के टारगेट वाले आदेश को लेकर कमलनाथ सरकार की काफी फजीहत हुई थी जिसके बाद शुक्रवार को उन्हें अपना आदेश वापस लेना पड़ा. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन संचालक छवि भारद्वाज ने कर्मचारियों के लिए पुरुष नसबंदी का लक्ष्य तय किया था. इसके मुताबिक एमपीडब्ल्यू और पुरुष सुपरवाइजरों के लिए हर माह पांच से 10 पुरुषों को नसबंदी का लक्ष्य दिया गया था.

ऐसा न करने वाले को दंडित करने का प्रावधान किया गया था, जिसमें नो वर्क नो पे का प्रावधान था. यह आदेश 11 फरवरी को जारी किया गया था. पुरुष नसबंदी का टारगेट तय करने और लक्ष्य न पाने पर वेतन रोकने व सेवानिवृत्ति तक की चेतावनी दिए जाने का आदेश सामने आने पर विपक्ष हमलावर हुआ.

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस आदेश को इमरजेंसी पार्ट दो तक कह डाला. उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश में अघोषित आपातकाल है. क्या ये कांग्रेस का इमरजेंसी पार्ट-2 है? एमपीएचडब्ल्यू (मेल मल्टी पर्पज हेल्थ वर्क ) के प्रयास में कमी हो, तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है. एमपी मांगे जवाब.”

और पढ़ें- कमलनाथ ने फिर मांगा सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत, पूछा- कितने मरे

मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव के निर्देश पर प्रभारी मिशन संचालक डॉ जे विजयकुमार ने पूर्व में जारी आदेश को निरस्त करने का शुक्रवार को आदेश जारी किया.

आजतक के नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट और सभी खबरें. डाउनलोड करें

  • Aajtak Android App
  • Aajtak Android IOS




Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RECENT COMMENTS

casino online slot depo 10k bonus new member slot bet 100 slot jepang
slot depo 10k slot gacor slot depo 10k slot bet 100 slot777 slot depo 5k slot online slot server jepang scatter hitam