श्रीराधा कृष्ण मंदिर समिति द्वारा बाबा दरबार धनोरा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन बाल विदुषी अंगेश्वरी पांडे ने मानव जीवन में परमात्मा की प्राप्ति के उपाय बताए। उन्होंने कहा कि अभिमान मानव जीवन के लिए बुझी हुई राख के बीच छिपी चिंगारी है, जो दिखाई नहीं देती और परमात्मा की प्राप्ति के मार्ग में घातक साबित होता है|
उन्होंने कहा कि मनुष्य ईश्वर और मौत को कभी न भूले। सत्संग के मार्ग पर चलकर परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है| जीवन में दान का महत्व बताते हुए बाल विदुषी दीदी ने बताया कि दान जीव के कल्याण का अचूक उपाय है| मानव जीवन और कलयुग में दान की श्रेष्ठता है| इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन की कमाई का निश्चित हिस्सा योग्य को दान करना चाहिए। प्रेम तीन प्रकार का होता है, पहला स्वार्थ प्रेम आत्मा केंद्रित होता है, दूसरा साधारण प्रेम जिसमें परस्पर सुख की कामना होती है यानी, मुझे सुख चाहिए, लेकिन जिससे सुख कि अपेक्षा करता हूं वह भी सुखी रहे| तीसरा परम प्रेम जिसमें कामना, वासना या अन्य कोई इच्छा नहीं होती। काम गंध रहित प्रेम ही सच्चा प्रेम है।
परसाही में कथा के पहले दिन निकाली कलशयात्रा
कथा से पहले बाल विदुषी का सम्मान हुआ।
जामगांव आर|ग्राम परसाही में ग्रामीणों के सहयोग से श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह की शुरुआत कलश यात्रा से हुई। इसमें महिलाएं शीतला मंदिर में पूजा के बाद जल लेकर सभी ग्राम देवस्थलों मे भी पूजा करते हुए राधाकृष्ण मंदिर प्रांगण पहुंची। यहां कथा की शुरुआत हुई। प्रवचनकर्ता पं. कुलेश्वर प्रसाद तिवारी ने भागवत कथा का महात्म्य बताते हुए कहा कि सच्चिदानंद स्वरुप भगवान श्रीकृष्ण हैं, जो जगत की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश के लिए और आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक, तीनों प्रकार के तापों का नाश करने वाले हैं। अनेक पुराणों और महाभारत की रचना के बाद भी भगवान व्यासजी को परितोष नहीं हुआ।
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