- सभी फैक्ट्रियां उरला-सिलतरा की हैं, इसलिए जांच में पुलिस को भी शामिल कर किया गया
- जिस बिचौलिए के जरिए गिरोह ने कारखानों में पटरियां बेची थीं, उसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया
Dainik Bhaskar
Feb 18, 2020, 08:56 AM IST
रायपुर. रेल पटरियों की चोरी में पकड़े गए गैंगस्टर विनोद मराठा ने खुलासा किया है कि मंदिरहसौद के आसपास से जो 359 पटरियां उसके गिरोह ने चुराई थीं, उन्हें रायपुर की ही 13 फैक्ट्रियों में बेचा गया। आरोपी ने सभी फैक्ट्रियों के नाम भी बताए हैं, जिनमें कुछ बड़े संयंत्र हैं। सभी फैक्ट्रियां उरला-सिलतरा की हैं, इसलिए जांच में उरला और सिलतरा पुलिस को भी शामिल कर लिया गया है। सभी जगह जांच शुरू की जाने वाली है। इस बीच, पता चला है कि जिस बिचौलिए के जरिए गिरोह ने कारखानों में पटरियां बेची थीं, उसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। हालांकि छापेमारी शुरू होने की वजह से इस मामले में अफसर चुप्पी साधे हुए हैं।
बालाघाट-नैनपुर-जबलपुर रेल रूट में 900 मीटर पटरी चोरी में आरपीएफ नागपुर ने हाल में रेलवे के गैंगस्टर विनोद राज चौहान उर्फ विनोद मराठा को गिरफ्तार किया था। उससे रायपुर पुलिस पहले भी पूछताछ कर चुकी थी, अब दो िदन के लिए उसे रिमांड पर रायपुर लाया गया है। अफसरों ने दावा किया कि वनोद ने मंदिरहसौद में 359 पटरियां चुराने की बात कबूल करते हुए यहां की 13 फैक्ट्रियों के नाम दिए हैं जहां पटरियां बेची गईं। पता चला है कि इनमें से कुछ में पुलिस ने देर रात जांच भी की है।
राजधानी पुलिस ने बनाई अलग जांच टीम
पटरी चोरी मामले में एसएसपी आरिफ शेख ने जांच के लिए स्पेशल टीम बनाई है, जिसमें सीएसपी अभिषेक महेश्वरी समेत मंदिरहसौद, खमतराई, उरला और धरसींवा के थाना प्रभारियों को रखा गया है। स्पेशल टीम ने जांच भी शुरू कर दी है। उरला-सिलतरा के आधा दर्जन फैक्ट्रियों में छापा मारने की चर्चा है, जिनका संबंध पटरी चोरी करने वाले गिरोह से है। पुलिस ने फैक्ट्री प्रबंधन से जुड़े कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही है। आरपीएफ ने पटरी चोरी मामले की जांच रिपोर्ट में मंदिरहसौद में हुई वारदात का उल्लेख तक नहीं किया है। जबकि आरोपी ने बताया कि उसके लोगों ने मंदिरहसौद से पटरियां चुराकर अलग-अलग 10 ट्रकों में इन्हें औद्योगिक क्षेत्र में भेजा। ऐसे में आरपीएफ की कार्यशैली पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। गौरतलब है, विनोद मराठा से पूछताछ से पहले तक आरपीएफ ने मंदिरहसौद मामले में एफआईआर तक नहीं की थी। इस बीच, मंदिरहसौद पुलिस ने दावा किया कि मंगलवार को इस मामले में बड़े खुलासे हो सकते हैं। रायपुर-दुर्ग से मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र तक पटरी चोरों का गिरोह सक्रिय है। हमेशा चर्चा रहती है कि इसमें सरकारी अमले की मिलीभगत भी है। इस गिरोह के सरगना विनोद को आरपीएफ कई बार गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन सबूत के अभाव में छूट जाता है। इसलिए इस बार जांच का दायरा विस्तृत कर दिया गया है। नागपुर मंडल के सुरक्षा आयुक्त आशुतोष पांडेय के मुताबिक जिस बिचौलिए के माध्यम से पटरी को फैक्ट्री तक पहुंचाया जाता है, उस तक पुलिस पहुंच गई है और जल्द कार्रवाई शुरू होने वाली है।
फैक्ट्रियों की जांच शुरू कर्मचारियों से पूछताछ
उरला-सिलतरा के 13 प्रतिष्ठानों के नाम आते ही पुलिस की विशेष टीम सोमवार से ही हरकत में आई। फैक्ट्रियों की जांच शुरू हुई है। अधिकतर संचालक फिलहाल पकड़ से बाहर हैं। पुलिस ने फैक्ट्रियों के मैनेजर व कर्मियों से पूछताछ की। पटरी चोरी का यह सिलसिला सालों से चल रहा है, लेकिन रेलवे सुरक्षा बल आरपीएफ को बड़ी सफलता नहीं मिल सकी है। अब लोकल पुलिस द्वारा इस मामले में पड़ने पर कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है। मिली भगत से ही पटरी चोरी करने का खेल चल रहा है।
जब्त लोहे का प्रमाणीकरण कठिन, उलझा आरपीएफ
अारपीएफ ने एक फैक्ट्री से 505 टन लोहा जब्त किया था, लेकिन प्रमाणित नहीं किया जा सका कि यह बालाघाट-नैनपुर-जबलपुर रेल रूट से चोरी हुई पटरियों को गलाकर बनाया गया था। इसके अलावा 13.680 टन पटरी भी आरपीएफ टीम द्वारा जब्त की गई है। जब्त की पटरी व लोहे के बिलेट की जांच इसे गलाकर की जाएगी। यदि इसमें पटरी का मटेरियल मिलता है, तो ही जांच आगे बढ़ेगी अन्यथा पूरा माल फैक्ट्री संचालक को लौटाना होगा। 10 फरवरी को फैक्ट्री संचालकों ने आरपीएफ के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत कर दिया है।
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