Thursday, June 26, 2025
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सतयुग में ऋषियों ने जिसका किया था वध, शरीर के टुकड़ों के साक्ष्य आज भी मौजूद! जानें राक्षसीन पखना की कहानी

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सरगुजा के ढांडकेसरा में राक्षसीन पखना नामक स्थान पर सतयुग में ऋषि-मुनियों ने एक उपद्रवी राक्षसीन का वध किया था. आज भी वहां राक्षसीन के पत्थर बने अवशेष देखे जा सकते हैं.

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राक्षसीन

राक्षसीन पखना 

हाइलाइट्स

  • सरगुजा के ढांडकेसरा में राक्षसीन के पत्थर बने अवशेष हैं.
  • सतयुग में ऋषि-मुनियों ने राक्षसीन का वध किया था.
  • पर्यटक राक्षसीन के पत्थर देख अचंभित हो जाते हैं.

अम्बिकापुर:- छत्तीसगढ़ के सरगुजा में एक ऐसा जगह है, जिसे लोग रक्षासिन पखना के नाम से जानते और पहचानते हैं. आखिर ये रक्षासिन पखना है क्या, Local 18 आपको आज़ इसके पीछे के इतिहास को बारीकी से बताने जा रहा है.

दरअसल पूर्वजों के मुताबिक, आज से लगभग 200 साल पहले यानी सतयुग के समय सरगुजा के ढांडकेसरा में एक घनघोर जंगल में जब ऋषि-मुनियों का विशेष बैठक चल रहा था, बैठक में केवल ऋषि मुनि बैठे थे. इस दौरान अचानक एक राक्षसीन पहुंचती है और बैठक में बैठे ऋषि-मुनियों के साथ विवाद करने लगती है.

राक्षसीन ने मचा दिया था उपद्रव
विवाद के दौरान कई बार ऋषि मुनियों ने राक्षसीन को समझाया, लेकिन राक्षसीन ने अपने बाहुबल और शक्ति का दुरूपयोग कर बैठक के दौरान उपद्रव मचा दिया. ऋषि-मुनियों ने बहुत वक्त तक अपने आप को रोककर रखा, लेकिन राक्षसीन ने उपद्रव बंद नहीं किया. इस दौरान ऋषि-मुनियों ने आवेश में आकर राक्षसीन का वध कर दिया.

जब वध हुआ, राक्षासिन के अलग-अलग हिस्से हो गए और जब सतयुग समाप्त हुआ, तो आज़ भी आपको राक्षासीन के शरीर के अलग-अलग अंग अवशेष बचे हुए हैं और इस अंग अब पत्थर का रूप ले लिया है. लेकिन ये पत्थर कोई आम पत्थर नहीं है, बल्कि ये सतयुग में ऋषि मुनियों के द्वारा वध कर अलग-अलग अंग को फेका हुआ राक्षासीन का मृत देह है.

आखिर सतयुग में होता क्या था ?
यह युग धर्म, सत्य और पुण्य से भरा हुआ था. इस युग में पाप और अधर्म का कोई स्थान नहीं था और लोग लंबे समय तक जीवित रहते थे. लेकिन इस युग में सरगुजा में हुए राक्षासीन वध लोगों को स्मरण कराती है कि सतयुग, कलयुग से बिल्कुल अलग है.

ये पत्थर जिसको आप देख रहे हैं ये पत्थर बिल्कुल अलग है. जहां राक्षासीन के देह का मध्य भाग, सिर और पैर के नीचले हिस्से और स्तन, सभी अलग-अलग टुकड़ों में पत्थर जैसा आकृति लिए हुए है. डांडकेसरा जंगल में नदी किनारे आज़ भी ये सतयुग की याद दिलाती है कि अधर्म के विरूद्ध और ग़लत काम करने का हस्र कितना बुरा और भयावह होता है.

पर्यटक देखकर हो जाते अचंभित
पर्यटक जब पहली नजर देखते हैं, तो अचंभित रह जाते हैं कि ये आखिर कैसे हुआ. देखने के बाद इन पत्थरों को अपने कैमरे में कैद कर ले जाते हैं. पूर्वजों के मुताबिक, स्थानीय निवासी ने लोकल 18 की टीम को बताया कि सतयुग के समय ऋषि-मुनियों ने एक उपद्रवी राक्षसीन का वध किया, तब से इस जगह को राक्षसीन पखना के नाम से जाना जाता है, जिसका देह आज़ भी पत्थर बनकर सतयुग की याद दिलाता है.

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सतयुग में जहां ऋषियों ने राक्षसीन का किया था वध, शरीर के टुकड़े आज भी मौजूद

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.


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