Tuesday, July 1, 2025
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आदि गुरू शंकराचार्य को जानें : सनातन की फहराई थी पताका, मध्य प्रदेश में स्थापित हुई है 108 फीट उंची प्रतिमा

भोपाल। आज मध्य प्रदेश में एक इतिहास लिखा गया है। मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची 108 फीट की एक प्रतिमा ओंकारेश्वर के मंधाता पर्वत में स्थापित की गई है। अलग-अलग धातुओं के मिश्रण से भारत और चीन में हुए​ निर्माण का दिव्य स्वरूप आज साकार हो गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस प्रतिमा का अनावरण किया। अभी प्रतिमा की स्थापना हुई है। इसके आसपास ओंकार पर्वत (मांधाता पर्वत भी) की 11.5 हेक्टेयर जमीन पर अद्वैत लोक का निर्माण शुरू हो रहा है। आखिर आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि यह आदि शंकराचार्य (Adi Shankracharaya) कौन हैं, जिस पर सरकार 2400 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।

Adi Shankar Shankracharya Statue 108 Tall Statue Mandhata Parvat Omkareshwer Khandwa Madhya Pradesh

आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के कालड़ी गांव में 508-9 ईसा पूर्व मानी जाती है और महासमाधि 477 ईसा पूर्व में हुई थी। उनकी मां का नाम आर्याम्बा और पिता का नाम शिवगुरु था। आदि शंकराचार्य की जन्म स्थली केरल थी, लेकन उन्होंने जंगलों, पहाड़ों से यात्रा करते हुए ओंकारेश्वर में ज्ञान प्राप्त किया। वे 12 साल की उम्र में ओंकारेश्वर से वेदांत के प्रचार के लिए निकले थे। यहां से ज्ञान प्राप्त कर वे काशी की ओर आगे बढ़े। उनके अद्वैत वेदांत के कारण भारत एक है। ग्रंथों में उल्लेख है कि 32 वर्ष की छोटी से आयु में ही इन्होंने देश के चार कोनों में चार मठों ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम, श्रृंगेरी पीठ, द्वारिका शारदा पीठ और पुरी गोवर्धन पीठ की स्थापना की थी।

आज भी चारों पीठ बहुत प्रसिद्ध और पवित्र माने जाते हैं। इन चार पीठों में आसानी संन्यासी ‘शंकराचार्य’ कहे जाते हैं। चारों पीठों की स्थापना का उद्देश्य सांस्कृतिक रूप से पूरे भारत को उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम जोड़ना था। आदि शंकराचार्य ने सांस्कृतिक रूप से देश को जोड़ने का कार्य किया। सनातम धर्म को पूरे भारत के कोने—कोने तक पहुंचाने वाले आदि शंकराचार्य ही थे।

Adi Shankar Shankracharya Statue 108 Tall Statue Mandhata Parvat Omkareshwer Khandwa Madhya Pradesh

एक नजर में अद्वैत लोक

  • आदि शंकराचार्य की 12 वर्ष की उम्र के बाल रूप वाली 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित
  • प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामत ने प्रतिमा का चित्र बनाया
  • चित्र को आधार बनाकर जाने-माने मूर्तिकार भगवान रामपुरे ने प्रतिमा को आकार दिया
  • 108 फीट की भव्य प्रतिमा का निर्माण लार्सन एंड ट्रुबो (L&T) कंपनी ने किया है
  • प्रतिमा 290 पैनलों के माध्यम से बनाई गई है
  • जमीन की सतह से मूर्ति के बेस तक 45 फीट का आधार स्तंभ बनाया गया है
  • आधार स्तंभ के ऊपर कमल पर आदि शंकराचार्य की प्रतिमा को विराजित किया गया है
  • 100 टन है वजन
  • स्टेच्यू में 88 फीसदी कॉपर, 4 फीसदी जिंक, 8 फीसदी टिन धातु का उपयोग किया गया है
  • पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर में 250 टन की हाई क्वालिटी स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल किया गया है
  • मूर्ति के बेस में 75 फीट का पैडस्टल है
  • कांक्रीट पैडस्टल को 500 साल के हिसाब से ध्यान रखते हुए तैयार किया गया है
  • संपूर्ण अद्वैत लोक के निर्माण के लिए वर्ष 2026 तक लक्ष्य तय किया गया है

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