रायपुर,ब्यूरो। छत्तीसगढ़ के दिग्गज भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी ओएसडी उज्जवल दीपक ने कांग्रेस नेता और वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अंदर एक प्रधानमंत्री का चेहरा ढूंढा है। दीपक ने वो 14 वजहें गिनाई हैं, जिनके बूते भूपेश बघेल प्रधानमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं। कांग्रेस उन्हें साल 2024 लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री पद का चेहरा बना सकती है।
यह हैं 14 वजहें
- यारों के यार
- निडर और बेबाक़
- देश के सबसे अच्छे इवेंट मैनेजर
- चाणक्य सी कुटिलता
- कुशल राजनीतिज्ञ ही नहीं, बेहतरीन व्यवसायी भी
- इतिहास और भविष्य, दोनों के खिलाड़ी 🎲
- मानव संसाधन प्रबंधन में निपुणता
- ज़मीन से जुड़े नेता 🚜
- महिला शक्ति पर भरोसा 😊
- धान के कटोरा के असली राइस मिलर ?
- कलम की ताक़त की पहचान
- व्यापारियों के हितैषी 💵
- भूपेश है तो भरोसा है !
- हाइकमान के वफ़ादार ।
- यारों के यार

पूरे देश में आज भूपेश बघेल एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में पहचाने जाते हैं और लगता है की स्वर्गीय विद्याचरण शुक्ला जी और श्री अजीत जोगी जी के बाद राष्ट्रीय राजनीति में छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के एक बड़े चेहरे बनने के योग्य हैं। इन संभावनाओं के बावजूद वो अपने स्वर्णिम राजनैतिक करियर को ताक में रखकर अपने दोस्तों और निकट सहयोगियों के पक्ष में पूरी ताक़त से खड़े हैं । उनके निकट सहयोगी बताते हैं की जिन्होंने भी उनको मुख्यमंत्री बनने में मदद की है, उनके संघर्ष के दिनों में तन-मन या धन से सहायता की है, या फिर मुख्यमंत्री का पद सुरक्षित रखने में सहायता की है, वो उसके साथ खड़े हैं ।पूरी शिद्दत और जी जान से। उनकी यही बात बहुत प्रभावी है । एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के नाते उनको यह मालूम है की इन दोस्तों द्वारा किए गए पाप की आँच उन तक पहुँचने ही वाली है और उनका मुख्यमंत्री पद जा सकता है, शायद जेल भी जा सकते हैं, परिवार के अन्य लोग भी, उनका राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण भी खटाई में जा सकता है पर इन सबके बावजूद उन्हें चिंता होती है छोटे छोटे मासूम दलालों, कोचियों, और हवाला ऑपरेटरों की तकलीफ़ की।
- निडर और बेबाक़ – ईडी, सीबीआई, आईटी- सबसे पंगा लेते है
जब इन भोले भाले कार्यकर्ताओं को ईडी लंबे समय तक बिठाकर रखती है, शायद उन्हें और कोई भी तकलीफ़ देते हैं, सीधे मुख्यमंत्री जी को पीड़ा होती है । उन्हें अनुभव है की जेल में अच्छा खाना और बाक़ी संसाधन उपलब्ध नही होते, वो जेल में बंद अपने साथियो की सुविधा का भी पूरा ख़्याल रखते हैं ऐसा सुनने में आया है । ष्ग़लतष् तरीक़े से फँसाये गये उनके दोस्तों के लिए देश के प्रख्यात वकीलों को फ़ीस के लिए बोलना ही नहीं पड़ता। बताते हैं कि चार्टर प्लेन की व्यवस्था हो या फिर कोई और व्यवस्था हो, वो राज्य का सारा प्रशासन छोड़कर उनकी तीमारदारी में लग जाते हैं ।
- देश के सबसे अच्छे इवेंट मैनेजर और मेहमाननवाज़
छत्तीसगढ़ में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में हुए खर्चे देखकर हाईकमान भी अचंभित रह गया था । किसी की मेहमाननवाज़ी में कोई कमी नहीं कि गई थी । गुलाब की पंखुड़ियाँ बिछाने से लेकर महँगी शराब तक । कवासी लखमा जी का भरपूर उपयोग किया गया । सुनने में आया है की ऐसी ऐसी शराब की बोतलें अगले दिन अधिवेशन स्थल के बाहर देखी गयीं जिनका राज्य के समर्पित कायकर्ता आज तक नाम भी नहीं सुने थे । अब नशे के पैसों से हुए समुद्र मंथन में अमृत मिलने की अपेक्षा रखना ही ग़लत है। हाँ, हलाहल अवश्य निकला जिसको कंठ में धारण करने कोई नीलकंठ बनने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा।
- चाणक्य सी कुटिलता और तेज दिमाग़
भूपेश बघेल वैलकम फ़िल्म के वो राजपाल ताड़व हैं जो फिरौती की रक़म कम कराने परेश रावल को ले जाता है और रक़म को दुगुना करवा देता है। कभी म्क् वालों को कहते हैं की दोषी लोगों को गिरफ़्तार करके दिखाओ या कभी कहते हैं उनकी संपत्ति ज़ब्त करके दिखाओ। ईडी को चुनौती देकर अपने प्यादों को संकट में डाल देते हैं। कभी कभी तो लगता है की ये चुनौती है या दिशा निर्देश !
