दरअसल, बीजेपी-कांग्रेस के बीच पूरी जंग जमातियों की संख्या को लेकर हुई. छत्तीसगढ़ में मरकज से लौटे जमातियों की संख्या पर पहले ही दिन से विरोधाभाष देखा जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भी बयानी आंकड़े आपस में मेल नहीं खाते. जब जमातियों को इतना बड़ा संकट बताया जा रहा है, फिर मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के आंकड़े अलग-अलग होंगे तो मामला तो तूल पकड़ेगा ही!
कोर्ट पहुंचा पूरा मामला
जमातियों (Jamati) की संख्या और उनके गायब होने की चर्चाओं पर कोर्ट ने संज्ञान लिया और PIL स्वीकारते हुए 52 जमातियों को जल्द खोजने और जानकारी देने के आदेश दिए. इस पर सरकार की ओर से जमातियों की संख्या 107 बताई गई और यह भी बताया गया कि सभी के सभी 107 को क्वॉरेंटाइन किया गया है. सभी के सैंपल लिए गए हैं, जबकि स्वास्थ्य मंत्री ने अपने एक बयान में मरकज से लौटे जातियों की संख्या 160 के करीब बताई थी.कोर्ट ने जैसे ही 52 जमातियों को खोजने के निर्देश दिए बीजेपी के पौ बारह हो गए. बीजेपी ने सीधे मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए पूरे मामले को “आपराधिक लापरवाही, जमातियों का तुष्टिकरण, जानकारी छुपाना, डींगें हांकने, असभ्य बयानबाजी” वाला बताते हुए कई गभीर सवाल पूछे.
जब कांग्रेस ने कहा Shut up BJP
बीजेपी के तीखे टिप्पणी से उद्वेलित कांग्रेस ने सीधे शब्दों में Shut up बीजेपी लिखा दिया. कांग्रेस ने अपनी पोस्ट में लिखा “हम थोड़े से जनसेवा में व्यस्त क्या हुए आप तो एकदम बदतमीजी हो गए, Shut up BJP, शर्म नहीं है. 15 साल की सरकार 15 सीट पर ले आS, फिर भी स्तरहीन भाषा और झूठ से बाज नहीं आ रहे हो.
हम थोड़े से जनसेवा में व्यस्त क्या हुए
आप तो एकदम बद्तमीज हो गए।Shut up @BJP4CGState
शर्म नहीं हैं? 15 साल की सरकार 15 सीट पर ले आये, फिर भी स्तरहीन भाषा और झूठ से बाज नहीं आ रहे हो। https://t.co/kCVkHU19tA
— INC Chhattisgarh (@INCChhattisgarh) April 10, 2020
बीजेपी ने किया पलटवार
कांग्रेस की तल्ख और Shut up वाले ट्वीट पर बीजेपी ने एक बार फिर पलटवार किया और AIIMS में जमाती मरीज द्वारा उत्पात मचाने के संदिग्ध मामले को लेकर तीखे शब्दों में सवाल किया. बीजेपी यहीं नहीं रुकी. बीजेपी ने एक और ट्वीट किया और किस किस को Shut up कहोगे लिखते हुए कोर्ट के निर्णय के आधार पर अखबार में छपी खबर की फोटो डाली.
किस-किस को shut up कहोगे @INCChhattisgarh ? आत्ममुग्धता से बाहर निकलो। काम करो। जमातियों को बाहर निकालो। तुष्टिकरण की राजनीति से पहले ही देश तबाह हो चुका है। अब लोगों की जान से भी खिलवाड़ कर रहे। जो काम ज़िम्मेदारी से करना चाहिये, उसके लिये भी कोर्ट को आदेश देना पड़ रहा। शर्म करो pic.twitter.com/2tgrQF1yV1
— BJP Chhattisgarh (@BJP4CGState) April 10, 2020
सीएम बघेल ने की थी ये अपील
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एकजुट होकर एक साथ महामारी के खिलाफ लड़ने की अपील के चंद घंटे ही बीते थे कि ट्विटर पर बीजेपी-कांग्रेस न केवल भिड़ गई बल्कि कई तय मर्यादाओं को भी तार- तार कर दिया . कहते हैं राजनीति समाधान के लिए हो तो बेहतर होता है. मगर यहां तो समस्या पर राजनीति ही अपने आप में एक बड़ी समस्या बन गई है. ऐसे में गंभीर सवाल यह कि इस वैश्विक विपदा पर राजनीतिक दलों का इसी तरह से एक दूसरे को नीचा दिखाने कितने हद तक ठीक है.
छत्तीसगढ़ के मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायकों ने अपने वेतन का 30% हिस्सा 1 वर्ष तक तथा अपनी विधायक निधि से 11-11 लाख रुपये “मुख्यमंत्री सहायता कोष” में प्रदान करने का निर्णय लिया है।
इस सहयोग के लिए नेता प्रतिपक्ष @dharam_kaushik के ज़रिए भाजपा विधायक दल का छत्तीसगढ़ की जनता…— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) April 10, 2020
यह तो होना ही था!
राजनीति के जानकार और सूबे के वरिष्ठ पत्रकारों में शामिल बाबूलाल शर्मा न्यूज़ 18 से चर्चा कहते हैं कि मुख्यमंत्री भले ही उदारता दिखाते हुए विपक्ष की ओर मदद का हाथ बढ़ाया हो, मगर 15 सालों तक सत्ता करने वाली बीजेपी के मन से ऐठन तो रहेगी ही. 15 सालों का वनवास भोग कर सत्ता में लौटने वाली कांग्रेस के सिर से सत्ता का नशा इतनी जल्दी कैसे उतरेगा? इन तमाम जद्दोजहद में, राजनीतिक रस्साकशी में, एक दूसरे को नीचा दिखाने में नुकसान केवल और केवल आम जनों का ही हो रहा है. इस समय संकट से लड़ने एकजुटता दिखानी चाहिए.
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