- नागेंद्र शर्मा ने सौरभ भारद्वाज के ट्वीट पर जताई अपनी निराशा
- शर्मा ने सुंदरकांड के फैसले को BJP की जाल में फंसना बताया
आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक सौरभ भारद्वाज के सुंदरकांड का पाठ कराने को लेकर पार्टी में मतभेद उभर कर सामने आ गए हैं. दिल्ली सरकार के पूर्व प्रवक्ता नागेंद्र शर्मा ने कहा कि यह बीजेपी के ट्रैप में फंसने वाला फैसला है. उन्होंने ट्वीट किया कि प्रगतिशील नजरिया रखने वाले एक सक्षम विधायक को देखकर निराशा हो रही है कि आगे निकलने की चाह में वह बीजेपी की जाल में फंस गए हैं.
Disappointed to see a competent legislator with progressive outlook fall into the fallacious trap of trying to outdo BJP in it’s game https://t.co/3oyQBs99fg
— Nagendar Sharma (@sharmanagendar) February 18, 2020
असल में, प्रदीप मैगजीन नाम के एक ट्विटर हैंडल से सौरभ भारद्वाज के ट्वीट के जवाब में लिखा गया था कि यह एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में विधायिका का काम नहीं है. कृपया धर्म को अपनी राजनीति से बाहर रखें. इसे ही रीट्वीट करते हुए नागेंद्र शर्मा ने कहा कि एक सक्षम विधायक के इस कदम से उन्हें निराशा हो रही है.
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बता दें कि AAP के विधायक सौरभ भारद्वाज ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि पार्टी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में सुंदरकांड का पाठ कराएगी. भारद्वाज ने ट्वीट में लिखा, ‘हर महीने के पहले मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ अलग-अलग इलाकों में किया जाएगा.’
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मंगलवार को इसका पहला आयोजन किया जाएगा. मंगलवार को चिराग दिल्ली मेट्रो स्टेशन के पास मौजूद प्राचीन शिव मंदिर में सुंदरकांड का पाठ करवाया जाएगा. हालांकि, ये आयोजन पार्टी की ओर से करवाया जा रहा है या दिल्ली सरकार की ओर से इसका जिक्र नहीं किया गया है.
चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने जब अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था, तब भी उन्होंने कहा था कि चुनाव में हनुमान जी ने भी हमारी मदद की है और हमें आशीर्वाद दिया है.
बता दें कि हाल ही में खत्म हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान हनुमान के नाम पर राजनीति शुरू हुई थी. अरविंद केजरीवाल जब हनुमान मंदिर गए थे, तब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा था कि केजरीवाल जी पूजा करने गए थे या फिर अशुद्ध करने गए थे. मनोज तिवारी बोले थे कि एक हाथ से जूता उतारकर, उसी से माला चढ़ा दी. इसी के बाद दिल्ली चुनाव में हनुमान के नाम में राजनीति शुरू हो गई थी.


