https://www.biskitjunkiehouston.com/menu

https://www.menuhartlepool.com/

slot server jepang

Friday, November 28, 2025
HomestatesChhattisgarhजाति के विवाद से मुक्त नहीं हो पाए अजीत जोगी-ajit jogi could...

जाति के विवाद से मुक्त नहीं हो पाए अजीत जोगी-ajit jogi could not get rid of caste dispute writes dinesh gupta | – News in Hindi

छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजित जोगी के निधन के बाद भी उनकी जाति का विवाद बना रहेगा. राजनीति में जोगी को सबसे ज्यादा तकलीफ उनकी जाति ने दी है.


Source: News18 Chhattisgarh
Last updated on: May 29, 2020, 6:23 PM IST

शेयर करें:
Facebook
Twitter
Linked IN

छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजित जोगी के निधन के बाद भी उनकी जाति का विवाद बना रहेगा. राजनीति में जोगी को सबसे ज्यादा तकलीफ उनकी जाति ने दी है. उनके विरोधी यह आरोप लगाने में काफी पीछे नहीं रहे कि वे नकली आदिवासी हैं. जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के साथ-साथ आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में भी पहचान रखते थे. कांग्रेस के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल के भारी विरोध के बावजूद अजित जोगी मुख्यमंत्री बने थे. सोनिया गांधी की भूमिका काफी अहम रही. विधायक भी जोगी के पक्ष में नहीं थे. जोगी यदि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बन पाए थे, तो इसके पीछे मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. हालांकि दिग्विजय सिंह खुद अजित जोगी के कट्टर विरोधी थे.

राजीव गांधी ने राज्यसभा में भेजने के लिए छुड़वाई नौकरी
अजित जोगी वर्ष 1970 बैच के आईएएस अधिकारी थे. उन्होंने आईएएस की नौकरी वर्ष 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर छोड़ी थी. सोलह साल की नौकरी पूरी करने के बाद जोगी सचिव के वेतनमान में पदोन्नत हो गए थे. उनकी पदस्थापना दुग्ध महांसघ के प्रबंध संचालक के पद पर की गई थी. जोगी शुरू से ही राजनीति में दिलचस्पी लेते थे. जोगी को राज्यसभा में भेजे जाने का सुझाव अर्जुन सिंह ने राजीव गांधी को दिया था. मोतीलाल वोरा राज्य के मुख्यमंत्री थे. जोगी के वोरा से रिश्ते बेहद सामान्य थे. जबकि वे अर्जुन सिंह के बेहद नजदीक थे. जोगी की कलेक्टर के रूप में पहली पदस्थापना सीधी में हुई थी. सीधी अर्जुन सिंह का गृह जिला था. सामान्यत: विधायकों को कलेक्टर से मिलने के लिए पर्ची देना होती थी, लेकिन जोगी अर्जुन सिंह पर्ची के बगैर ही मिला करते थे. अजित जोगी ने सम्मान दिया तो अर्जुन सिंह ने रिश्ते को आखिरी दम तक निभाया. आईएएस की नौकरी में आने से पहले अजित जोगी ने दो साल आईपीएस की नौकरी भी की थी.

