- प्रोफेसर नंदिनी सरदेसाई ने बताया मुश्किल समय
- कहा- आखिरकार एक-दूसरे से बात कर रहे लोग
कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की तादाद देश में तेजी से बढ़ रही है. देश में लॉकडाउन लागू है. रेल, बस और विमान सेवाएं पूरी तरह से ठप हैं. सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दिया जा रहा है. लोग घरों में सिमट कर रह गए हैं. महाराष्ट्र में हालात सबसे खराब हैं. ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों को हो रही समस्याओं पर इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई की मां प्रोफेसर नंदिनी सरदेसाई ने बात की और यह भी बताया कि वरिष्ठ नागरिक लॉकडाउन में कैसे रहें.
उन्होंने कहा कि हम बहुत ही मुश्किल समय से गुजर रहे हैं, लेकिन फिर भी मैं आशावादी हूं. यह आसान नहीं है, लेकिन मैनेज कर रही हूं. प्रोफेसर सरदेसाई ने कहा कि एकाकी हूं, लेकिन अकेले नहीं. अपना समय पुराने समाचार पत्र पढ़ने, अपनी फाइलें क्लियर करने और वॉट्सएप पर विश्वसनीय लिंक्स शेयर करने में बिता रही हूं. उन्होंने इन दिनों अपनी दिनचर्या को लेकर भी बात की.
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प्रोफेसर सरदेसाई ने कहा कि सुबह वे घर के कामों में व्यस्त रहती हैं. बहुत पढ़ती हैं, ईमेल करती हैं और फोन पर बातें करती हैं. उन्होंने कहा कि आखिरकार अब लोग एक-दूसरे से बात कर रहे हैं. अब कोई यह नहीं कह रहा कि वह व्यस्त है. इस समय दोस्तों से जुड़ना अच्छा है, आमतौर पर समय नहीं होता. प्रोफेसर सरदेसाई ने इस मुश्किल घड़ी में टेक्नोलॉजी को काफी सहायक बताया और यह भी बताया कि कैसे उनके परिजन नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम का उपयोग करना उन्हें सिखा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि रोज सुबह समाचार पत्र पढ़ना, टहलने निकलना और अन्य गतिविधियां बहुत मिस कर रही हैं. साथ ही यह भी बताया कि उनके जैसे बहुत से वरिष्ठ नागरिक लॉकडाउन में पड़ोसियों और सपोर्ट स्टाफ से सपोर्ट सिस्टम की तलाश कर रहे हैं. प्रोफेसर सरदेसाई ने बताया कि वह खुद 75 साल की हैं और उनकी एक 93 साल की पड़ोसी उन पर निर्भर हैं.
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लॉकडाउन के दौरान वरिष्ठ नागरिकों को कठिनाई न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने महाराष्ट्र सरकार, पुलिस और बीएमसी को धन्यवाद भी दिया और कहा कि वे अब अपने स्वास्थ्य को लेकर पहले से अधिक सजग हो गई हैं. गौरतलब है कि महाराष्ट्र कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित है. प्रदेश में कोरोना से संक्रमित मरीजों की तादाद 2000 के पार पहुंच चुकी है.