इस्लामाबाद: कोरोना संकट (Coronavirus) से निपटने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने अपनी मीडिया टीम को फिर से बदल दिया है. इसके पीछे शायद इमरान की सोच यह है कि नई टीम मीडिया में हो रही आलोचनाओं पर अंकुश लगाने में सफल होगी और उन्हें विरोधियों को खामोश कराने का मौका मिल जाएगा. हालांकि, इसकी संभावना कम ही नजर आती है, क्योंकि पाकिस्तानी अवाम अपने वजीर-ए-आला की गैरजिम्मेदाराना कार्यशैली से आजिज आ चुकी है.
पाकिस्तान में कोरोना की रफ़्तार कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है और इसके लिए पूर्ण रूप से बतौर प्रधानमंत्री इमरान खान जिम्मेदार हैं. इमरान ने शुरुआत में कोरोना के खौफ को हल्के में लिया और अब जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है, तो उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए. इसलिए कभी वह भारत विरोधी राग अलाप रहे हैं, ताकि विरोधियों को अपने साथ खड़ा कर सकें, क्योंकि यही एक मुद्दा है जिस पर पाकिस्तानी नेता एकसुर हो जाते हैं. तो कभी मीडिया में आने वाली आलोचनाओं पर अंकुश की चाल चलते हैं. मौजूदा फैसला मीडिया को कंट्रोल करने की कोशिश का हिस्सा है.
प्रधानमंत्री खान ने सीनेटर शिबली फराज को देश का नया सूचना मंत्री नियुक्त किया है. फराज प्रख्यात उर्दू शायर मरहूम अहमद फराज के पुत्र हैं. वहीं, सूचना और प्रसारण के लिए प्रधानमंत्री के विशेष सहायक (SAPM) डॉ. फिरदौस आशिक अवन को भी हटा दिया गया और उनकी जगह पूर्व सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) असीम सलीम बाजवा को नियुक्त किया गया है. फिरदौस को मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद 18 अप्रैल, 2019 को SAPM नियुक्त किया गया था.
विज्ञान मंत्री फवाद चौधरी ने नई नियुक्तियों की पुष्टि की है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘सम्मानित और प्रतिष्ठित शिबली फराज को पाक का नया सूचना मंत्री नियुक्त किया गया है, और जाबांज असीम सलीम बाजवा को SAPM की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, दोनों के आने से एक शानदार टीम बन गई है. ऑल द बेस्ट’. जनरल रहील शरीफ के सेना प्रमुख रहने के दौरान बाजवा ने पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग, इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के महानिदेशक के रूप में कार्य किया था. वह चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर (CPEC) प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर रहे हैं.
क्यों पड़ी जरूरत?
ऐसे वक्त में जब सरकार का पूरा ध्यान कोरोना संकट से निपटने में होने चाहिए, इमरान खान को मंत्रिमंडल में बदलाव की जरुरत लगातार हो रही आलोचना के चलते पड़ी. दरअसल, यह धारणा बन रही है कि मीडिया को संभालने में सरकार नाकाम रही है. सरकार के अच्छे कार्यों को मीडिया में पर्याप्त स्थान नहीं मिला, जबकि उसकी आलोचनाओं को बढ़चढ़ कर पेश किया गया. इसलिए प्रधानमंत्री ने मीडिया टीम में बदलाव किया है, ताकि मीडिया को नियंत्रित करके अपनी आलोचनाओं को कम किया जा सके.
क्या कुछ फायदा होगा?
इमरान ने भले ही उम्मीदों के साथ मीडिया टीम में बदलाव किया है, लेकिन विशेषज्ञों की नजर में इससे खास फायदा होने वाला नहीं है. उनका कहना है कि जब तक आम जनता सरकार के कार्यों से खुश नहीं होती, तब तक इमरान के लिए स्थिति में खास परिवर्तन आने वाला नहीं है. विश्लेषक अयाज़ आमिर ने दुनिया टीवी (Dunya TV) से बातचीत में कहा कि ‘जिस तरह से ये बदलाव किए गए हैं, उससे कोई अच्छा संदेश नहीं जाएगा और न ही सरकार को मदद मिलेगी’.
लगातार बढ़ रहा आंकड़ा
पाकिस्तान सरकार को COVID-19 महामारी को लेकर देर से जागने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना के अब तक 13,328 मामले सामने आये हैं और 281 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. गौरतलब है कि इमरान खान ने अगस्त 2018 में पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उस वक्त अवाम को उनसे काफी आशा थी, लेकिन अब लोग उनके ढीले रवैये से उकता गए हैं.


