- मास्क और सैनिटाइजर का ध्यान भी रोबोट ही रखता है
- दफ्तर में इन दिनों इंसान कम और रोबोट ज्यादा दिखाई दे रहे हैं
कोरोना काल में जयपुर में स्मार्ट दफ्तर तैयार हुआ है. इस स्मार्ट दफ्तर बचाव से लेकर दफ्तर का काम तक सब कुछ रोबोट ही करता है.
कोरोना काल में लोगों के जीने का तरीका और अंदाज दोनों बदल रहा है. संक्रमण से बचाव के लिए तकनीक नए-नए रास्ते तलाश रही है. इंसान की जगह रोबोट काम में लिया जाने लगा है. जयपुर में एक स्मार्ट दफ्तर काम कर रहा है जहां पर फाइल ले जाने तक का काम रोबोट कर रहा है. मास्क और सैनिटाइजर का ध्यान भी रोबोट ही रखता है.
सभी काम कर रहा है रोबोट
जयपुर के वैशाली नगर में आरसी एंटरप्राइज के दफ्तर में इन दिनों इंसान कम और रोबोट ज्यादा दिखाई दे रहे हैं. एंट्री पॉइंट से लेकर स्वागत तक सब रोबोट ही करता नजर आ रहा है. एक कमरे से दूसरे कमरे तक फाइल भी रोबोट ही लाता और ले जाता है.फर्श हो या फिर दफ्तर में लगे ग्लास की सफाई, यह सब रोबोट ही करता है.
जैसे ही आप इस दफ्तर में घुसेंगे गेट के बाहर आपको और रोबोट मिलेंगे जिसके सामने खड़े होने पर आपको वह मास्क पहनाएगा और मास्क नहीं पहने हैं तो दरवाजा नहीं खोलेगा. इसी तरह से वह खुद आपका तापमान चेक करेगा और तापमान लेने के बाद ही एंट्री देगा. जैसे ही ग्रीन सिग्नल मिलता है वह गेट खोल देता है.
देश-दुनिया के किस हिस्से में कितना है कोरोना का कहर? यहां क्लिक कर देखें
सारे रोबोट मेड इन इंडिया हैं
आप जैसे ही जाकर रिसेप्शन पर बैठेंगे, बेबी रोबोट जिसका नाम सोना पॉइंट फाइव है वह आपके पास आएगा. जब आप अपना हाथ सैनिटाइज कर लेंगे तो वह वापस सैनेटाइजर लेकर चला जाएगा और उसके बाद दूसरा रोबोट सोना 2.5 आता है जो गेस्ट के लिए चाय-पानी लेकर आता है. कोरोना की वजह से दफ्तर को टच लेस बनाने का कॉन्सेप्ट है जिसे जयपुर के मयंक ने तैयार किया है और यह सारे रोबोट मेड इन इंडिया हैं.
कोरोना पर फुल कवरेज के लिए यहां क्लिक करें
यह सारे रोबोट कमांड से दफ्तरों की फाइलें भी पहुंचाते हैं. इसके अलावा आप देखेंगे दफ्तर में सफाई भी रोबोट ही करता है. फर्श की सफाई के लिए रोबोट लगा है जो सुबह अपने वक्त से पूरे दफ्तर की सफाई कर वापस अपने चार्जिंग पॉइंट पर जाकर लग जाता है.
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें…
स्मार्ट दफ्तर में केवल रोबोट ही नहीं है बल्कि सब कुछ सेंसर से होता है. दरवाजे भी सेंसर से खुलते हैं और लाइटें और बिजली भी लोगों की अकुपेंसी के साथ ही शुरू और बंद होते हैं.