Tuesday, June 24, 2025
HomestatesMadhya Pradeshजनकल्याण के लिए आयुर्वेदिक ज्ञान का वैज्ञानिक विश्लेषण आवश्यक: राज्यपाल श्री टंडन

जनकल्याण के लिए आयुर्वेदिक ज्ञान का वैज्ञानिक विश्लेषण आवश्यक: राज्यपाल श्री टंडन


जनकल्याण के लिए आयुर्वेदिक ज्ञान का वैज्ञानिक विश्लेषण आवश्यक: राज्यपाल श्री टंडन


ग्रामीण स्वास्थ्य की चुनौतियाँ एवं आयुर्वेदिक समाधान विषय पर वेबीनार 


भोपाल : गुरूवार, मई 28, 2020, 17:51 IST

राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने कहा है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा भारत की अत्यंत प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, इसमें रोग को जड़ से मिटाने की क्षमता है। हमें अपनी इस चिकित्सा पद्धति पर गर्व है। श्री टंडन राजभवन से कोविड-19 ‘ग्रामीण स्वास्थ्य की चुनौतियाँ एवं आयुर्वेदिक समाधान’ विषय पर वेबीनार को संबोधित कर रहे थे। वेबिनार महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामीण विश्वविद्यालय एवं आरोग्य भारती के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।

राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि प्राचीन काल में ही हमारे आयुर्वेदाचार्य धनवंतरी, चरक और सुश्रुत ने व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य संबंधी शिक्षाएं प्रदान की। प्लास्टिक सर्जरी करने की पद्धति महर्षि सुश्रुत की खोज है। उन्हें इसीलिए ‘फादर ऑफ सर्जरी’ कहा गया है। इन महर्षियों ने जिस तपस्या, साधना और अनुसंधान से आदमी को स्वस्थ रखने की व्यवस्थाएं दी वे, अद्भुत है। उन्होंने कहा कि बीच के कालखंड में व्यवसायवाद और पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति के प्रभाव में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से लोग विमुख हुए थे। पर आज हम सभी देख रहे हैं और समझ रहे हैं कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति हमारे स्वास्थ्य के लिये कितनी महत्वपूर्ण है। आवश्यकता है कि हमें आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति के अनुरूप अनुसंधानात्मक प्रमाणिकता प्रदान की जाये। आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध करके नए स्वरूप में समाज के सामने उसे लाना होगा। वैद्यों को अपने पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ प्रचारित करने पर भी जोर देना होगा।

श्री टंडन ने कहा कि कोविड-19 जैसी महामारी के संक्रमण दौर में उपचार और रोग-प्रतिरोधकों के नए प्रयोगों की आवश्यकता है। आयुर्वेदाचार्यो को इस दिशा में शोध कर उपचार के उपाय ढूंढने के लिए भी आगे आना होगा। भारत में आयुर्वेद का विकास भारतीयों के लिए लाभकारी होने के साथ ही आज सारे विश्व की आशाओं का केन्द्र भी है। भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा का ज्ञान, आचार, विचार और उपचार पर आधारित है। इसी की एक शाखा योग और प्राणायाम अपनाकर लोग बिना दवाई के भी स्वस्थ हो रहे हैं। यह आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की बड़ी प्रमाणिकता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वर्तमान परिस्थितियों से हमें घबराने की जरूरत नहीं है। हम संयम और सहनशीलता से इस कठिन समय से भी पार पा लेंगे।

वेबीनार में आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने ‘ग्रामीण स्वास्थ्य की परिकल्पना’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की परिकल्पना स्वर्गीय नानाजी देशमुख की थी। उनकी अथक साधना और भावना के अनुरूप यह विश्वविद्यालय गांवों के विकास के लक्ष्य को पूरा करने का कार्य निरंतर कर रहा है। उन्होंने कहा कि नानाजी के ‘आजीवन स्वास्थ्य प्रकल्प’ की अवधारणा का मूल आधार आजीविका की व्यवस्था, सफाई, हवादार मकान, शुद्ध भोजन और शुद्ध जल है। उन्होंने कहा कि हमें इस अवधारणा से कि सरकार हमारे स्वास्थ्य की चिंता करेगी, मुक्त होना होगा। स्वास्थ्य की चिंता स्वयं करना होगी। उन्होंने बताया कि आयुष विभाग के लगभग 12 हजार 500 केंद्र व्यक्तियों के स्वास्थ्य की देखभाल कर रहें है। इसके अलावा आयुष संजीवनी ऐप के माध्यम से भी लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

सी.सी.आर.ए.एस भारत सरकार के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर वैद्य के.एस. धीमान ने कोविड-19 एवं आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध की स्थिति पर कहा कि आयुर्वेद का क्षेत्र विस्तृत है। इसमें निरंतर शोध की गुंजाइश है। हमारे आयुर्वेदाचार्यों ने अपने ज्ञान के आधार पर जो शोध कार्य किए हैं, उन्हें देश और समाज के सामने लाने का आरोग्य भारती ने जो बीड़ा उठाया है उसकी सफलता से बड़ी समस्या का समाधान संभव है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के विकास और विस्तार में कृषि, वाणिज्य, स्वास्थ्य आदि सभी विभागों को समन्वित रूप से काम करने की जरूरत है। कोविड-19 से हम ‘मेरा स्वास्थ्य मेरी जिम्मेदारी’ की भावना के साथ ही निपट सकते हैं।

आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ अशोक वार्ष्णेय एवं दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव श्री अभय महाजन ने भी कोविड-19 की आपदा और ग्रामीणों के स्वास्थ्य के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ रवि श्रीवास्तव ने किया। आभार डॉ अंजनी पांडे ने व्यक्त किया। स्वागत वक्तव्य महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरेश चंद्र गौतम ने दिया।


करूणा राजुरकर


Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RECENT COMMENTS

casino online slot depo 10k bonus new member slot bet 100 slot jepang
slot depo 10k slot gacor slot depo 10k slot bet 100