Saturday, June 28, 2025
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Chhattisgarh News In Hindi : Raigarh News – chhattisgarh news truth is eternal peace can be found by following this path in life maharaj hargovind | सत्य ही शाश्वत है, जीवन में इस मार्ग पर चलकर शांति पाई जा सकती है : महाराज हरगोविंद


जीवन में कितना भी अंधेरा हो, पाप कितना भी बढ़ जाए लेकिन वह सत्य पर कभी विजय नहीं पा सकता। आखिरी में सत्य अपना स्वरूप दिखाता ही है। भगवान की लीलाओं में यह बात देखने को मिलेगी। सृष्टि पर संतुलन बना रहता।

उक्त बातें देवांगन धर्मशाला की श्री हरिवंश कथा पुराण में महाराज हरगोविंद पांडेय ने कही। बुधवार की कथा में श्रोताओं को देवासुर संग्राम, अग्नि उत्पत्ति के साथ सांसारिक मोह, बंधन के बारे में बताया।

} अग्नि उत्पत्ति

वृहस्पति की प|ी तारा के गर्भ से अग्नि का जन्म हुआ। उसके साथ पांच भाई भी हुए। भगवान के सबसे प्रिय कार्यों में उनका योगदान रहता है। महाराज ने श्रोताओं को इसका महत्व बताया कि अग्नि में जो घी डालते हैं, वह उसकी आंख होती है। लकड़ी और साकल्य उसका भोजन है, जो भी साकल्य जिस देवता के नाम से अर्पित करता है, वह उस देवता तक पहुंचाने का काम अग्नि ही करती है। आखिरी में अग्नि की देवताओं का मुख होता है, इससे ही वह भोजन प्राप्त करते है। धर्म में पवित्रता का अपना ही महत्व है। किसी भी पारंपरिक पूजा में यह यज्ञ में मौजूद रहता।

} देवासुर संग्राम

दैत्यों के साथ देवताओं का युद्ध हुआ। उसमें अनेको देवता और दैत्य आपस में एक दूसरे से युद्ध किए। आखिरी में दैत्यों की पराजय और देवताओं की विजय के बाद समापन हुआ। देवताओं से उनका छीना हुआ राज्य उनको मिल गया। इस युद्ध में वरुण, अग्नि के साथ वायु भी देवताओं की तरफ लड़े, जहां दैत्यों के राजा को पराजित करने के लिए इंद्र द्वारा भेजे गए चंद्रमा ने शीतलता, वरुण ने नाग फास, अग्नि ने मिलकर उसे हराया। इस कथा से हमें सीख मिलती है, आप के जीवन में कितना भी कष्ट आएं, ऐसा लगे मेरा सब कुछ छिन गया, तब भी सत्य का मार्ग न छोड़े।

} सामाजिक शिक्षा- संसार एक माया

महाराज ने श्रोताओं को कथा के दौरान बताया कि संसार के माया के जाल में फंसे हुए है। इससे निकलने का रास्ता बहुत ही आसान है, उतना ही कठिन भी। जब बालक रूप में हम सब जन्म लेते है तो उसे ईश्वर का स्वरूप माना जाता है। वही इंसान इस माया में फंसकर इस कदर अंधा हो जाता है, क्षणिक जीवन के लिए पाप तक कर जाता है। यह शरीर नश्वर है, उसे त्यागना ही होता है। जीवन में ईश्वर प्रेम का रास्ता ही सत्य का रास्ता है। यही सभी बंधनों से मुक्त करता है।


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