खजुराहो, मध्य प्रदेश: खजुराहो रेलवे स्टेशन से सामने आईं कुछ तस्वीरें और दृश्य न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर जिम्मेदार व्यवस्थाएं किस हद तक संवेदनहीन हो चुकी हैं। स्टेशन परिसर में एक तरफ जहाँ राष्ट्रीय ध्वज फटा हुआ लहरा रहा था, वहीं दूसरी ओर भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर कचरे के ढेर में पड़ी मिली। यह घटना एक बड़ी प्रशासनिक और नैतिक चूक की गवाही देती है।स्टेशन परिसर में लगा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज, जिसकी गरिमा संविधान और भारतीय ध्वज संहिता में स्पष्ट रूप से निर्धारित है, वह फटा हुआ पाया गया। यह केवल नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि राष्ट्र के सम्मान के साथ किया गया एक सीधा खिलवाड़ है।
राष्ट्रीय ध्वज का यह अपमान अत्यंत निंदनीय है और इसे राष्ट्रीय गौरव पर चोट के रूप में देखा जा रहा है।इसी तरह, भारतीय लोकतंत्र के शिल्पकार माने जाने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर का स्टेशन पर गंदगी के ढेर में पड़ा मिलना भी उतनी ही असंवेदनशीलता का प्रतीक है। यह दृश्य न केवल लापरवाही दर्शाता है, बल्कि एक गहरे वैचारिक और नैतिक पतन को भी रेखांकित करता है।बताया जा रहा है कि मीडिया कवरेज और तस्वीरें सामने आने के बाद ही आनन-फानन में संबंधित कर्मचारियों द्वारा फटे हुए ध्वज को हटाया गया और बाबा साहेब की तस्वीर को भी वहाँ से हटाया गया।
हालाँकि, यह सवाल उठ रहा है कि क्या जब तक कोई मीडियाकर्मी या कैमरा मौके पर नहीं होता, तब तक ऐसी बड़ी और गंभीर चूक किसी की नजर में नहीं आती? क्या यह अपमानजनक स्थिति कई घंटों तक अधिकारियों की जानकारी में नहीं आई?यह घटना सिर्फ एक भूल नहीं है, बल्कि एक गंभीर चेतावनी है कि राष्ट्र और उसके प्रतीकों के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को कितनी लापरवाही से लिया जा रहा है। अब यह वक्त है कि ऐसे मामलों में केवल “सुधार” नहीं, बल्कि सख्त जवाबदेही भी तय की जाए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो भविष्य में ऐसे ही अपमानजनक दृश्य कहीं और, किसी और रूप में सामने आ सकते हैं, और तब भी हम सिर्फ “देखते” रह जाएंगे। इस मामले में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।