रायसेन (मध्य प्रदेश): जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) ने आज सांची विकासखंड की प्राथमिक शाला सतकुण्डा का औचक निरीक्षण किया, जहां चौंकाने वाला मामला सामने आया। निरीक्षण के दौरान शाला के दो शिक्षक अनुपस्थित पाए गए, जबकि सभी छात्र-छात्राएं शत-प्रतिशत उपस्थित थे और शिक्षकों का इंतजार कर रहे थे।
ग्रामवासियों ने बताया कि शिक्षक भले ही प्रतिदिन न आएं, पर बच्चे रोज़ स्कूल आकर मध्याह्न भोजन कर वापस चले जाते हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि चौथी कक्षा में पढ़ने वाला एक छात्र और पांचवीं की एक छात्रा, शिक्षकों की अनुपस्थिति में “सर और मैडम” बनकर अन्य छात्रों को पहाड़ा, गिनती और बारहखड़ी पढ़ा रहे थे। अन्य छात्रों ने भी इस बात की पुष्टि की कि शिक्षक न आने पर ये दोनों ही बच्चों को पढ़ाते हैं।
इस गंभीर लापरवाही के चलते, शाला में पदस्थ शिक्षकों सुश्री शिखा सिंह (प्राथमिक शाला गोपीसुर सतकुण्डा), जरीन फातिमा (माध्यमिक शिक्षक, माध्यमिक शाला सेहतगंज), और श्री सौरभ कुमार (प्राथमिक शाला गोपीसुर सतकुण्डा) को कारण बताओ नोटिस जारी कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। उन पर शासकीय कर्तव्यों के प्रति उदासीनता, लापरवाही, अनियमितता और वरिष्ठ कार्यालयों के निर्देशों की अवहेलना का आरोप है।
वहीं, इसी पंचायत के माध्यमिक शाला गोपीसुर में स्थिति बिल्कुल विपरीत मिली। सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित इस विद्यालय में सभी शिक्षक और अतिथि शिक्षक उपस्थित थे। विद्यालय में तीन कक्ष होने के बावजूद, जहां कक्षा 1 से 8 तक की कक्षाएं संचालित होती हैं, अतिथि शिक्षक पेड़ के नीचे कक्षाएं लगा रहे थे ताकि कमरों की कमी से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो। सीईओ ने इस समस्या के समाधान के लिए शासन स्तर पर उचित कार्यवाही के निर्देश भी जारी किए हैं।
यह घटना सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति और शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करती है, जबकि कुछ शिक्षक विपरीत परिस्थितियों में भी छात्रों की पढ़ाई सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं।