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Thursday, December 25, 2025
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agricultural practice farmer having less income are more hard labor special article– News18 Hindi

छत्तीसगढ़ दसकों पहिली धान के कोठी रिहिस. गाँव-गाँव म हर किसान के घर धान रखे बर कोठी राहय. छोटे किसान के छोटे कोठी, बड़े किसान के बड़े कोठी. आगे चल के धान के कोठी ह धान के कटोरा होगे. बइला-गाड़ी, खासर, नांगर-बक्खर अउ सुंदर-सुंदर बैल जोड़ी, दउरी के जुग, ओ बेलन के धान मिंजाई ,बइला के गला म बंधाय घाँघरा, घंटी-घंटा, ओ रात भर जगाई, रास-दाब, अन्न देवता के पूजा-पाठ, मालिक-नौकर मन के संगे संग चिला-फरा के आनंद. सुरता भर रहिगे. अब मशीन सब पचोवत हे. खेती-किसानी म वैज्ञानिक सुविधा बाढ़गे. रासायनिक खाद छत्तीसगढ़ के सुगंधित धान के खेती ल करीब-करीब खा गे. जवां-फूल, विष्णु-भोग, जीरा फूल, बासमती, तरूण-भोग आदि धान के खेती नंदाय-नंदाय कस होगे हे. कम कमई, जादा मिहनत के सेती सुगन्धित धान के खेती ले किसान दुरिहागें हें. छत्तीसगढ़ के धान कभू अमेरिका, इंग्लैण्ड, दुबई, सउदी अरब जाय अब पैदावारी बहुत घटगे, गुणवत्ता गिरगे. सुगन्धित धान के पैदावारी नहीं के बरोबर होगे. मोटा अनाज के पैदावारी म अच्छा पइसा मिलत हे. किसान अउ खेतिहर मजदूर मन के बीच म अब मशीनी खेती आगे. मशीन न विचार जाने, न भावना. न मालिक, न नौकर चुपचाप ओखर अनुसार खेती करो. अब परेम अउ गाँव-गंवई के नता-गोता घलो मशीन लिलत हे. इही समे के बदलाव होवत जात हे.

कोचिया मन के चलती राहय

पहिली गाँव म बड़े-छोटे कोचिया मन के एकछत्र राज राहय. जरूरत के समे किसान ल बीज अउ रूपिया पइसा उनकर ले तुरत उधार मिल जाय. गाँव म दशकों तक कोचिया राज चलिस. कोचिया धान मोल लेय. बाढी-डेढ़ा देंय. मंडी म घलो कोचिया मन के चलती राहय. अब त धान सरकार खरीदी करथे. बियाजू पइसा देवइया मन सबे जगा छाय राहंय. ये ह वो समे के बात आय जब सरकारी बैंक नइ रिहिस. अनाज के बदला अनाज बदले जाय. किसान अनाज दे के कोनो जिनिस लेय. बिजहा धान, गहूं, चना, उरीद, मूंग, अरसी, राहेर आदि के बीजा राखे राहंय.

देश कृतज्ञ हे अन्नदाता

बड़े किसान मन के बोलबाला राहय. पोक्खा मनखे मन बियाज म पइसा के लेन-देन के धंधा करें. छोटे किसान गौंटिया के घर रोजी मंजूरी, नौकरी करें. मालिक सब मन उप्पर भारी परे. धान बोवई, परहा लगई, निंदई ,कोड़ई. लुवई, फसल कटई, उचित भाव म बेचइ, कोठी म अनाज के भंडारन उनकर माई बुता म गिने जाय. कोठी म चार-पांच साल के जुन्ना धान रखे जाय. सरकार जब ले धान खरीदी करत हे तब ले धन के कोठी म भंडारन कम होगे हे. सरकार न्यूनतम कीमत म धान खरीदी कर लेथे. करजा माफ़ करे लगे हे. केंद्र अउ राज्य सरकार किसान के खाता म सीधा पइसा जमा कर देथे.राज्य सरकार गोबर ले के पइसा देवत हे. खेती-किसानी के वैज्ञानिक तौर-तरीका आ गे. किसान जादा पइसा देवइया दलहन, तिलहन के फसल लेना शुरू कर दे हें. अब किसान मन के हालत म पहिली ले जादा सुधार हे. अन्न्दाता किसान के प्रति देश कृतज्ञ हे.

अतियाचार खतम होइस

पहिली नौकर चाकर मन गाय-गरू, बइला, भंइसा के देख रेख, नहवई-धोव्ई सब बुता करें. इही करत-करत कब दिन पहा जाय पता नई चले. माई-लोगन घर-दुआर, छेरा-छिंटा करयं. पानी भरंय. कतको मालिक भगवान बरोबर उदार होंय. कतको झन मक्खी चूस. चमड़ी जाय फेर दमड़ी झन जाय वाले राहंय. उधारी बाढ़ी वसूले बर हर दरजा के नीचता म उतर जाँय. नौकर अउ मालिक के बीच म विश्वास भरपूर होय. कतको झन गरीब किसान के बूँद-बूँद खून चूस ले. खूब अतियाचार करें. रास-दाब म रखे अनाज ल उठवा लेंय. कतको झन अतेक निर्दयी राहें के खेत के खड़े फसल ल लूवा के अपन घर ले जाँय. घर के खेती, खार लोटा, थारी, कोपरा, गिलास, बटलोही अउ किसम-किसम के जेवर रहन(गाहना धरना) म रखे बर मजबूर हो जाँय. गरीबी म परिवार पालना अउ खेती करना कठिन होय. ये दसकों पहिली के बात आय. गरीब कतको दिन ले भूखन-लाँघन रही जाँय. अब सरकार ओ दिन ल बिदा कर दिस. खेती अपन सेती होथे. मजबूरी बुरा दिन देखाथे. खेत के खेत अधिया, रेगहा देवा जाय. छोटे किसान ,खेतिहर मजदूर मन के भूखों मरे के दिन आय. कतको झन घोंटो पी के राहंय.

लइका मन अभाव म पढ़ें ,आघू बढ़ें

माटी के बर्तन म भात रंधाय. चूरे चाउर ल पसाय के पसिया निकालें, भात बने. छत्तीसगढ़िया मन रोटी कम भात जादा खाथें. चीला, फरा, अंगाकर रोटी हरियर मिर्चा, हरियर धनिया के ममहावत पताल के चटनी, मिर्चा लसून के चटनी .गोंदली के संग सुक्खा भात, बोरे, बासी खवा जाय. गरीबी म पसिया घलो नोहर लागे. पसिया (माड़) मिले त गटगट ले एके साँस म पिया जाय. बासी/पसिया खा-पी के नाचत-कूदत लइका मन स्कूल जाँय-आँय. एमा पांच-दस मील के दूरिहा जनाबे नइ करे. लइका मन खूब खेलें-कूदें अउ बुलंद हो जाँय. मन भर पढ़ें. एके-दुए ठन कपड़ा म साल बीत जाय. गोली वाले सियाही पानी म घुर जाय.एक दवाद होय. टांक म बोर-बोर के लिखे जाय. महीनों चले. स्लेट-पट्टी, कलम मिडिल स्कूल तक चल जाय. एक ठन राजा पेंन के जमाना रिहिस जे ह आदरपूर्वक कम से कम पांच साल चले. टाटपट्टी म बइठ के पढ़ई करें. भेंगरा(भृंगराज) अउ कोयला से लकड़ी के तख्ता पोछे जाय. हर स्कूल म सुंदर बागवानी शोभा पांय. न नौकर न चाकर विद्यार्थी बागवानी सजाएं. सुंदर-सुंदर कार्यक्रम होय. तइहा के दिन ल बइहा ले गे.

अब सुविधा बाढ़गे

अब त स्कूल म फोकट म बहुत अकन सुविधा मिलत हे. पहिली सरकार डाहर ले कुछु सुविधा नइ मिले. कोनो-कोनो लइका तिर साइकिल राहय. जेखर तीर साधन के दुकाल होय तेंन रेंगत-रेंगत पयडगरी रद्दा,खेत के मेंड़ सड़क होत स्कूल पढ़े बर जाँय, पानी बरसे चाहे बिजली कड़के. नदिया म पूर हो चाहे न हो . कोनो ल नाव मिल जाय त कखरो भाग म वहू नइ राहय. तउर के नदिया पार करें. तउर के लहुटें दाई-ददा मन ल स्कूल अउ लइका मन उपर पूरा विश्वास राहय. न ओंन फोन ,न मोबाइल. कापी-किताब, स्कूल ड्रेस के दुकाल बने राहय. एक किताब ह कम से कम पांच साल चले. नवा किताब कक्षा म देखउनी हो जाय. एक साल के जुन्ना किताब दु साल ले आधा दाम म बिके, ओखर बाद किताब के दाम एक चौथाई हो जाय अउ दु साल ले चले. किताब के कागज बने राहय. सब लइका मन जिल्द लगा-लगा के पढ़ें. अब जर्जर कागज के किताब ल एक साल तक चला पाना कठिन हो जथे. एमा कमई के बाजार मिंझरागे हे न !! स्कूल म चार आना के कापी बर बीस ले चालीस बार उठक-बइठक करे बर लागे. पालक मन गुरूजी उपर पूरा भरोसा करें. सजा के शिकायत नइ होय. लइका मन ल सहनशीलता अउ अनुशासन के व्यवहारिक शिक्षा मिले. अब गुनीजन अगुनी बना दे गे हें. शिक्षा के पूरा कपाल किरिया होगे हे.

कतको गरीब लइका मन तिर साल के आख़िरी तक किताब के रोना राहय. पढ़इ डट के होय. लइका मन डट के पढ़ें-लिखें. विद्या हासिल करे बर खूब पियास राहे. स्कूल राजनीति के अखाड़ा नइ होय. लोगन कहें राजनीति ल स्कूल -गेट के बाहिर रखो. गाँव-सहर म सब मिलजुल के स्कूली समस्या ल हल करें. बड़े-बड़े निर्माण कार्य जन-सहयोग से हो जाय. पढ़ई अउ खेल दुनो खूब होय. अब सरकारी स्कूल सरकार के डाकिया बन गे हे. बहुउद्देशीय संस्था हो गे हे.

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