- कुशल राजनीतिज्ञ ही नही, बेहतरीन व्यवसायी भी
कोयले की दलाली में हाथ काले होते हैं सुने थे मगर भूपेश जी कोई काम ख़ुद नहीं करते तो हाथ काले होने का सवाल ही नहीं होता। सूत्रों के मुताबिक़ अपने अधिकारियों को दस्तानों की तरह इस्तमाल कर अपनी सूझबूझ का परिचय देते हैं। काले हुए तो अधिकारी जाने और हाइकमान तो खुश हैं ही । कुछ अधिकारी बताते हैं की कोयले की कारगर नीति बनाने के लिए उन्होंने श्री सूर्यकांत तिवारी जैसे ऊर्जावान, प्रतिभाशाली और कारोबार में निपुण व्यक्ति का चुनाव किया । सूर्यकांत जी बहुत गोरे -गोरे इंसान हैं । कोयले के काले काम में भी ज़रा सा काजल भी उन्हें छू नहीं पाया । अब देखने वाली बात यह है की क्या सिर्फ़ दास्ताने ही जेल की कोठरी में जाएँगे या ये कालिख कभी हाथों तक भी पहुँचेगी।
- इतिहास और भविष्य – दोनों के खिलाड़ी
भूपेश बघेल जी को दर्द मालूम है, राजनीति का । कई चुनाव लड़े, हारे भी और जीते भी । पैसा बहुत लगता है । पाटन के उनके एक जानने वाले बताते हैं की अपने सारे पुराने मित्रों कि व्यवस्था कर दी है भूपेश बघेल ने उनकी पूँजी निवेश की हैसियत के मुताबिक़ किसी को शराब का अहाता (चखना सेंटर) तो किसी को आयरन ओ आर ई की खदानें। सबकी चिंता बराबर करते हैं भूपेश जी । भूपेश बघेल जी बहुत ग़रीबी से आगे बढ़े हैं । ग़रीबी का दंश झेले हुए हैं । उनके चाहने वाले बताते हैं की भूपेश जी नहीं चाहते की उनका कोई भी दोस्त गरीब बना रहे । उनके साम्राज्य में सभी सेट हो जायें । सभी की महँगी गाड़ियों में पेट्रोल फ़ुल रहे । पान ठेलों और नाश्ते वाले होटलों में उधारी की जगह पैसा जमा रहे अगले ५ सालों का । क्या पता कब बुरे दिन आ जायें ?
