- किसानों को धान का प्रति क्विंटल 25 सौ रुपए देने 23 को योजना लाएगी सरकार
- नाराज किसानों को खुश करने के लिए प्रदेश सरकार ने बनाई योजना
Dainik Bhaskar
Feb 22, 2020, 01:19 AM IST
रायपुर ( कौशल स्वर्णबेर) . प्रदेश के किसानों को धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य के अंतर की राशि देने की लाई जाने वाली योजना का नाम पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल धान खरीदी की समयसीमा समाप्त होने के बाद भी नाराज चल रहे किसानों को कल खुशखबरी देने वाले हैं। 23 फरवरी को हाेने वाली कैबिनेट की बैठक में इसकी मंजूरी दी जाएगी।
राज्य सरकार द्वारा 1 दिसंबर से 20 फरवरी तक प्रदेश के 18 लाख 45 हजार किसानों से कुल 82 लाख 80 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी गई है। इसके लिए किसानों को 1815 आैर 1835 रुपए प्रतिक्विंटल के हिसाब से कुल 15 हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। चूंकि राज्य सरकार ने किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 25 सौ रुपए देने की घोषणा की है। इसलिए सरकार ने लगभग 670 रुपए प्रतिक्विंटल अंतर का राशि का भुगतान के लिए मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन भी किया था। कृषिमंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में गठित कमेटी में वनमंत्री मोहम्मद अकबर आैर खाद्यमंत्री अमरजीत भगत भी शामिल हैं।
समिति ने विभिन्न रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। सीएम बघेल के रायपुर लौटते ही समिति उन्हें यह रिपोर्ट सौंपेगी। योजना का नामकरण सीएम भूपेश बघेल द्वारा किया जाएगा। जिस तरह केन्द्र सरकार ने न्याय योजना की बात कही थी इस लिहाज से माना जा रहा है कि राजीव गांधी के साथ न्याय शब्द भी जोड़ा जा सकता है। यानि इस पूरी योजना का नाम राजीव गांधी किसान न्याय योजना हो सकती है।
पांच हजार करोड़ से ज्यादा का भार
बताया गया है कि राशि का भुगतान करने के लिए सरकार को लगभग पांच हजार 400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा। सरकार यह राशि दूसरे विभाग के बजट काे मर्ज कर एेसा करेगी। इसके लिए राज्य सरकार अपने बजट में पांच हजार करोड़ रुपए का प्रावधान भी कर रही है।
दूसरे विभागों के बजट में होगी कटौती
किसानों को धान का भुगतान करने के लिए सरकार दूसरे विभागों के बजट पर कैंची चलाएगी। बताया गया है कि सबसे ज्यादा कटौती पीडब्ल्यूडी, आवास एवं पर्यावरण, वन, सहकारिता विभाग पर इसका ज्यादा असर पड़ने के संकेत हैं।
नकद या बैंक खाते में भुगतान दोनों पर विचार
बताया गया है कि राज्य सरकार के पास धान बेचे गए 18 लाख से अधिक किसानों की पूरी कुंडली तैयार है। योजना को मूर्त रुप देने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि किसानों को नकद या बैंक खाते के दोनों में से किसी एक माध्यम से भुगतान पर विचार किया जा रहा है। नकद में पैसों के हेरफेर की आशंका के चलते बैंक खातों के माध्यम से ही भुगतान को पहली प्राथमिकता मंे रखा गया है।
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