- कांग्रेस के लिए चूहे बिल्ली का खेल बनी आमला सीट
- आमला से प्रत्याशी मनोज मालवे छोड़ सकते हैं टिकट
भोपाल। मध्य प्रदेश की बहुचर्चित डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे (Nisha Bangre) का इस्तीफा आखिरकार मंजूर हो ही गया। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की तल्खी के बाद कोर्ट के दवाब में सरकार ने यह इस्तीफा स्वीकार किया है। बांगरे ने 12 सितंबर 2023 को अपनी सेवा से त्यागपत्र दिया था, लेकिन उसे स्वीकार करने में राज्य सरकार ने करीब सवा महीने लगा दिये। 23 अक्टूबर देर रात सरकार ने इस्तीफा मंजूर किया, लेकिन यह पत्र मंगलवार को सामने आया। आपको बता दें कि अपना इस्तीफा स्वीकार करवाने के लिए निशा को बैतूल जिले के आमला से राजधानी भोपाल तक पद यात्रा भी निकालनी पड़ी थी। उनके खिलाफ चल रही विभागीय जांच के आरोपों को उन्होंने स्वीकार भी कर लिया, इसके आधार पर सरकार ने उनकी जांच समाप्त कर दी। लेकिन आगे निशा के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई जारी रह सकती है। यही कारण है कि अब कांग्रेस पेशोपेश में पड़ गई है कि अगर निशा को आमला से टिकट दिया तो कहीं बाद में वह मुसीबत का कारण न बन जाएं। हालांकि आपको बता दें एक दिन पहले ही कांग्रेस वहां से मनोज मालवे को मैदान में उतार चुकी है। वे पिछले बार भाजपा प्रत्याशी से हार गए थे। गौरतलब है कि पिछले दिनों जब वे आमला से पैदल यात्रा करके भोपाल पहुंची थी तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर सेंट्रल जेल भेज दिया था। मामले के तूल पकड़ने के बाद कांग्रेस भी निशा के पक्ष में उतर गई थी। निशा बांगरे का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के पालन में निशा बांगरे का त्यागपत्र मध्य प्रदेश शासन ने स्वीकार कर लिया है। तन्खा ने आगे लिखा है कि अब निशा को अपने आगे के रास्ते के बारे में सोचना पड़ेगा।
आपको बता दें कि अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाली निशा बैतूल (Betul) जिले की आमला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं। उनके इस्तीफा देने की वजह भी यही थी। वे आमला में पदस्थ भी रह चुकी हैं। तभी से उन्होंने वहां राजनीति की फिल्डिंग जमानी शुरू कर दी थी। आमला एससी बहुल वोटर वाली सीट है, यहां बौद्ध धर्म को मानने वाले भी बहुतायत में हैं। जमीन में अच्छी जमीनी पैठ को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ (Kamal nath) ने निशा को वहां से कांग्रेस का टिकट देने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद ही निशा ने इस्तीफा दे दिया था। मध्य प्रदेश सरकार को यह जानकारी पहले से ही थी कि निशा आमला से चुनाव लड़ सकती हैं, इस वजह से सरकार ने निशा की विभागीय जांच शुरू करवा दी थी। जांच का हवाला देकर इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा रहा था। सरकार चाहती थी कि नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर तक इस्तीफा रोक लिया जाये तो निशा चुनाव के लिए नामांकन नहीं भर पाएंगी, लेकिन हाई कोर्ट ने सरकार से 23 अक्टूबर पर इस्तीफा पर निर्णय लेने के आदेश दिये थे। 27 तारीख को सरकार को कोर्ट में इस्तीफे पर जवाब प्रस्तुत करना है। बीच, चुनाव किसी विवाद से बचते हुए सरकार ने उनका इस्तीफा मंजूर करने में ही बेहतरी समझी। आपको बता दें कि इस्तीफा मंजूर न होने की दशा को देखते हुए कांग्रेस ने सोमवार को ही आमला से मनोज मालवे (Manoj Malve) को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। हालांकि बताया जा रहा है कि मनोज से कहा गया है कि अगर निशा का इस्तीफा मंजूर होता है, तो उन्हें यह टिकट छोड़नी होगी। लेकिन कांग्रेस उन्हें टिकट देगी, इस पर अब संशय के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि निशा ने विभागीय जांच में अपने आरोपों को स्वीकार कर लिया है, इसके अधार पर उन पर आगे मामले दर्ज करवाये जा सकते हैं।