छतरपुर: खजुराहो के शिल्पग्राम प्रोजेक्ट में 48 लाख रुपये के गबन के 26 वर्ष पुराने मामले में आज विशेष न्यायाधीश (लोकायुक्त) श्री आशीष श्रीवास्तव, जिला छतरपुर के न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है। आरोपी ए.एस. पदमनाभ (प्रोजेक्ट ऑफिसर) और सतीश वानखेड़े (लेखापाल) को 10-10 साल के सश्रम कारावास और एक-एक लाख रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है।अभियोजन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, दक्षिण मध्य क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र (SCZCC) नागपुर ने खजुराहो में शिल्पग्राम प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकार से कुल 6 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
क्या था मामला?
दिनांक 09.07.1996 को प्रोजेक्ट ऑफिसर के पद पर नियुक्त ए.एस. पदमनाभ ने नियमों का उल्लंघन करते हुए शिल्पग्राम के नाम से बैंक खाता नहीं खोला। इसके बजाय, उन्होंने जानबूझकर अपने व्यक्तिगत खाते (क्रमांक 2897) में केंद्र से प्राप्त राशियां जमा कीं। वर्ष 1997-98 के लेखा परीक्षण में शिल्पग्राम प्रोजेक्ट में 48 लाख रुपये की बड़ी अनियमितता सामने आई। शिकायत के बाद पुलिस अनुसंधान विभाग ने मामला दर्ज किया, जिसमें गंभीर वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं। आरोपी पदमनाभ ने कभी आय-व्यय का विवरण प्रस्तुत नहीं किया।
लेखापाल सतीश वानखेड़े पर शासकीय राशि आहरण हेतु लेखानुदान प्रस्ताव तैयार करने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने भी लगातार नियमों का उल्लंघन करते हुए ए.एस. पदमनाभ को 67 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत कराने में सहायता की।आरोपियों पर धारा 409, 420, 467, 468, 471, 477, 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (1) (डी) सहपठित धारा 13 (2) के तहत CID जबलपुर में मामला दर्ज कर विवेचना की गई थी।
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक/एडीपीओ श्री कृष्ण कुमार गौतम और शिवाकांत त्रिपाठी ने पैरवी करते हुए सभी सबूत और गवाह कोर्ट में पेश किए। विचारण के बाद, न्यायालय ने ₹45,76,228 के गबन को सिद्ध पाया।न्यायालय ने आरोपी ए.एस. पदमनाभ को भादवि की धारा 409 के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास और एक लाख रुपये अर्थदण्ड, जबकि आरोपी सतीश वानखेड़े को भादवि की धारा 120बी के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास और एक लाख रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है।


