दंतेवाड़ा. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा (Dantewada) जिले के बारसूर इलाके को अबूझमाड़ की दक्षिणी द्वार कहा जाता है. अबूझमाड़ (Abhujhmad) का जिक्र होते ही लालआतंक की तस्वीर मानस पटल पर खुद ब खुद उभरने लगती है. ऐसा इसलिए है कि माओवाद की राजधानी के रूप में अबूझमाड़ की पहचान होती है. गोलियों की तड़तडाहट और बम बारूद की दुर्गंध से अबूझमाढ़ पूरे देश में जाना जाता है. अब यहां बारूद की फसल नहीं उगेगी हरित क्रांति का संदेश जाएगा. इसी अबूझमाड़ में जिला प्रशासन ने किसानों को आय दोगुनी करने के सपने दिखाए हैं. सपने दिखाए ही नहीं इनको साकार करने के लिए योजना को जमीन पर भी उतार दिया है.
जमीनी अमला इस पर जमीनी स्तर पर पसीना भी बहा रहा है. किसानों की आय दो गुनी करने के लिए अभिनव पहल हुई है. पूना माड़ाक़ाल के तहत योजना को साकार रूप दिया जा रहा है. दक्षिण बस्तर के किसानों के चेहरे पर खुशी देखी जा रही है. बरसात के पानी पर निर्भर किसान अब खेतों में पानी के लिए मोहताज नहीं होगा. ऐसा इस लिए है कि जिला प्रशासन ने खेतों के लिए नदी-नालों से तैयार किए इस प्रॉजेक्ट को जमीन पर उतार दिया है. इस प्रॉजेक्ट को साकार रूप देने के लिए जमीनी अमला जमीनी स्तर पर काम कर रहा है. इस प्रॉजेक्ट से अबूझमाड़ के किसानों को भी सीधा लाभ पहुंच रहा है. इंद्रावती नदी के उस पार के सैकड़ों किसान खेतों की पानी की किल्लत से निजात पा चुके हैं.
नदी तट के 1100 किसान होगें लाभाविंत
जिले में 11 प्रॉजेक्ट तैयार हो चुके है. इनमें इंद्रावती नदी के किनारे के गांव पहुंरनार, चेरपाल, काउरगांव के किसानों को इस योजना का लाभ भी मिल रहा है. किसान वहां खेती भी कर रहे हैं. इन 11 प्रॉजेक्ट्स से 1100 से अधिक किसानों को लाभ पहुंचेगा. उन गांव के लिए ये प्रॉजेक्ट्स हैं, जो नदी किनारे स्थित है. उनके खेत भी नदी किनारे हैं. उनको वॉटर लिफ्ट कर सिंचाई का लाभ दिया जा रहा है.
झोड़िया बाड़म में काम चल रहा जोरों पर
झोड़िया बाड़म गांव वैसे भी उन्नत खेती करने वाले किसानों का है। यहां किसान अपनी मेहनत से पहले भी खेती को बहुत बेहतर तरीके से करते आ रहे हैं, लेकिन जो खेत नदी किनारे है उनको पानी की सुविधा नहीं मिल पा रही थी. यहां के किसानों ने चर्चा के दौरान के बताया कि कई एकड़ जमीन बरसात के पानी पर ही निर्भर है. बरसात अच्छी हुई तो ठीक नहीं तो पड़ी ही रहती है. जिला प्रशासन के इस प्रॉजेक्ट से किसानों को बहुत लाभ मिलेगा. खेतों में पाईप लाइन बिछ रही है. हरिश्चंद्र यादव बताते है कि आय तो दो गुनी होगी ही साथ ही आर्थिक बल भी प्रदान होगा. पानी की किल्लत से जूझ रहे किसान की चिंता की लकीरें मिट जाएंगी.
कलेक्टर दंतेवाड़ा दीपक सोनी ने न्यूज़ 18 को बताया कि नदी तट से लगे जितने भी किसानों के खेत हैं, उनको सिंचाई की सुविधा मिले. इसलिए सिंचाई की व्यवस्था की जा रही है. 11 प्रोजेक्ट्स तैयार किए गए हैं. इंद्रावती नदी किनारे के पाहुंरनार,चेरपाल, काउरगांव के लाभ भी ले रहे हैं. वॉटर सोर्स जहां भी है वहां वॉटर लिफ्टिंग की योजना है. कई जगह काम भी चल रहा है. करीब 1100 किसानों को सिंचाई का लाभ मिलेगा.
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