ग्रामीणों ने कोल माइंस शुरू करने जा रही कोल कम्पनी जेएसडब्ल्यू के अधिकारियों और जिले के अधिकारियों का लोक जनसुनवाई में जम जमकर विरोध किया
उमरिया – वहीं पूरा मामला इस तरह है कि उमरिया जिले का जनपद पंचायत पाली आदिवासी जनपद है और वहां कोयला उत्खनन के लिए दो निजी कम्पनियों को अलग – अलग दो कोल ब्लॉक का ठेका मिला है जिसमे एक श्रीरामा सीमेन्ट कंपनी बिलासपुर छत्तीसगढ़ है दूसरी जेएसडब्ल्यू कम्पनी है, पूर्व में जब कोल ब्लॉक का सर्वे हुआ था तो उस समय भारत सरकार और कोल इंडिया ने खुली खदान के लिए निर्णय लिया और नोटिफिकेशन जारी किया था लेकिन बाद में जब निजीकरण के तहत दो कम्पनियों को अलग – अलग दो कोल ब्लॉक का ठेका मिला तो जेएसडब्ल्यू ने फर्जी तौर पर खुली खदान की जगह भूमिगत खदान खोलने की तैयारी कर लिया, जबकि पूर्व में एसईसीएल द्वारा करोड़ों रुपये का मुआवजा किसानों को दिया जा चुका है और बहुत सी भूमि भी अधिग्रहित कर ली गई है लेकिन वह क्षेत्र बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लगा होने के कारण वन विभाग और पर्यावरण विभाग ने एनओसी नही दिया, जिसके कारण जेएसडब्ल्यू ने हेरफेर कर अंडरग्राउंड माइंस खोलने की तैयारी कर लिया और इसी का विरोध क्षेत्र के आदिवासी किसान करने अपनी फरियाद लेकर कलेक्टर एवं कमिश्नर के पास भी गए थे लेकिन दोनो जगहों से उनको दो टूक जबाब दे दिया गया।
अब जेएसडब्ल्यू के अधिकारी जिला प्रशासन के साथ मिलकर औपचारिक रूप से कोरम पूर्ती के लिए लोक जनसुनवाईआयोजित किये जिसमे ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े रहे और सुनवाई का विरोध कर दिये, जिसमें कई बार जिला प्रशासन के अधिकारी और ग्रामीणों के बीच जम कर तू – तू मैं – मैं भी हुई और नतीजा शिफर रहा। हालांकि ग्रामीणों ने खुला चैलेंज किया है कि हम जेएसडब्ल्यू कम्पनी को काम नहीं करने देगें इतना ही नही जिला प्रशासन पर भी मिलीभगत के आरोप लगे हैं।वहीं यदि देखा जाय तो भारत सरकार द्वारा खुली खदान की योजना थी और जेएसडब्ल्यू अपनी मनमानी कर उसको अंडरग्राउंड में परिवर्तित करने का पुरजोर प्रयास कर रही है, यदि यही स्थिति रही तो ग्रामीण उच्च न्यायालय की शरण मे भी जाने की तैयारी किये बैठे हैं, बस इंतजार है तो मात्र कोल कम्पनी और प्रशासन के रुख का।