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बर्ड-फ़्लू एलर्ट
लालबुझक्कड़ किहिस-गुजरात म बर्ड-फ़्लू(एवियन इन्फ्लून्जा)ले कइ गाय मरगें. एहा बहुत गंभीर घटना आय. सूरत म बर्ड-फ़्लू पहुंच सकत हे. हिमाचल प्रदेश ,गुजरात, केरल के जंगल अउ संरक्षित इलाका म बर्ड-फ़्लू पहुंचेगे हे. इहों बर्ड-फ़्लू होय के खतरा हे. कई प्रवासी बतख संक्रमन फैइले के सेती मरगें. छत्तीसगढ़ के रायपुर के पगारिया काम्प्लेक्स के तिर एक दर्जन परेवा(कबूतर) मरे मिले हे. राजनांदगांव शहर सहित छुरिया क्षेत्र म आधा दर्जन कऊआ मरे पाय गेहे. इहाँ बर्ड फ़्लू के पुष्टि नइ होय हे. पड़ोसी महाराष्ट्र म बर्ड-फ़्लू के दस्तक होगे हे. खतरा के घंटी फेर बाजत हे.मुरगी, मुरगा ,कऊँआ, बतख,परेवा ले डर
खबरीलाल किहिस-अब त कोरोना टीका कोरोना ले बाचे के हिम्मत देवत हे, त मुर्गी-मुर्गा डरूवावत हे. मुर्गी–मुर्गा मनखे ल देख के समें-बेसमे कुक्रू..कूँ करत हें. उनकर पालक गिनती करत हे. कहूं कमती त नइ होय हे? कोनो मर-मुरा त नइगे हे? कऊँआ वो जमाना ल कोसत हे जब कन्हैया के हाथ ले माखन रोटी ल झटक के ओहा खावत रिहिस. अब का कंगाली दौर आगे के जब जूठन घलो नंदागे. कुछु-कुछू खाय बर मिल जात रिहिस त खातू के जहर म मरना तय होगे. मनखे के आबादी खूब बाढ़त हे अउ कऊँआ के संख्या घटत हे. कतको चिरई-चूरगुन मन सुवारथी मनखे के सेती घटत हें. कऊँआ के भाव हे आधुनिक सभ्य मनखे हमर तकलीफ ल समझबे नइ करे. जादा कांव-कांव करो त उठा के पथरा मार भगा देथें.
कऊँआ म पितर दरसन
लालबुझक्कड़ किहिस-कऊँआ के पीरा कऊँआ जाने. पितर के समे कऊँआ, कुकुर मन बर पहिली ले पितर खवाय बर पतरी-दोना म सामान अलग से निकालथे, उन आंय अउ खा लें. कऊँआ के सम्मानपूर्वक रद्दा देखे जथे. पितर कऊँआ रूप धर के आथे अइसे जनधारणा हे. पितर के सोंहारी बरा, खीर आदि सब पितर के दिन, पितर बिदा के दिन बिशेष रूप से कऊँआ/कुकुर बर निकाले के रिवाज हे. दूसर बात यहू हे के कऊँआ ल प्रकृति के दरोगा माने जथे. जूठा-काठा, कीरा-मकोरा, सब खा-पी के जगा ल साफ़ करथे. कऊँआ कनवा होथे. गोस्वामी तुलसीदास रामचरितमानस म लिखे हे ‘काने, खोरे, कूबरे, कुटिल, कुचाली जानी’. कऊँआ बड़ हुशियार अउ चलाक होथे. केहे गेहे के ‘आदमी म नउआ अउ पंछी म कऊँआ बड़ हुशियार होथें’. कऊँआ रंग म निच्चट करिया होथे, आवाज कर्कश. तभो ले कऊँआ के भाग उंच हे काबर के कन्हैया के हाथ ले माखन रोटी झटक के खाय के हिम्मत ओखरे तिर हे. अब कइसे समे आगे के मनखे पशु-पंछी ल देख के डर्रावत हे. वायरस जिनगी के रस ल निकाल दिही तइसे लागथे.
