टोरंटो: भारत के किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर बयानबाजी करने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) का ‘चीनी लिंक’ उजागर हुआ है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रूडो चीन के करीब जा रहे हैं और 2019 में उन्होंने दोनों देशों की सेनाओं के बीच सर्दियों के मौसम में युद्धाभ्यास की योजना भी बनाई थी. हालांकि, ये बात अलग है कि उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी. इस खुलासे के बाद अब यह सवाल लाजमी हो गया है कि क्या जस्टिन ट्रूडो बीजिंग के इशारे पर किसान आंदोलन को लेकर बयानबाजी कर रहे थे, जबकि यह भारत का आंतरिक मामला है.
टॉप सीक्रेट दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) ने 2019 में चीन और कनाडा की सेनाओं के बीच सर्दियों के मौसम में युद्धाभ्यास की योजना बनाई थी. युद्धाभ्यास की सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थीं, लेकिन ऐन वक्त पर कनाडा के चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जोनाथन वेंस (General Vance) ने इस पर सवाल खड़े कर दिए और ट्रूडो की इच्छा पूरी नहीं हो सकी.
China को होगा फायदा
‘द ग्लोब एंड मेल’ की रिपोर्ट के मुताबिक खुफिया दस्तावेजों से पता चलता है कि जनरल वेंस के चीनी सेना के साथ अभ्यास की योजना को रद्द करने के बाद वैश्विक मामलों के मंत्रालय को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे. अमेरिका ने भी इस संयुक्त अभ्यास पर चिंता जताई थी और कहा था कि इससे चीन को फायदा हो सकता है.
भड़क गए थे PM
रिपोर्ट में एक शीर्ष सैन्य अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि जनरल वेंस ने अमेरिका के अनुरोध पर चीन के साथ युद्ध अभ्यास और सभी तरह के सैन्य संवाद को रद्द कर दिया था. जिसे लेकर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो काफी नाराज हो गए थे. जिसके बाद जनरल वेंस ने वुहान में चल रहे मिलिट्री वर्ल्ड गेम्स में कनाडा के सैनिकों को हिस्सा लेने की अनुमति दे दी थी.
Farmers Protest पर दिया था बयान
पिछले हफ्ते कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर बयानबाजी की थी. एक सवाल के जवाब में उन्होंने आंदोलन पर चिंता जताते हुए कहा था कि कनाडा दुनियाभर में कहीं भी होने वाले शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार के लिए हमेशा खड़ा रहेगा. जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया था. उच्चायुक्त को बताया गया था कि भारतीय किसानों से संबंधित मुद्दों पर कनाडाई प्रधानमंत्री और कुछ कैबिनेट मंत्रियों की टिप्पणी भारत के आंतरिक मामलों में अस्वीकार्य हस्तक्षेप के समान है.


