Edited By Garima Singh | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

हममें से हर कोई अपने दिमाग को स्वस्थ और तेज रखना चाहता है। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि दुनिया की हर चीज को सिर्फ और सिर्फ अपने दिमाग के बल पर ही हासिल किया जा सकता है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपकी सफलता की गाड़ी बुलेट की स्पीड से दौड़े तो खान-पान के कुछ जरूरी नियमों का ध्यान रखें…
हमारे पूर्वज और विद्वान अपने भोजन में केवल सरसों तेल और देसी घी का उपयोग किया करते थे। आज के हेल्थ एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि सरसों का तेल और देसी घी हमारे दिल और दिमाग की सेहत के लिए बहुत अधिक फायदेमंद हैं। सरसों तेल में बने खाने की खूबियों के बारे में हम पहले बात कर चुके हैं। आज यहां इस बारे में जानेंगे कि आज की लाइफस्टाइल के हिसाब से हर दिन एक व्यक्ति को कम से कम कितनी मात्रा में देसी घी खाना चाहिए। ताकि ना तो उसके शरीर में फैट जमा हो और उसका दिमाग भी तेजी से निर्णय ले पाने के लायक बने…
देसी घी की कम से कम मात्रा
-हर दिन दाल और सब्जी खाते समय अपने खाने में कम से कम 2 छोटे चम्मच देसी घी जरूर शामिल करें। इससे आपके दिमाग की कार्य क्षमता बढ़ेगी और कोशिकाओं को मजबूती मिलेगी।
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-आप दोनों समय के भोजन और नाश्ते में भी इतनी मात्रा में देसी घी का उपयोग हर दिन कर सकते हैं। यह मात्रा स्वस्थ व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए बताई गई है। जिन लोगों को हार्ट, शुगर या कोई अन्य गंभीर रोग है, उन्हें अपनी डायट में किसी भी नई चीज को शामिल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
दिमाग तेज बनाने का तरीका
-कोशिश करें कि यह घी देसी गाय के दूध से बना हो। क्योंकि हमारा दिमाग सिर्फ घी खाने से नहीं बल्कि देसी गाय के घी से तेज होता है। ऐसा गायों की अलग-अलग प्रजाति और उनके दूध से मिलनेवाले अलग-अलग गुणों के कारण होता है।
-देसी गाय का घी जहां हमारे दिमाग को तेज और कुशाग्र बनाता है। वहीं जर्सी गाय और भैंस का दूध हमारे शरीर को बलवान बनाने का काम करता है। यानी मसल्स बनानी हैं तो भैंस के दूध और घी का उपयोग करें और दिमाग तेज बनाना है तो देसी गाय के दूध और घी का।
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-हमारे समाज में खान-पान को लेकर जिस तरह की दिक्कतें बढ़ रही हैं, उसकी सबसे बड़ी वजह ही यही है कि हमारी शिक्षा का स्तर तो सुधरा है लेकिन सामाजिक ज्ञान और सांस्कृतिक शिक्षा पर ध्यान देना लगभग बंद हो गया है। पुराने समय में जिन लोगों को अपना नाम भी लिखना नहीं आता था, उन्हें भी इस बात की जानकारी होती थी कि कौन-सा भोजन किस मौसम में और कितनी मात्रा में खाना चाहिए। जबकि आज के समय में आयुर्वेदाचार्यों और डायटीशियंस को छोड़ दें तो ज्यादातर डॉक्टर्स भी मौसम के हिसाब से डायट के बारे में सलाह नहीं देते हैं।
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यह भी जरूरी है
-कभी भी कोई एक फूड या ऐक्टिविटी हमें पूरी तरह स्वस्थ नहीं रख सकती। इसके साथ में हमें कुछ और भी करना होता है। इसलिए देसी घी के सेवन के साथ ही यदि आप नियमित रूप से व्यायाम, योग, दौड़ना या सुबह की सैर करना शुरू करेंगे तो आप 10 से 15 दिन के अंदर ही अपने आपमें एक सकारात्मक बदलाव देख पाएंगे।
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