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Sunday, December 28, 2025
HomestatesMadhya Pradeshफिर बना जनता का मुख्यमंत्री

फिर बना जनता का मुख्यमंत्री


फिर बना जनता का मुख्यमंत्री


सौ दिन में सफलता के कई शतक जड़े शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 


भोपाल : बुधवार, जुलाई 1, 2020, 19:01 IST

मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार अपने चौथे कार्यकाल के सौ दिन पूरे कर चुकी है। ऐसी पारी, जिसकी शुरूआत ही बेहद कठिन चुनौतियों से भरी थी। चुनौतियों का ये सिलसिला इस बार ज्यादा लंबा है। कोरोना के संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों के बीच कई दुविधाएं सरकार के सामने थीं। लगभग ढाई महीने के लगातार लॉकडाउन और अनलॉक की बंदिशों ने सिर्फ आम आदमी ही नहीं, सरकार के सामने भी आर्थिक प्रबंधन का रोड़ा अटकाया हुआ था। ऐसे में कोविड-19 के प्रसार को रोकते हुए प्रभावित तबकों को किस तरह राहत पहुंचाई जाए, सरकार संभालते ही शिवराज के सामने एक बड़ी चिंता थी। तेरह साल तक मध्यप्रदेश को समृद्ध मध्यप्रदेश में तब्दील करने में जुटे रहे शिवराज, सामने आने वाली चुनौतियों से लड़ने में यकीन रखते हैं। करोना के कठिन दौर में सरकार का नेतृत्व करना, क्या लोहे के चने चबाने से कम माना जा सकता है। लेकिन मामला तो नायक रिटर्न का है। इसलिए शिवराज ने चिंता करने से ज्यादा काम करने पर भरोसा किया।

काम करने के लिहाज से स्थिति इसलिए और भी परेशान करने वाली थी क्योंकि प्राथमिकता बहुत बड़ी संख्या में सरकारी अमले को कोरोना से जुड़े सर्वेक्षण, जागरूकता अभियान और नमूने इकट्ठे करने के साथ ही और बहुत जरूरी प्रक्रियाओं से जोड़ा जाना था। लाकडाउन के कारण आधा अमला घर में था। ऐसे हालात में शिवराज की रणनीति और प्रशासनिक कौशल कसौटी पर था। लेकिन शिवराज के पास तेरह साल तक लगातार सरकार चलाने और अपनी जनहितैषी नीतियों से लोकप्रियता के नये पैमाने बनाने का रिकार्ड भी तो है। ऐसे में सीमित संसाधनों के बीच असीमित कोशिशें करके ही आम जनता को राहत देने के लिए शिवराज ने रात और दिन में अंतर करना ही शायद बंद कर दिया है। कह सकते हैं सरकार की नीतियां और नीयत सही दिशा में आगे बढ़ी। नतीजा, आज मध्यप्रदेश कोरोना की इस महामारी के आपदा काल में सही लड़ाई लड़ रहा है। दुश्मन अज्ञात है लेकिन पीड़ित तो सामने थे। यहां प्राथमिकता में कोरोना से किसी भी तरह के पीड़ित को ही सरकार ने साध्य मान कर साधनों का उपयोग किया।

23, मार्च 2020 से पहले वाली पंद्रह महीने की सरकार कोरोना वायरस को गंभीरता से नहीं ले पाई, उसकी अपनी राजनीतिक उलझनें इस महामारी से बड़ी थीं। इसका असर यह हुआ कि जिस समय शिवराज सिंह चौहान ने पदभार संभाला, तब कोविड-19 को लेकर हालात बिगड़ने शुरू हो चुके थे। पिछली सरकार, शिवराज सिंह सरकार के तीन कार्यकाल के दौरान लागू की गयी कई योजनाओं को बंद कर चुकी थी, इसलिए बड़ी संख्या में लोगों को इन योजनाओं या उनके मजबूत विकल्प के माध्यम से फिर लाभ तथा राहत देना भी बड़ी चुनौती बन चुका था। ऐसी परिस्थतियों में इसे उपलब्धियों के लिहाज से नि:संदेह अनुभवी शिवराज की शतकीय पारी कहा जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह हुई कि कोरोना महामारी से प्रदेश सरकार पूरी सफलता से निपट रही है। देश में सबसे कम ग्रोथ रेट और सबसे अधिक रिकवरी रेट इस सरकार के लिए बड़ी कामयाबी कही जा सकती है। इससे पहले लॉकडाउन की व्यवस्था के सख्ती से पालन और कोरोना प्रभावितों की जांच सहित उन्हें क्वारेंटाइन में रखने, इलाज के लिए सरकारी सहित प्राइवेट अस्पतालों में भी पूरे इंतजाम करने और मास्क के इस्तेमाल व सोशल डिस्टेंसिंग की अनिवार्यता की तरफ भी सरकार ने सफलता के साथ काम किया।

ताज्जुब कर सकते हैं कि पिछली पन्द्रह महीने की सरकार प्रदेश के खजाने को लेकर पहले दिन से रोना रो रही थी। लेकिन शिवराज ने सरकार संभालने के बाद एक बार भी प्रदेश की आर्थिक स्थिति को लेकर ऐसा कुछ नहीं कहा जो प्रदेश की जनता के मनोबल को तोड़ सकता हो। शासन की विभिन्न योजनाओं की राशि सीधे लोगों के खातों में भेजकर प्रदेश में आर्थिक तरलता बनाये रखी। लॉकडाउन में बेरोजगारी एवं जीवनयापन से जुड़ी कई गतिविधियां ठप पड़ गयी थीं। सरकार ने समाज में हर वर्ग को सीधे राहत पहुंचायी।

