Sunday, June 29, 2025
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Chhattisgarh News In Hindi : Kawardha News – chhattisgarh news research on button mushroom district temperature is favorable | बटन मशरूम पर रिसर्च, जिले का तापमान इसके अनुकूल

जिले के किसान आने वाले समय में बटन मशरूम का उत्पादन करेंगे क्योंकि जिले में पहली बार संत कबीर कृषि काॅलेज व अनुसंधान केन्द्र में बटन मशरूम की खेती को लेकर रिसर्च किया है। रिसर्च में पाया गया कि जिले का तापमान बटन मशरूम के लिए अनुकूल है। कॉलेज ने अपने प्रोजेक्ट रिपोर्ट की जानकारी कृषि विवि को भेजी है। वहीं विवि द्वारा कृषि मंत्रालय भेजा जाएगा, ताकि मशरूम संबंधित जानकारी किसानों को दी जा सके।

यह रिसर्च कॉलेज के प्रोफेसर डॉ.श्याम सिंह के देखरेख में हुआ है। डॉ.श्याम सिंह ने बताया कि इसे वर्ष 2017-18 से लेकर 2018-19 तक किया गया। बटन मशरूम का उत्पादन कॉलेज में किया गया। इन दो वर्ष में करीब 80 किलो का उत्पादन हुआ है, जो कि मार्केट रेट करीब एक किलो 200 से 300 रुपए में बेचा जाता है। खास बात यह है कि बटन मशरूम को मात्र एक कमरे में कम तापमान में तैयार किया गया, जो रिसर्च हुआ हैं वह कॉलेज के एक कमरे में ठंड के मौसम में किया गया है। रिसर्च में पाया गया कि कबीरधाम जिले का तापमान ठंड के दिनों में न्यूनतम 5 से लेकर अधिक 25 डिग्री तक रहता है। इस कारण बटन मशरूम की खेती यहां हो सकती है, वो भी बिना एसी के। डॉ.श्याम सिंह ने बताया कि आमतौर पर बड़े शहरों में इसकी खेती एक कमरे में एसी में रखकर किया जाता है। लेकिन जिले में किसी भी किसान के पास एसी जैसी कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में जिले के तापमान अनुसार बटन मशरूम को एक कमरे में रखकर लगाया गया। ठंड के दौरान तापमान 20 डिग्री से ज्यादा नही जाता।

बीज डालने के बाद 12 से 15 दिन में उत्पादन शुरू

गेहूं का भूसा व चाेकर (छिलका),यूरिया, जिप्सम को मिलाकर कम्पोस्ट तैयार किया। फिर 28 दिन बाद इसमें बीज डाला गया। प्रक्रिया के बाद कम तापमान वाले रूम में शिफ्ट किया गया।

किसानों को इस तरह होगा फायदा

जिले में मशरूम केवल जुलाई में दिखाई देता है। इस मशरूम को सामान्य भाषा में पिहरी कहा जाता है, वनांचल क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से तैयार होता है। इसकी कीमत करीब 600 रुपए प्रति किलो तक रहता है। इसमें फूड पॉइजनिंग की ज्यादा संभावना होती है। बटन मशरूम में इस तरह की फूड पॉइजनिंग की संभावना न के बराबर है। डाॅ.श्याम ने बताया कि बटन मशरूम उत्पादन से किसानों को ज्यादा फायदा है। क्योंकि एक साल में ठंड के सीजन 40 से 50 किलो का उत्पादन किया जा सकता है।

तीसरे प्रक्रिया में मशरूम का छत्ता तैयार हो जाता है। इसके पूर्व स्प्रेयर से पानी का छिड़काव किया जाता है। इसी समय में तुड़ाई की जाती है। 100 किलो कम्पोस्ट से 18 से 20 किलो मशरूम तैयार हो सकता है।

12 से 15 दिन में मशरूम निकलना शुरू हो जाता है। इसके बाद सड़ी हुई गोबर, कोको फिल (नारियल का छिलका) वर्मी कम्पोस्ट डाला जाता है।

कवर्धा. इस प्रोजेक्ट में कॉलेज के स्टूडेंट्स ने साथ दिया।

डॉ.श्याम सिंह


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