नगदी फसल उपजावव अउ मने मन मुसकावव.
पानी पिये के थेगहा राखना हे ते गुड़ के ढेली राखे राह. मौका परे मा चना गुड़ मा एक पहर के भूख ला मिटाए जा सकत हे.
- News18Hindi
- Last Updated:
January 20, 2021, 4:28 PM IST
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गोबर मा शुद्धिकरण अउ नेंग नियाव मा कुसियार बोवई
गुड़ के पुरती खंचवा बने लिपे रइथे, गोबर-पानी मा लिपे पोते मा बने रइथे नइते गोंटी-मांटी चटके के डर रइथे. भारत भुंइया मा गउमाता के गोबर कतक पबरित होथे एला जानना हे ते शुभ-शुभ काम मा तें उपयोग करके जान लेबे.अब रिहिस निमगा कुसियार. साल के साल बोवातेच हे. गांव-देहात मा गुड़ अउ कारखाना मा शक्कर बनाए जाथे. बोए के बेरा कछारी भूमि मा पैदावार बने होथे अइसे अनुभो करे गेहे. अब एक ठन किस्सा. कबीरधाम जिला मा कवर्धा ले 24 किलोमीटर रइपुर रोड मा दशरंगपुर नाम के गांव हे. मे हा अपन 1962 के किस्सा सुनावत हंव. दशरंगपुर कर्वधा के राजा के ममा जेला सुकुल जी कांहय तेखर गांव हरय. हमर बबा ऊंहा मुखतियारी करिन तेखर सेती हमन ऊंहचे के बाड़ा मा राहन. 12 नांगर के किसानी. नौकर-चाकर दू परानी गाय,भैंस, बइला, भंइसा सब्बो गोंहड़ी अकन.किसानी मा कुसियार नगदी फसल के रूप मा जाने जाथे. बोवाई करेके बेरा गांव ले दुरिहा जगा निरजन खार मा कुसियार ला सइघो सइघो छांट के बोझा-बोझा डोहारंय अउ नांगर जोतत-जोतत ओनारे असन बोये जाए के तियारी राहय. ऊंहा केवल मावा लोगन के काम राहय. काबर के बोवत- बोवत गोहार पार के गारी-गल्ला चलय. एहू एक नेंग असन माने जावय.
नदिया कछार मा साल के साल लुवई टोरई
अब दूसर किस्सा राजिम राज के बतावंव. किस्सा उही कुसियार बोवई के. राजिम ले 8 किलोमीटर दूर गरियाबंद रोड मा चचौद (श्यामनगर) के गांव हावय. उंहा हमर कका ग्राम सेवक रिहिन ते पायके मोला उहंचो पढ़े के मौका मिलिस. चचौद मा कुसियार पइरी नंदिया के तीरे तीर कछार मा बोए जाय. इहां के बोवाई अलग ढंग के राहय. कुसियार ला कुटा-कुटा करके बने आंखी वाला ला छांट-छांट के बिजहा सकेलंय अउ भुंइया मा रात भर उही खेत मा दबा के राख दंय. दूसर दिन मांदा बनाके सब्बो परानी बोवाई मा लग जांए.
अब एही बात हमर छत्तीसगढ़ मा कतक रंग के समझे अउ समझाए के हावय.रंग रंग के संस्कृति ला उजागर करे के हावय. अउ कतको रंग हे ते चरचा होते रहना चाही एखर ले हमर आने वाला पीढ़ी ला नवा नेवरिया अवइया पहुना ला जानकारी मिलत रिही. बहाना कुसियार के अउ ए कोन्हा ले वो कोन्हा तक छत्तीसगढ़ी के जानकार के. जानना अउ जनवाना एही जगत के रीत हरय. (लेखक साहित्यकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं.)


