विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की रूप चतुर्दशी (सोमवार) के अवसर पर बाबा महाकाल का अलौकिक और दिव्य श्रृंगार किया गया। इस विशेष दिन भस्म आरती में शामिल होने के लिए हजारों भक्तों का सैलाब उमड़ा, जिन्होंने देर रात से ही लाइन लगाकर बाबा के दर्शन किए।
उबटन और गर्म जल से स्नान:
मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि रूप चतुर्दशी के महासंयोग पर तड़के 4 बजे हुई भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को सबसे पहले केसर-चंदन का उबटन लगाया गया और फिर गर्म जल से स्नान कराया गया। यह इस दिन के श्रृंगार की प्रमुख विशेषता थी। पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर और फलों का रस) से जलाभिषेक के बाद भगवान महाकाल का दिव्य श्रृंगार कर उन्हें नवीन मुकुट, रुद्राक्ष और मुंड माला धारण कराई गई। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से शिवलिंग पर भस्म अर्पित की गई, जिसके बाद भगवान ने निराकार-साकार स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए।
5 लाख वर्ग फीट में भव्य रंगोली:
दीपावली के मौके पर मंदिर परिसर में एक भव्य कलात्मक पहल की गई। लगभग 5,00,000 वर्ग फीट क्षेत्रफल में एक आकर्षक रंगोली का निर्माण किया गया है। “The Sketchers” और “कला मंच उज्जैनी” के लगभग 30 कलाकारों की टीम ने संयुक्त रूप से यह विशाल रंगोली बनाई, जिसका अद्भुत नजारा ड्रोन से भी कैद किया गया है। यह रंगोली श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
मंदिर परिसर में आतिशबाजी पर रोक:
श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए उज्जैन पुलिस के निर्देश पर मंदिर परिसर में आतिशबाजी पर पूर्ण रोक लगा दी गई है। परंपरानुसार केवल आरती के दौरान एक ही फूलझड़ी जलाई गई। गर्भगृह, कोटी तीर्थ कुंड और श्री महाकाल महालोक क्षेत्र सहित पूरे परिसर में पटाखे जलाना प्रतिबंधित है।


