राधा कृष्ण मंदिर समिति द्वारा धनोरा में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन प्रवचनकर्ता अंगेश्वरी पांडे ने कहा कि अपने कर्म से भगवान की अराधना करें।
कर्म तब तक कर्म है जब तक संसारी वस्तुओं के लिए है| लेकिन जब कर्म भगवान की सेवा के लिए नि:स्वार्थ भाव से होने लगता है तब वह कर्म योग बन जाता है| यदि वर्तमान अच्छा है तो पूर्व में किए गए कार्य जरूर अच्छे रहे होंगे और पूर्व के सत्कर्मो के प्रभाव से भविष्य भी अच्छा ही रहेगा। उन्होंने कहा कि भागवत कथा पुरुषार्थ और परमार्थ की कथा है, इसके श्रवण मात्र से कई पुरखे तर जाते हैं| प्राय: एेसा देखा गया है कि हमारी दिनचर्या का ज्यादातर हिस्सा दूसरों की निंदा और परदोष दर्शन में बीत जाता है|वो कीमती समय हम किसी अच्छे कार्य भगवान के नाम ध्यान में लगा सकते थे। दूसरो में बुराइयां देखकर हम न केवल अपने मन मस्तिक को कचरा पात्र बना देते हैं बल्कि असफलओं को निमंत्रण देते हैं।
प्रभु की भक्ति से मिलती ही मनुष्य जीवन में मिलती है शक्ति:पं.तिवारी
जामगांव आर|राधाकृष्ण मंदिर प्रांगण परसाही में आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह में मंगलवार को भक्तों ने भगवान की की आराधना की। व्यास पीठ पर विराजित पं. कुलेश्वर प्रसाद तिवारी ने कहा कि काम क्रोध, मद, मोह का मायाजाल ही भव-भव से मुक्ति के लिए बाधक बनती है। भागवत इस मायाजाल से मुक्त होने का रास्ता बताती है। भागवत ध्यान पूर्वक सुने मनन चिंतन कर आत्मसात करें आत्मा का कल्याण होने लगेगा भव भव के जन्म मरण से मुक्ति का मार्ग सुगम होने लगेगा। इस नश्वर संसार मे मिले दुर्लभ मानव जीवन भी सार्थक हो जाएगा। पंडित ने कहा कि हृदय से प्रभु का स्मरण करें। सकारात्मक सोच की रोशनी प्रगट होने लगेगी।
पंडित कुलेश्वर