Saturday, June 28, 2025
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भारत को राजकोषीय घाटा कम करने के लिए आर्थिक सुधार की जरूरत- IMF – India needs urgent structural financial sector reforms given rising debt says imf

  • भारत पर बढ़ रहा है कर्ज
  • वित्तीय सुधार की सख्त जरूरत

भारत का मौजूदा आर्थ‍िक माहौल हमारे पूर्व अनुमान से भी कमजोर है और उसे जल्द ही महत्वाकांक्षी संरचनात्मक और वित्तीय सुधार करने की जरूरत है, जिससे कि मध्यावधि में राजकोष बढ़े. इसके लिए भारत को एक रणनीति के तहत काम करना होगा. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने हाल ही में पेश किए बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को लोकसभा में बजट पेश किया था. केंद्र सरकार ने इस बजट को बढ़िया बताते हुए निकट भविष्य में बड़े सुधार की आशा व्यक्त की थी. वहीं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के प्रवक्ता गेरी राइस ने कहा कि भारत का मौजूदा आर्थिक माहौल हमारे पूर्वानुमान की तुलना में कमजोर है.     

राइस ने कहा, ‘भारत की अर्थव्यवस्था हमारे पुर्वानुमान की तुलना में कमजोर है. भारत को जल्द ही महत्वाकांक्षी संरचनात्मक और वित्तीय सुधार करने की जरूरत है, जिससे कि मध्यावधि में राजकोष बढ़े. इसके लिए भारत को एक रणनीति के तहत काम करना होगा.’

यानी कि भारत सरकार द्वारा अब तक अर्थव्यस्था में सुस्ती को दूर करने के लिए जो भी प्रयास किए गए हैं वो नाकाफी हैं.

बता दें, सरकार टैक्स के जरिए राजस्व कमाती है. साथ ही खर्च भी करती है. जब सरकार का खर्च, राजस्व से बढ़ जाता है, तो उसे बाजार से अतिरिक्त राशि उधार लेना पड़ता है. सरकार की कुल कमाई और खर्च के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है. यानी कि सरकार जो राशि उधार लेगी उसे ही राजकोषीय घाटा कहेंगे.  

जाहिर है IMF ने जनवरी महीने में भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त के अनुमान को काफी घटा दिया है. आईएमएफ ने कहा है कि वित्त वर्ष 2019-20  में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बढ़त दर महज 4.8 फीसदी रहेगी. आईएमएफ ने कहा कि भारत और इसके जैसे अन्य उभरते देशों में सुस्ती की वजह दुनिया के ग्रोथ अनुमान को उसे घटाना पड़ा है.

और पढ़ें- Budget 2020: रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा- बजट से फिलहाल नहीं मिलेगा अर्थव्यवस्था को बूस्ट

6 साल के निचले स्‍तर पर जीडीपी

सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी पर पहुंच गई थी. यह 6 साल का निचला स्‍तर है. वहीं लगातार 6 तिमाही से ग्रोथ रेट में गिरावट आ रही है. यही नहीं, आगे भी हालात ठीक नहीं दिख रहे हैं. मूडीज समेत कई रेटिंग एजेंसियां भारत के विकास दर अनुमान में कटौती कर चुकी हैं.

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