- मानव संसाधन प्रबंधन में निपुणता
अधिकारी गण बताते हैं की मुख्यमंत्री जी को आदमी की पहचान बहुत अच्छी है । किस व्यक्ति से कौन सा काम लेना है, वो भली भाँति जानते हैं । किसको शराब की नीति बनाने का काम देना है ताकि राज्य के राजस्व में बढ़ोत्तरी हो । सूत्रों के मुताबिक़ शराब के काम के लिये श्री अनवर ढेबर जैसे काबिल व्यक्ति को चुना गया । वो एक सम्मानीय होटल कारोबारी हैं और बताते हैं कि शायद उनके धर्म में शराब को हराम माना गया है और शायद वे शराब का व्यसन भी नहीं करते। जब वो ख़ुद नहीं पीते तो ग़बन का सवाल ही पैदा नहीं होता । जितना राजस्व में आना चाहिए था, उतना ही आया । कुछ पत्रकार मित्रों ने बताया की पहले की सरकारों में शराब दुकानों में कुछ विशिष्ट लोगों को दारू पर डिस्काउंट मिला करता था । अब इसकी ज़रूरत नहीं पड़ती। सीधा डिस्टिलरी से भिजवा दिया जाता है । मुफ़्त। अपनी ख़ुद की है भई । बनाने वाले भी और पीने वाले भी ।
- ज़मीन से जुड़े नेता
भूपेश बघेल जी ज़मीन से जुड़े नेता हैं । ज़मीनों का महत्व उन्हें मालूम है । दूरदर्शी हैं, कौन सी ज़मीन का रेट कब और कैसे बढ़ेगा, सारा अनुभव रखते हैं। रेल लाइन कहाँ आएगी, फ़ूड पार्क कहाँ बनेगा, किस ज़मीन को सरकार 4 गुना मुवावजा कहाँ मिलेगा!
- महिला शक्ति पर भरोसा- कोई लिंग भेद नही । परिवारवाद भी नही !
सूत्र बताते हैं की महिलाओं की शक्ति पर भूपेश बघेल को को पूरा विश्वास है । वो किसी भी कार्य में लिंग भेद नहीं करते । उन्होंने अपने सबसे विश्वस्त सिपहसलार के रूप में सौम्या चौरसिया को रखा क्योंकि वो बेहद क़ाबिल अफ़सर थीं। बड़े बड़े आईएएस आईपीएस आईएफएस भी उनकी विद्वता का लोहा मानते हैं। सीनियरिटी का ख़्याल नहीं करते हुए उन्होंने मेरिट को चुना । एक एसडीएम स्तर की अधिकारी को सारे अधिकार दिये और पूरा राज्य चलाने का जिम्मा । अपने आपको सिर्फ़ राजनीति में व्यस्त कर रखा । दोस्तों पर इतना विश्वास कोई बिड़ला ही कर सकता है । उनके मित्रों का कहना है की काम के मामले में वो अपने परिवार की भी नहीं सुनते । भले ही वो ग़ुस्सा हो जायें, आना जाना बंद कर दें, पत्नी, बेटा, बेटी- दामाद, सबको उन्होंने अपने करमों से दूर रखा । किसी को कार्यों में इंटरफेरेंस की इजाज़त नहीं थी । इन सबको भी कोई काम पड़ता है तो इनके दोस्तों से ही आग्रह करना होता है । उनको अगर ठीक लगता है तो ही इनके काम होते हैं । सीधा सपाट काम । परिवार की नहीं चलती । पूरा प्रोटोकॉल प्रबंधन है । काम निश्चित चौनल से ही होगा।
- धान के कटोरा के असली राइस मिलर
भूपेश बघेल जी छप्पर फाड़ कर देते हैं। ख़ुद एक किसान रहे हैं । राइस मिलर दोस्तों की तकलीफ़ें बखूबी जानते हैं । एक ऐसे ही मिलर ने बताया की जब राइस मिल एसोसिएशन कस्टम मिलिंग की दर बढ़ाने का आवेदन लेकर पहुँचा तो उनकी उम्मीद थी की 40 रुपये से 60-70 हो जाएगा लेकिन उनके उम्मीद के परे 120 रुपये कर देने से वो हतप्रभ थे। अब कुछ खर्चा भी करना पड़े तो क्या दिक़्क़त है भाई? तो धान अब कहीं भी कुटाये असली मिलिंग तो हमारे कका ही कर रहे हैं ! अपने कार्यकर्ताओं को राशन दुकान खुलवाकर सबका ख़्याल रखा है भूपेश बघेल जी ने।