मुख्यमंत्री बनने के बाद बीजेपी को तोड़ा

अजित जोगी बेहद महत्वाकांक्षी राजनेता और नौकरशाह रहे हैं. मध्य प्रदेश में वे इंदौर जैसे बड़े जिले के कलेक्टर रहे. नवंबर 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया उस वक्त जोगी के पास पर्याप्त विधायकों का समर्थन नहीं था. जोगी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के विरोध में 7 विधायक कांग्रेस छोड़ने को तैयार बैठे हुए थे. ये सभी विधायक कांग्रेस के ताकतवर नेता विद्याचरण शुक्ला के समर्थक थे. सोनिया गांधी ने जोगी को मुख्यमंत्री बनाए जाने की जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह को दी थी. दिग्विजय सिंह भी अर्जुन सिंह के समर्थक रहे हैं. दिग्विजय सिंह के मुकाबले में अर्जुन सिंह, जोगी को ज्यादा महत्व देते थे. जोगी अक्सर दिग्विजय सिंह पर राजनीति हमले भी करते रहते थे. अविभाजित मध्य प्रदेश में बस्तर के देवभोग की हीरा खदान डीबियर्स कंपनी को देने के मामले में अजित जोगी ने पचास करोड़ रुपये के लेनेदेन का आरोप भी लगाया था. वर्ष 1996 का यह मामला है. जोगी जब छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री बने उस वक्त कांग्रेस के विधायकों की कुल संख्या 48 थी. छत्तीसगढ़ राज्य में विधायकों की कुल संख्या 90 है. भारतीय जनता पार्टी के पास कुल 36 विधायक थे. बसपा और निर्दलीय की संख्या 6 थी. कांग्रेस के 7 विधायक यदि पार्टी छोड़ देते तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार नहीं बना पाती. मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी सरकार को बचाए रखने के लिए जोगी ने भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को तोडकर अपने पक्ष में कर लिया था. वर्ष 2003 में जब पहली विधानसभा का विघटन हुआ उस वक्त कांग्रेस के विधायकों की संख्या 62 हो गई थी. जोगी लगभग तीन साल मुख्यमंत्री रहे. वे अपना पूरा नाम अजित प्रमोद जोगी लिखा करते थे.

जाति विवाद से मुक्त नहीं हो पाए जोगी
अजित जोगी के साथ उनकी जाति का विवाद हमेशा ही पीछे लगा रहा. अनुसूचित जाति जनजाति आयोग की रिपोर्ट भी जोगी के आदिवासी होने को नकारती रही. जोगी आदिवासी वर्ग के नहीं थे. वे सामान्य वर्ग के थे. इसे कांग्रेस पार्टी के भीतर भी मुद्दा बनाया जाता रहा. जोगी ने ईसाई धर्म अपना लिया. यह वजह भी जाति विवाद में सहायक रही. जोगी की जाति के विवाद का फैसला अदालत को करना है. मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह ने जोगी को जाति के विवाद से मुक्त नहीं होने दिया. जोगी के बेटे अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र को लेकर भी विवाद उठता रहता है. अमित जोगी को अनुसूचित जनजाति वर्ग का जाति प्रमाण पत्र इंदौर से जारी हुआ है. इसमें इनकी जाति कंवर बताई गई है. जोगी ने वर्ष 1999 में शहडोल से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. लेकिन वह हार गए थे. 

बेटा अमित था सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत
कांग्रेस में उनके विरोधी अजित जोगी पर यह आरोप लगाने से नहीं चूकते कि वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेसी नेताओं के ऊपर जो नक्सली हमला हुआ, वह पार्टी के अंदरूनी षडयंत्र का नतीजा था. कांग्रेस के सारे बड़े नेता बस्तर प्रवास पर थे. दरभा घटी में नक्सली हमले में 28 नेता मारे गए. अजित जोगी को भी रैली में हिस्सा लेने साथ जाना था, लेकिन अंतिम समय में उन्होंने कार्यक्रम बदल दिया. अजित जोगी की सबसे बड़ी ताकत उनका पुत्र अमित जोगी रहा. अमित जोगी ने भारतीय जनता पार्टी को तोड़ने में अहम भूमिका अदा की थी. अमित जोगी के कारण ही मुख्यमंत्री के तौर पर जोगी को कई विवादों का सामना भी करना पड़ा.

(डिस्क्लेमरः लेखक पत्रकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं)

ये भी पढ़ें-

राजीव गांधी के पीए का एक फोन कॉल अजीत जोगी को ले आया राजनीति में

अजीत जोगी-अपने चक्रव्यूह में फंसा एक राजनेता


News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए रायपुर से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.


First published: May 29, 2020, 6:12 PM IST




Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RECENT COMMENTS

casino online slot depo 10k bonus new member slot bet 100 slot jepang
slot depo 10k slot gacor slot depo 10k slot bet 100 slot777 slot depo 5k slot online slot server jepang scatter hitam