उज्जैन। श्रावण मास के दूसरे सोमवार को बाबा महाकाल के भक्तों के लिए मंदिर के पट रात 2:30 बजे खुल गए. इस दौरान भगवान वीरभद्र के पूजन के बाद बाबा महाकाल की विशेष पूजा-अर्चना की गई और भस्म आरती हुई. महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को यह अनुष्ठान हुआ.
मंदिर के पट खुलते ही पंडितों ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन किया. इसके बाद बाबा महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत और फलों के रस से किया गया. प्रथम घंटाल बजाकर ‘हरि ओम’ का जल अर्पित किया गया. पुजारियों और पुरोहितों ने बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया, जिसमें कपूर आरती के बाद उन्हें नवीन मुकुट व रुद्राक्ष की माला धारण कराई गई. महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल के शिवलिंग पर भस्म अर्पित की गई. आज के श्रृंगार की विशेषता यह रही कि बाबा महाकाल का भांग से श्रृंगार कर मस्तक पर सूर्य और कानों में कुंडल लगाए गए. इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दिव्य दर्शनों का लाभ लिया, जिससे पूरा मंदिर परिसर ‘जय श्री महाकाल’ की गूंज से गुंजायमान हो गया.
आज निकलेगी बाबा महाकाल की दूसरी सवारी
आज सोमवार, 21 जुलाई को श्री महाकालेश्वर की श्रावण/भाद्रपद माह की दूसरी सवारी निकलेगी. इस दौरान भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी में और श्री मनमहेश के रूप में हाथी पर नगर भ्रमण पर निकलेंगे. सवारी निकलने से पहले श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चंद्रमोलेश्वर व मनमहेश का विधिवत पूजन-अर्चन किया जाएगा.
भगवान चंद्रमौलेश्वर पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे. मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा सवारी को सलामी दी जाएगी, जिसके बाद यह परंपरागत मार्ग से नगर भ्रमण पर निकलेगी. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुसार, आज बाबा श्री महाकाल की सवारी में 8 जनजातीय कलाकारों के दल भी सहभागिता करेंगे. इनमें झाबुआ का भगोरिया नृत्य, नासिक महाराष्ट्र का जनजातीय सौगी मुखोटा नृत्य, गुजरात का जनजातीय राठ नृत्य और राजस्थान का गैर-घूमरा जनजातीय नृत्य शामिल हैं. ये सभी दल श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी के साथ पूरे सवारी मार्ग में अपनी प्रस्तुति देते हुए चलेंगे.