नई दिल्ली: नेपाल 9 जून को विवादित नक्शे को प्रतिनिधि सभा में संवैधानिक संशोधन को मंजूरी देने के लिए तैयार है. एक बार नेपाली राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किए जाने और पारित हो जाने के बाद, इस नए नक्शे को कानून मान्यता मिल जाएगी. इस नक्शे में लिपुलेख, कालापानी, लिंपियाधुरा के भारतीय क्षेत्रों को अपना बताया गया था.
कानून, न्याय और संसदीय कार्य मंत्री शिवमाया तुम्बाहांगफे ने नेपाल की संसद के निचले सदन में 31 मई को नेपाल मानचित्र संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया था.
The constitutional amendment, once passed, will give legal status to the new map of Nepal which shows parts of India as its part: Nepal media https://t.co/hfY3pFQeaB
— ANI (@ANI) June 6, 2020
गौरतलब है कि भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा धारचूला से लिपुलेख के लिए एक नई सड़क का उद्घाटन करने के बाद काठमांडू ने इस मुद्दे को उठाया था. इस नए मार्ग के चलते कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा में लगने वाले समय को कम किया जा सकता है. नेपाल ने संबंधित इलाकों पर अपना अधिकार जताकर विरोध शुरू किया. इस संबंध में नेपाल में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा (Vinay Mohan Kwatra) को नेपाल के विदेशमंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने बुलाकर अपना विरोध दर्ज कराया था.
इसके बाद नेपाली राष्ट्रपति ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि देश के नए नक्शे जारी किए जाएंगे, जिसमें नेपाल के सभी क्षेत्रों को दिखाया जाएगा. भारत ने इस संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि नेपाल का इस तरह से नक्शे में बदलाव स्वीकार्य नहीं है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने नेपाल के नक्शे में बदलाव को लेकर कहा है कि नेपाल की सरकार ने अधिकारिक तौर पर नेपाल का जो संशोधित मैप जारी किया है उसमें भारतीय हिस्से को शामिल किया गया है. यह एकतरफा कदम है और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है. इस तरह का बदलाव भारत को स्वीकार्य नहीं हैं.
भारत नेपाल सीमा पर चल रहा विवाद कोई नई बात नहीं है, 1816 में सुगौली की संधि के तहत, नेपाल के राजा ने कालापानी और लिपुलेख सहित अपने क्षेत्र के कई हिस्से अंग्रेजों के हाथों खो दिए थे.