कोरोना के लेटेस्ट अपडेट में एक स्टडी में यह बात सामने आई है की एक प्रकार के फैब्रिक से बने मास्क से इस वायरस के इन्फेक्शन के बचने के साथ-साथ इसे मारा भी जा सकता है।
Edited By Sakshi Pandya | नवभारत टाइम्स | Updated:

इंडिआना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ने एक नए फैब्रिक/कपड़े से फेस मास्क बनाया है। वैज्ञानिकों का कहना है इस मास्क के पहनने वाले को कोरोना वायरस के इन्फेक्शन से ही नहीं बचाया जा सकता, बल्कि यह मास्क कीटाणुओं को मार भी सकता है। इस फैब्रिक को एलेक्ट्रोसुटिकल फैब्रिक के नाम से जाना-जाता है। इसमें मौजूद माइक्रोसेल बैटरीज इलेक्ट्रिकल फील्ड का निर्माण करती हैं, जिससे वायरस नाकाम हो सकता है। इस तरह से इस मास्क की मदद से मास्क पहनने वाले को इन्फेक्ट होने से बचाया जा सकता है। बिना किसी होस्ट के वायरस खत्म हो जाएग। इस फैब्रिक को FDA द्वारा घाव पर लगाने के लिए पहले से अप्रूव किया जा चुका है। यह बैक्टीरियल इन्फेक्शन्स से बचाता है।
कैसे करता है काम
स्टडीज में यह पता चलने के बाद की यह फैब्रिक कोरोनावायरस को ब्लॉक कर सकता है और पहनने वाले को इंफ्केशन से बचा सकता है, V.Dox टेक्नोलॉजी ने इस फैब्रिक से मास्क बनाने के लिए आपातकालीन प्राधिकरण के लिए अप्लाई कर दिया है। एरिजोना आधारित कंपनी टेम्पे के प्रेजिडेंट और चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर माइक नागेल से कहा है कि- हमारी टेक्नोलॉजी मास्क पहनने वाले तक वायरस के पहुंचने से पहले या उसे इन्फेक्ट करने से पहले ही उसे मार देता है। यह फैब्रिक कुछ सालों पहले ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में बनाया गया था। यह चन्दन सेन की लैब में बनाया गया था, जो अब इंडिआना यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसन के डायरेक्टर हैं।

कैसे हुई शुरुआत?
उस समय पर सेन एक ऐसी सामग्री तैयार करना चाह रहे थे जो कि सर्जिकल घावों के बाद के बैक्टीरियरल इंफेक्शन को रोक सके। उनको पता था कि बैक्टीरिया बायोफिल्म बनाने के लिए एक दूसरे से जुड़ने के लिए इलेक्ट्रिकल सिग्नलिंग का इस्तेमाल करते हैं। बायोफिल्म एक पतली परत है जो कि एंटीबायोटिक्स के खिलाफ शील्ड के तौर पर काम करती है।
उन्होंने सिल्वर और जिंक के साथ एक एलेक्ट्रोसुटिकल फैब्रिक तैयार किया जो नमी में आने पर माइक्रोसेल बैटरियों के तौर पर काम करता है और एक लो-लेवल इलेक्ट्रिकल फील्ड तैयार करता है। इलेक्ट्रिकल फील्ड बैक्टीरिया के संपर्क में आने पर हस्तक्षेप करता है और बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है।

कोरोनावायरस ने किया सोचने पर मजबूर
जब कोरोनावायरस महामारी ने असर दिखाया तो सेन मदद के लिए कुछ करना चाहते थे। सेन ने कहा कि “हमारे पास कोई एक वायरस लैब नहीं हैं, लेकिन ऐसी स्थिति में हमारे आसपास जो भी हो रहा था। ऐसे में घर पर बैठना मुश्किल था।” उन्होंने महसूस किया कि ऐसा हो सकता है कि यह मैटेरियल वायरस की किसी व्यक्ति को संक्रमित करने की क्षमता पर भी असर कर सकता है। वहीं बायोफिल्म के लिए मैकेनिज्म अलग है, लेकिन आखिर में नतीजा वही निकला कि संक्रमित करने की क्षमता खत्म हुई।
सेन और उनके साथियों ने लैब में उस थ्योरी का टेस्ट किया। उन्होंने देखा कि कपड़े के संपर्क में आने के एक मिनट के अंदर ही वायरस की किसी को संक्रमित करने की क्षमता खत्म हो गई। उन्होंने प्रीप्रिंट सर्वर chemrxiv.org पर शुरुआती रिजल्ट ऑनलाइन प्रकाशित किए।

जल्द आएगा यह मास्क
अब, इस फैब्रिक को जल्द ही दो प्रोडक्ट्स में लाने की तैयारी की जा रही है। एक वाशेबल मास्क, जिसमें यूजर फैब्रिक की एक लेयर को हटा पाएगा और दूसरा मास्क, जिसे सिर्फ एक बार इस्तेमाल कर के फेकना होगा। कंपनी इन प्रोडक्ट्स को बाजार में जल्द ही लाने की तैयारी में है। अभी कंपनी ने इस प्रोडक्ट की कीमत तो निर्धारित नहीं की है, लेकिन यह डिस्पोजेबल मास्क से महंगा ही होगा, लेकिन फिर भी अस्पतालों और हेल्थ केयर वर्कर के लिए इसकी कीमत किफायती रखी जाएगी।
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