झाँसी महानगर ने शिव आराधना के साथ मनाया हरितालिका तीज महोत्सव ओर पति की लंबी उम्र के साथ सबकी सुख सम्रद्धि की प्रार्थना की जिसमें सभी महिलाओं ने सोलह श्रृंगार में भगवान शिव जी की आराधना की इसी के साथ सबने एक दूसरे को मेहंदी लगाई एवम लाल हरी चूड़ियाँ पहन के सुहाग के गीत गाये बैशाली पूँछी ने बताया कि ये व्रत पार्वती जी ने शिव जी के लिए रखा था हम सब भी आज अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करते है
हरतालिका तीज व्रत सुहागिन महिलाओं और कन्याओं के लिये बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस उपवास को मन से करने पर विवाह योग कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है, वहीं सुहागिन महिलाओं को माता पार्वती से अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त होता है।
यह पूजा रातभर चलती है इसलिए इस दौरान महिलाएं पूरी रात कथा-कीर्तन करती हैं। इस समय भगवान शिव व पार्वती का बिल्वपत्र वा आम के पत्ते से अभिषेक किया जाता है। फिर शिव स्त्रोत व आरती का पाठ कर के पूजा की जाती है। सुबह अंतिम पूजा के बाद माता गोरी पर सिन्दूर चढ़ाके उसे सुहागन महिलाएं मांग में लगाती हैं और फिर हलवे का भोग लगाया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, मां पार्वती शिव जी को अपने पति के रूप में पाने की कोशिश कई जन्मों से कर रही थी। इसके लिए मां पार्वती ने हिमालय पर्वत के गंगा तट पर बाल अवस्था में अधोमुखी होकर तपस्या भी की। मां पार्वती ने इस तपस्या के दौरान अन्न और जल का पूरी तरह से त्याग कर दिया था। उनको इस हालत में देख कर उनके परिवार वाले बड़े चिंतित थे।
एक दिन नारद मुनि विष्णु जी की ओर से पार्वती माता के विवाह का प्रस्ताव लेकर उनके पिता के पास गए। उनके पिता तुंरत मान गए लेकिन जब मां पार्वती को यह ज्ञात हुआ तो उनका मन काफी दुखी हुआ और वे रोने लगीं। मां पार्वती को इस पीड़ा से गुजरता देख एक सखी ने उनकी माता से कारण पूछा। देवी पार्वती की माता ने बताया कि पार्वती शिव जी को पाने के लिए तप कर रही है लेकिन उनके पिता विवाह विष्णु जी से करना चाहते हैं। पूरी बात जानने के बाद सखी ने मां पार्वती को एक वन में जाने की सलाह दी।