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Thursday, October 16, 2025
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New York declaration on Palestine, India votes in favour of Palestine statehood at United Nations In big move | UN में फिलिस्तीन को ‘आजाद देश’ बनाने के प्रस्ताव पर वोटिंग, भारत ने कर दिया टू स्टेट सॉल्युशन का समर्थन

India votes in favour of Palestine statehood at UN: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा फिलिस्तीन पर न्यूयॉर्क घोषणापत्र (New York declaration on Palestine) का समर्थन करते हुए टू स्टेट सॉल्युशन समाधान का समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पारित किए जाने पर भारत ने इसके पक्ष में मतदान किया।विदेश नीति से जुड़े एक बड़े कदम के तहत, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में फ़िलिस्तीन को राज्य का दर्जा देने के पक्ष में मतदान किया है. ‘न्यूयॉर्क घोषणा’ नामक प्रस्ताव के पक्ष में 142 देशों ने मतदान किया, 10 देशों ने विरोध किया और 12 देशों ने मतदान से दूरी बनाई.

अमेरिका और इजरायल ने किया विरोध

UNGA के प्रस्ताव की घोषणा में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच स्थायी समाधान की दिशा में काम करने के लिए समयबद्ध और ठोस कदम उठाने की मांग की गई है. UNGA के प्रस्ताव में गाजा में इजरायली हमलों और हमास की भी निंदा की गई. इस बीच इजरायल (Israel) और अमेरिका (US) दोनों ने फिलिस्तीन (Palestine) से जुड़े इस प्रस्ताव को नुकसानदायक और एक ‘पब्लिसिटी स्टंट’ करार दिया.

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वोटिंग का नतीजा क्या निकला

इजरायल और फिलिस्तीन के तनाव (Israel Palestine war) के बीच भारत ने हमेशा मानवीय मूल्यों का समर्थन किया है.

यूएन महासभा में लाए गए एक प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हुए भारत ने कहा, वह दो अलग-अलग देशों को मान्यता देकर इस विवाद का शांतिपूर्ण समाधान करने के पक्ष में है. आपको बताते चलें कि ये विवाद दशकों पुराना है. 

भारत रुख पर कायम

इससे पहले जुलाई में भी भारत ने संयुक्त राष्ट्र में संयुक्त राष्ट्र में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लंबे वक्त से चले आ रहे संघर्ष का स्थाई समाधान निकलने के मकसद से हुई हाई लेवल कॉन्फ्रेंस हिस्सा लेते हुए इजरायल-फिलिस्तीन विवाद को सुलझाने के लिए टू-स्टेट सॉल्यूशन पर अपने समर्थन को दोहराया था.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि फिलिस्तीन के सवाल का शांतिपूर्ण समाधान के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र कॉन्फ्रेंस में हुई चर्चा से यह तय होता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का मानना है कि टू-स्टेट सॉल्यूशन का कोई और विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस टू-स्टेट सॉल्यूशन से शांति कायम करने की दिशा में अब तक तय किए गए रास्ते पर सोच-विचार का मौका देती है.

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FAQ

सवाल- क्या है डिक्लेरेशन?
जवाब- 
इस डिक्लेरेशन को आधिकारिक तौर पर ‘फिलिस्तीन के प्रश्न के शांतिपूर्ण समाधान और दो-राज्य समाधान के कार्यान्वयन पर न्यूयॉर्क घोषणा’ कहा जाता है. ये डिक्लेरेशन जुलाई में संयुक्त राष्ट्र में दशकों पुराने संघर्ष पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का नतीजा है. जिसे सऊदी अरब और फ्रांस ने होस्ट किया था. ये प्रस्ताव गाजा में लोगों और नागरिक बुनियादी ढांचे पर किए गए इजरायली हमलों, घेराबंदी और भुखमरी की निंदा करता है, जिसकी वजह से विनाशकारी मानवीय संकट पैदा हुआ. 

सवाल- इसका विरोध कौन करता है और इजरायल ने क्या कहा?
जवाब- 
अमेरिका और इजरायल हमेशा से इस मांग और आयोजन का बहिष्कार करते आए हैं. इजरायल ने इस डिक्लेरेशन को एकतरफा बताते हुए वोटिंग को ‘नौटंकी’ करार दिया है. इजरायल के राजदूत डैनी डैनन ने कहा, ‘इकलौता लाभार्थी हमास है. जब आतंकवादी खुशी मना रहे होते हैं, तब आप शांति को नहीं बल्कि आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे होते हैं.’




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