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Tuesday, December 16, 2025
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बस्तर में टॉप मोस्ट नक्सलियों का पोस्टर जारी, एक पर 25 तो दूसरे पर 40 लाख का है इनाम | kawardha – News in Hindi

बस्तर में टॉप मोस्ट नक्सलियों का पोस्टर जारी, एक पर 25 तो दूसरे पर 40 लाख का है इनाम

कवर्धा जिला शांत जिला माना जाता है. कृषि प्रधान जिले के रूप में जाना जाता है.

कवर्धा जिला (Kawardha District) छत्तीसगढ़ राज्य का आखिरी जिला है. इसके बाद मध्य प्रदेश की सीमा शुरू हो जाती है.

बस्तर. छत्तीसगढ़ में बस्तर पुलिस (Bastar Police) ने अभी हाल ही में टॉप मोस्ट इनामी नक्सलियों (Top Most Naxalites) के पोस्टर जारी किए हैं. इनमें से दो नक्सलियों की कवर्धा जिले में नक्सल विस्तार में अहम भूमिका है. पहला नाम दीपक तिलतुपड़े का है, जो कि नक्सलियों के नए गठित एमएमसी जोन (MMC Zone) यानी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का लीडर है. इस पर 40 लाख का इनाम घोषित है. वहीं, दूसरा लीडर सुरेन्द्र है, जो कि जीआरबी डिविजन (GRB Division) का इंचार्ज है. इस पर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित है. इस पर नक्सलियों की तरफ से क्षेत्र में नक्सल संगठन विस्तार की जिम्मेदारी मिली है. पुलिस इनके मंसूबों को नाकाम करने की हरसंभव कोशिश कर रही है.

वहीं, युवाओं को नक्सली न बरगला पाए इस दिशा में सामुदायिक पुलिसिंग के तहत युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. कवर्धा पुलिस के लिए नक्सलियों के दोनों लीडरों के तिलस्म को तोड़ने की बड़ी चुनौती है. कवर्धा जिले में तेजी से नक्सल संगठन का विस्तार हो रहा है. बस्तर से पैर उखड़ने के बाद नक्सली नई जमीन की तलाश में है. इसके चलते अब ये नए विस्तार की दिशा में काम कर रहे हैं. शुरुआती दौर में नक्सलियों ने एमएमसी जोन बनाकर अलग-अलग डिविजन में बांटकर काम करना शुरू किया है. जीआरबी डिविजन यानी गोंदिया, राजनांदगांव और बालाघाट बनाकर कामकर कर रहे हैं. इसी डिविजन में कवर्धा जिला भी शामिल है. एमएमसी जोन का लीडर दिपक तिलतुपड़े है. वहीं, जीआरबी डिविजन का इंचार्ज सुरेन्द्र है.

कवर्धा जिला छत्तीसगढ़ राज्य का आखिरी जिला है
कवर्धा जिला छत्तीसगढ़ राज्य का आखिरी जिला है. इसके बाद मध्य प्रदेश की सीमा शुरू हो जाती है. मध्य प्रदेश के बालाघाट, मंडला, डिंडौरी जिला लगता है. यही वो कॉरि़डोर है जिसमें नक्सली ज्यादा सक्रिय हैं. कान्हा नेशनल पार्क सेंसेटिव एरिया में शामिल है. आम लोगों की व फोर्स की आवाजाही न के बराबर है. जिसका लाभ नक्सली उठा रहे हैं. एसपी के एल ध्रुव ने बताया कि नक्सली कवर्धा जिले में स्थायी रूप से नहीं रह रहे हैं. केवल आवागमन के रूप में उपयोग कर रहे हैं. छग के कान्हा से लगे एरिया व मध्यप्रदेश में इनकी सक्रियता अधिक है. बावजूद इसके कवर्धा पुलिस सक्रिय है. चार-पांच एनकाउंटर हुए हैं. एक पुरूष व दो महिला यानी तीन नक्सली मारे जा चुके हैं. लगातार कैंप किया जा रहा है. गस्त बढ़ाए गए हैं.वहीं, पुलिस युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही है. नक्सल प्रभावित गांव- गांव जाकर समझाइस दे रहे हैं. सरकार की योजनाओं का लाभ लेने व शासकीय नौकरी की दिशा में आगे बढ़ने को लेकर काम किया जा रहा है. पुलिस वो हरसंभव कोशिश कर रही हैकि स्थानिय युवा नक्सलियों की तरफ रूख न करें.

कृषि प्रधान जिले के रूप में जाना जाता है
कवर्धा जिला शांत जिला माना जाता है. कृषि प्रधान जिले के रूप में जाना जाता है. न यहां बड़ा कोई उद्योग है और न ही व्यापारिक क्षेत्र है. न ही खनिज संसाधन है. सीमीत क्षेत्र में बाक्साइड का उत्खनन होता है. बस्तर जैसे हालात नक्सलियों के लिए कवर्धा में नहीं है. यही वजह है कि पांच साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी नक्सली अपने नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं. पुलिस भी समय रहते सक्रिय हो गई है. नए-नए कैंप खोले जा रहे है. जवानों की संख्या बढ़ाई जा रही है. नक्सल एक्सपर्ट अधिकारियों की पोस्टिंग की जा रही है. जड़ जमाने से पहले ही उखाड़ने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि इस दिशा में कौन पहले सफल होता है.

First published: July 1, 2020, 3:01 PM IST




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