कऊँआ मरे के खबर अउ पूछताछ
खबरीलाल किहिस-अब कऊँआ कोनो जगा दिख जथे तब डर लागथे. कहूं फड़फड़ाके इही करा मरगे त हमरो जी के जंजाल हो जही. तुरंत खबर करे बर लगही के ये दे करा तीन-चार ठन कऊँआ मरगे हे. झट ओखर जांच शुरू हो जही. जाँच अधिकारी पुलिस घलो हो सकत हे. ओखर प्रश्न के नमूना अइसे हो सकत हे- प्रश्न-का तेंहा कऊँआ मन ल मरत देखे हस? ओला तोर अलावा अउ कोन देखिस? ओला कतेक देर तक देखत रेहेव? मरे के पहिली कऊँआ कोनो पेड़ के डंगाल म बइठे रिहिस? यदि हाँ, त बताव ओहा काखर घर के पेड़ आय. कऊँआ वुहीच पेड़ म काबर बइठीस? कहूं तुंहर घर के रोटी-चाउर त नई खावत रिहिस? आप ओखर आवाज सुनके ओला देखेव के अपने-अपन आपके आँखी म दिखिस. जब कऊँआ ल देखेव त का पावर वाले चश्मा पहिने रेहेव या संउख वाले धूप-छाँव के चश्मा रिहिस? अगर पावर वाले चश्मा धारन करे रेहेव त आँखी के जाँच कराय के तारीख का रिहिस? यदि आकाश ले खुलेआम कऊँआ गिरिंन त ओमन कांव-कांव करते हुए गिरिंन के लड्त, झगरत गिरिन? कहूं कऊँआ मन पहिली ले घायल या जख्मी त नइ रिहिन? आप ल बर्ड-फ़्लू के शंका अचानक कइसे होइस? आदि अनेक कल्पना के प्रश्न हो सकत हे.
अनुमानित जाँच प्रश्न
परेवा मरे के घलो पूछताछ हो सकत हे. जेखर अनुमानित प्रश्न ये हो सकत हे जइसे मरे परेवा पोसवा रिहिस के छेल्ला? पोसवा हे त कोन पोसे रिहिस? का परेवा पोसे के ओखर करा सरकारी अनुमति –पत्र हे/अनुमति-पत्र केवल जिला कार्यालय से जारी होथे. चलो अनुमति-पत्र मिले रिहिस त के ठन परेवा पोसे के अनुमति रिहिस? ओखर ले जादा परेवा काबर पाले-पोसे गिस? पशु-पंछी के आजादी ल बाधित करे के सेती त ये हादसा नइ होय हे? सबो परेवा आपस म गुटरूं-गूं करत रिहिन या ओखर मन के बीच म कोनो राजनीतिक मदभेद रिहिस? परेवा मन सुबह कब दाना खाय रिहिन? दाना पुष्टई रिहिस के नहीं? कोनो परेवा ह हडताल-आन्दोलन म भाग तो नइ ले रिहिस? ये परेवा मन कोन दिशा म जादा उड़ें? कब-कब उड़ें? कोनो ल चोट त नइ लगे रिहिस? ये परेवा मन कहूं डाक-सेवा म त नइ रिहिंन? परेवा मन के गोड़ म कोनो घुँघरू बंधाय देखे हो? परेवा ल मरे के घंटा होय हे? मरे परेवा के आँखों देखी गवाह कोनो हे? कोनो षड्यंत्र पूर्वक ये परेवा मारे हें का? पंचनामा बनाय जाय, मौका-ए वारदात विवेचना पूरा होगे.
मुरगी-मुरगा के गोठ
गोबरदास किहिस-जब ले हमर देश म बर्ड-फ़्लू के खबर आय हे. पोल्ट्री फ़ार्म के मुरगा-मुरगी मन उदास हें. तभो ले एक मुर्गी हर मुरगा ल समझइस के आखिर हम मन ल जल्दी-जल्दी त शहीद होना हे फेर का बर्डफ़्लू अउ का चिकन बने के दुःख! खूब चारा खाव खुशी-खुशी शहीद हो जाव. मुर्गा किहिस-अगला जनम भगवान जंगल म देना कुछु आजादी के साँस त ले जा सके !! अंडा घलो बर्डफ़्लू के हवा म ठंडा परगे. मुरगी-मुरगा, अंडा के बाजार रेट फेर धड़ाम होवत हे. बर्डफ़्लू वायरस ले हागकांग म कुछ साल पहिले छै मनखे मरगे रिहिन. ये बीमारी के वायरस घलो बहुरूपिया हे जल्दी-जल्दी रूप बदलथे.
लोकतान्त्रिक ढंग से जांच
खबरीलाल किहिस-जेन जेन पशु-पंछी मरे पाय गे हे उनकर सब के लोकतान्त्रिक ढंग से जांच होना चाही सरकार ल अनुरोध करे जही के पांच सदस्यी जाँच समिति एखर निष्पक्ष जांच करे. बर्ड फ़्लू (एवियन इन्फुलेंजा) के प्रसार न होय एखर समे राहत ले उपचार करे जाय. फ़ाइल बंद. ( लेखक साहित्यकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं.)