
बच्चों की हर तरफ तारीफ हो रही है.
छत्तीसगढ़ के सुकमा इलाके के एक गांव के दो बच्चे इन दिनों चर्चा में हैं. Lockdown में इन बच्चों ने जंगल से लकड़ी लाने के लिए कबाड़ से जुगाड़ कर यह अनोखी गाड़ी तैयार की है.
सुकमा के कुकानार इलाके का धुररास गांव एक छोटे से बच्चे की वजह से आजकल काफी चर्चा में है. देवनाथ पारा में रहने वाले इस 8 साल के बच्चे ने कबाड़ से जुगाड़ लगाकर मालवाहक गाड़ी बना दी. खास बात ये है कि इस गाड़ी का न तो इंजन है और न ही यह बेलगाड़ी है. यह गाड़ी हैंडमेड है और बच्चे इसके इस्तेमाल खुद करते हैं. इसकी मदद से लकड़ी के गठ्ठे या महुआ को जंगल से बड़े ही आसानी से घर ले आते हैं. दरअसल, देवनाथ पारा का 8 साल का सुखदेव गांव के ही स्कूल में कक्षा 6वीं में पढ़ता है. उसका 5 साल का दोस्त सुनील क्लास 2 में है. लॉकडाउन की वजह से इन दिनों स्कूल बंद हैं. अपने फ्री टाइम में इन बच्चों ने गजब का काम कर दिखा है.
पुरानी चीजों से तैयारी की गाड़ी
दोनों बच्चों ने पहले कबाड़ का सामान इकट्ठा किया. फिर पुराने साइकिल और टायर को जोड़कर साथ से चलने वाली एक गाड़ी तैयार कर ली. अब बच्चे इसी गाड़ी को लेकर जंगल जाते हैं और काफी आसानी से लड़की और महुआ अपने घर ले आते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि बच्चों ने महज दो दिनों में इस गाड़ी को तैयार किया है. भले ही यह छोटी सी कोशिश थी लेकिन नक्सल इलाकों के इन बच्चों ने कमाल कर दिखा है. अब उनका वीडियो आसपास के गांव में काफी वायरल भी हो रहा है.

बिना किसी मदद के बच्चों ने ये काम किया है.
न्यूज18 से चर्चा करते हुए छात्र सुखदेव ने बताया कि खेल-खेल में ये गाड़ी बन गई. टायर पुराने होने की कारण पहाड़ और गड्ढों में नहीं चल पाती है. सामान मिल जाए तो इससे भी अच्छी गाड़ी बनाएंगे. तो वहीं ग्रामीणों का कहना है कि जिले में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है बस उसे प्रोत्साहन की जरूरत है. इन छात्रों की प्रतिभा भी कमाल की है. अगर इन्हें अभी से उस दिशा में बेहतर शिक्षा दी जाए तो आगे चलकर ये बच्चे कुछ अच्छा मुकाम हासिल कर लेंगे.
ये भी पढ़ें:
Chhattisgarh COVID-19 Update: कोरोना का कोहराम, 24 घंटे में 93 नए केस, एक्टिव मरीज हुए 565
बेंगलुरू से 180 मजदूरों के साथ रायपुर एयरपोर्ट पहुंची श्रमिक स्पेशल फ्लाइट, सब होंगे क्वारंटाइन
First published: June 6, 2020, 8:19 AM IST