- क़लम की ताक़त पहचानते हैं मुख्यमंत्री जी
राष्ट्रीय मीडिया चौनल के मालिक लोग तारीफ़ करते नहीं थकते हमारे मुख्यमंत्री जी की । गर्व होता है जब वो बताते हैं कि एक बार मुलाक़ात के बाद ही उनकी करोड़ों के विज्ञापन वाली अर्ज़ी पर त्वरित कार्यवाही कर मुख्यमंत्री जी ने उनके दिल्ली पहुँचने के पहले ही चेक भिजवा दिया है। सब गाते हुए रायपुर एयरपोर्ट से निकलते हैं .तेरे जैसा यार कहाँ ?? बघेल जी को मालूम है की सच्ची पत्रकारिता करने के लिए विज्ञापन ज़रूरी हैं । इसके पहले की कोई बड़ा मीडिया समूह कोई और पेशकश करे, हमारे मुख्यमंत्री वैध तरीक़े से उनको खुश कर देते हैं । हमारे जनसंपर्क विभाग की गूंज पूरे देश में है । लोकल पत्रकार तो वेब पोर्टल पर छोटे छोटे विज्ञापनों से ही अति प्रसन्न हैं । श्री रूचिर गर्ग और विनोद वर्मा बड़े पत्रकार रहे हैं । वो सभी दोस्तों का बढ़िया ख़याल रखते हैं ।
- मेहनत कर पैसा कमाने वाले व्यापारियों के सच्चे हितैषी
कुछ व्यापारी मित्रों ने बताया की किसी भी व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल को कोई सब्सिडी चाहिए, ज़मीन चाहिए, एमओयू करना हो, बिजली के रेट कम करवाने हों, बिजली बिल माफ़ करवाना हो, या फिर कोई सेटलमेंट करना हो, चाहे उसके लिए आरबीआई से उधार लेने हो, मुख्यमंत्री परहेज़ नहीं करते । भाड़ में जाए राज्य की वित्तीय हालत, दोस्ती पहले आएगी । यारों के यार हैं बघेल जी । भले राज्य की वित्तीय हालत आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया की स्थिति में हो लेकिन असली आमदनी को रुपया से दो रुपया और दो से चार करना का व्यापारिक गुण हमारे मुख्यमंत्री के पास ही है ।
- भूपेश हैं तो भरोसा है
अधिकारी वर्ग बड़े शान से भूपेश बघेल का गुणगान करते हुए बताते हैं की अधिकारियों की पदोन्नति हो या फिर उन्हें उनके सीनियर्स को पछाड़कर सबसे पड़ा पद पाना हो, अगर आप मुख्यमंत्री बघेल के दोस्त हैं तो फिर आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है । मनचाही, मलाईदार पोस्टिंग आपको मिल जाएगी । भूपेश बघेल जी वादे के पक्के हैं । भूपेश हैं तो भरोसा है । भरोसा ये भी है कि अगर किसी अधिकारी ने बदमाशी की या आदेश की अवहेलना की तो युवा कार्यकर्ता अधिकारी को थाने के अंदर या उसके कार्यालय में ही उसकी औक़ात बता देते हैं । आईएएस आईपीएस होने का सारा ग़ुरूर ख़त्म कर दिया जाता है । डर क़ायम रखना ज़रूरी है भाई।
- हाईकमान के वफादार और एक ज़बरदस्त कलाकार
छत्तीसगढ़ियावाद का झुनझुना पकड़कर राज्य की भोली भाली जनता को गेड़ी पर चढ़ाना आता है भूपेश बघेल जी को । लेकिन हाइकमान के आदेश के आगे छत्तीसगढ़ियावाद को भी तिलांजलि दे दी । हमारे मुख्यमंत्री इतने ज़बरदस्त कलाकार हैं की पूछिए मत । वो गोलमाल फ़िल्म के वो अमोल पालेकर है जो मूँछ लगाकर छत्तीसगढ़िया बन जाते हैं और जब राज्यसभा भेजने की बारी आती है तो मूँछ हटाकर दिल्ली दरबार का निष्ठावान दरबारी बन जाते हैं। अपने परदेसिया दोस्तों को छत्तीसगढ़ से राज्यसभा भेजने के लिए उन्होंने किसी की परवाह नहीं की । हो सकता है इसी बात पर वो चुनाव हार जायें पर वो अपने वचन और डील के पक्के हैं।