- अब भारत में भी ऑपरेशन से हो सकेगा पार्किंसन का इलाज
- अभी तक विदेशों में ही ऑपरेशन से होता था इसका इलाज
लखनऊ के एसजीपीजीआई में पहली बार न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने पार्किंसन नामक बीमारी का सफल इलाज सर्जरी द्वारा किया है. पार्किंसन बीमारी में मरीज के हाथ-पांव, गले में या यूं कहें पूरे शरीर में कंपन होता है. उनका शरीर हिलने लगता है. हाथ कांपने लगते हैं. लिखने-पढ़ने और किसी भी चीज को पकड़ने में दिक्कत होती है. यह सब इसलिए होता है क्योंकि ब्रेन सिग्नल देना बंद कर देता है. इस बीमारी को कंपनवाद भी कहते हैं.
हाल ही में पीजीआई के न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो सुनील प्रधान, न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ संजय बिहारी के नेतृत्व में यह सफल ऑपरेशन किया गया. इस ऑपरेशन की वजह से पीजीआई पार्किंसन बीमारी का सर्जरी द्वारा इलाज करने वाला उत्तर प्रदेश का पहला अस्पताल बन गया है. बता दें कि न्यूरोलॉजी, न्यूरो सर्जन, रेडियोलॉजी और एनेस्थीसियोलॉजी विभागों ने एक साथ मिलकर 64 वर्षीय व्यक्ति का 6 से 8 घंटे में सफल ऑपरेशन किया.
इंसानी दिमाग में एक तरह का इलेक्ट्रिक नेटवर्क होता है. दिमाग में एक जगह पर डोपाविन होता है पार्किंसन की स्थिति में वह कम पड़ जाता है, जिसके चलते जो सिग्नल की सप्लाई नहीं हो पाती है. इसीलिए पार्किंसन के मरीज के शरीर में कंपन होना शुरू हो जाता है. इस कंपन को कम करने के लिए पार्किंसन मरीज के दिमाग की हड्डी में 14 mm का छेद किया जाता है और वायर डाल कर इलेक्ट्रिसिटी दी जाती है. इसे डीप ब्रेन स्टिमुलेशन विधि कहते हैं जिसके बाद ब्रेन सिग्नल देने लगता है और ब्रेन बॉडी को कमांड देने लगता है और कंपन सही हो जाता है.
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अभी तक पार्किंसन की बीमारी का दवाइयों के माध्यम से इलाज होता रहा है. 8 से 10 सालों तक दवाइयों का सेवन करने के बाद पार्किंसन के मरीजों में दवाइयों का साइड इफेक्ट होना शुरू हो जाता है. जिससे मरीजों को असहनीय दर्द होता है. हालांकि अब पीजीआई के डॉक्टरों द्वारा डीप ब्रेन स्टिमुलेशन विधि से सफल सर्जरी की गई है. अब इस सर्जरी के बाद पार्किंसन में अन्य मरीजों को भी राहत मिलेगी.
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