सरकार के प्रयासों से सोलह लाख किसानों को गेहूं उपार्जन की 24 हजार करोड़ रुपये की राशि दी जा चुकी है। इसके साथ ही चना, सरसों और मसूर की खरीदी कर करीब तीन लाख किसानों को 2762 करोड़ रुपये प्रदान किये गए। इन कामों का असर यह भी हुआ कि प्रदेश गेहूं उपार्जन के क्षेत्र में देश में पहले स्थान पर पहुंच गया है। किसानों को उनकी फसल के अच्छे दाम मिल सकें, इस दिशा में भी सरकार ने इन तीन महीनों में धड़ाधड़ कई फैसले लिए। इसी तबके की मदद के लिए शिवराज सरकार द्वारा लागू की गयी, किसान क्रेडिट कार्ड और फसल बीमा योजना से लाखों लोगों को फायदा पहुंचा है। सरकार ने मंडी एक्ट में सुधार करने के साथ ही किसानों को कर्ज देने की दिशा में भी कई कदम उठाए हैं।

सरकार ने हर वर्ग के हक में फैसले किये। विद्यार्थी हो, मजदूर हो या महिलाएं सभी वर्गों की बेहतरी को प्राथमिकता दी गई। महिलाओं को रोजगार की दृष्टि से मास्क बनाने की जीवन शक्ति योजना प्रारंभ की गई। महिला स्व-सहायता समूहों को कम ब्याज पर ऋण देने की योजना को अमली जामा पहनाने की पहल की गई।

लॉकडाउन और कोविड-19 के कारण श्रमिकों का एक राज्य से दूसरे राज्य में आवागमन तेजी से हुआ। मध्यप्रदेश सरकार ने जहाँ दूसरे राज्यों में रह रहे मध्यप्रदेश के श्रमिकों को लाने की पुख्ता व्यवस्था की। डेढ़ सौ से अधिक ट्रेनों से निशुल्क मजदूरों को मध्यप्रदेश लाया गया। उन्हें घर तक पहुचांया गया। देश के केन्द्र में होने के कारण पडोसी राज्यों विशेषकर महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जाने वाले श्रमिकों को मध्यप्रदेश में चिकित्सा भोजन और पेय जल के साथ ही नि:शुल्क बसों से मध्यप्रदेश की सीमा तक छोड़ने की व्यवस्था की गई। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान इस मामले में इतने संवेदनशील रहे की मध्यप्रदेश में किसी भी राज्य के मजदूर को पैदल नहीं चलने दिया। उनका कहना था कि हम सब भारत माँ के लाल, फिर भेद भाव का कहां सवाल। हर राज्य का मजदूर हमारा भाई है । इस भाव से सरकार ने काम किया। मध्यप्रदेश आये मजदूरों को रोजगार के लिए मनरेगा में नये जॉब कार्ड बनाये गये, श्रम सिद्धि अभियान चलाया गया। कुशल मजदूरों को रोजगार के लिए उद्योगों और श्रमिकों को एक मंच पर लाकर रोजगार दिलाने के लिए रोजगार सेतु पोर्टल बनाकर एतिहासिक कार्य किया। गरीबों की संबल योजना को फिर से चालू कर गरीबों को जन्म से लेकर मृत्यु तक सहायता पहुंचाने का काम फिर किया गया। कोरोना की विपरीत परिस्थितियों में लोगों को राशन, समाजिक सुरक्षा पेंशन की अग्रिम व्यवस्था की गई। विद्यार्थियों को जहां परीक्षा का मौका दिया गया, वहीं जहां संभव नहीं हो पाया वहां मूल्यांकन के आधार पर अगले स्तर पर उन्नयन की प्रणाली बनाई गई।

सरकारी आंकड़ो से भरे यह तथ्य यह बताने के लिए हैं कि मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज ने अपनी उन्हीं नीतियों को प्राथमिकता में रखा है, जिन्होंने समाज के कमजोर तबकों को मजबूत करने का काम किया। सौ दिन में ही किसान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के अन्नदाता की भी विशेष चिंता की। किसानों को फसल बीमा योजना के 2961 करोड़ रुपये दिए गए। इसके साथ ही केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के माध्यम से राज्य के किसानों को डेढ़ हजार करोड़ रुपये की रकम प्रदान की गई।

आम जनता की सुविधाओं से जुड़े कामों की सफलता के लिए प्रशासनिक व्यवस्था का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है। इसे देखते हुए शिवराज सिंह चौहान सरकार ने एकीकृत यानी इंटीग्रेटेड डेटाबेस टेक्निक का प्रशासनिक सिस्टम में ज्यादा से ज्यादा उपयोग तय किया है। लोगों से जुडी सेवाओं की बेहतरी के लिए इनोवेशन चैलेंज पोर्टल की शुरूआत हुई। विकास के लिए सरकारी पैसे का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो, इसलिए शिवराज सिंह चौहान सरकार ने प्रशासनिक सिस्टम के खर्चों में कटौती की दिशा में भी बड़े कदम उठाए। किसी भी राज्य की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए निवेश बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है। इसी को ध्यान में रखते हुए शिवराज सरकार ने इज ऑफ डूइंग बिजनेस को ताकत देने के साथ ही कानून-व्यवस्था बनाये रखने के लिए भी कई सही कदम उठाये हैं। बेहिचक कहा जा सकता है कि आपदा के इस कठिन दौर में बदली राजनीतिक परिस्थितियों में शिवराज की वापसी ने मध्यप्रदेश की जनता को एक नया संबल दिया है।


जनसम्पर्क


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