झाँसी में सरकार भले ही दिव्यांगों के लिए तमाम योजनाएं संचालित करने और उन्हें लाभ पहुंचाने का दावा करती हो, लेकिन इन दावों की सच्चाई जमीनी हकीकत से कोसों दूर नजर आ रही है। ताजा उदाहरण गरौठा तहसील के चतुरताई निवासी तुलसीदास की पुत्री त्रिवेणी है, जो मानसिक रूप से दिव्यांग तो है ही, साथ ही साथ शारीरिक रूप से भी है। 18 वर्ष की हो चुकी त्रिवेणी को गोद में लेकर आज उसकी मां व तुलसीदास जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। अपनी व्यथा सुनाते हुए तुलसीदास ने बताया कि उसकी पुत्री को किसी भी सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। न ही उसका आयुष्मान योजना में नाम चढ़ाया जा रहा है और न ही राशन कार्ड में। यहां तक कि बैंक वाले भी उसका खाता खोलने से मना कर रहे हैं। जिस बैंक में भी वह खाता खुलवाने जाता है, वहां उससे ₹1000 जमा करने व जीरो बैलेंस पर खाता खोलने की बात कही जाती है। तुलसीदास का कहना है कि वह गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है। उसकी मां को पिछले 1 साल से कैंसर है। सरकारी योजनाओं का कोई भी लाभ उसे नहीं मिल पा रहा है। जिलाधिकारी ने आश्वस्त किया है कि पात्रता के अनुसार जितनी योजनाओं में लाभ दिया जा सकता है, दिया जाएगा।