Saturday, April 20, 2024
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Amit Shahs advice to Haryana government after Karnal violence- Avoid programs in support of farmers law – करनाल हिंसा के बाद हरियाणा सरकार को अमित शाह की सलाह- कृषि कानूनों के समर्थन में कार्यक्रम करने से बचा जाए

करनाल हिंसा के बाद हरियाणा सरकार को अमित शाह की सलाह- कृषि कानूनों के समर्थन में कार्यक्रम करने से बचा जाए

गृहमंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)

चंडीगढ़:

गृहमंत्री अमित शाह ने हरियाणा सरकार को सलाह दी है कि वह कृषि कानूनों के समर्थन में कार्यक्रम करने से बचे. हरियाणा के शिक्षा मंत्री, कंवर पाल गुर्जर ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि गृह मंत्री ने कहा है कि अगली सूचना तक कार्यक्रम को रोक दिया जाए. अमित शाह कि तरफ से यह सलाह  करनाल के निकट एक गांव में हुए घटना के बाद सामने आया है.मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को करनाल के निकट एक गांव में एक बैठक रद्द करने के लिए मजबूर  होना पड़ा था.

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गुर्जर ने कहा, “करनाल में जो कुछ हुआ, उसके बाद गृह मंत्री ने सरकार को सलाह दी है कि वो किसानों के साथ टकराव को ना बढ़ाए.” साथ ही हरियाणा सरकार के मंत्री ने किसानों पर भी निशाना साधा और कहा कि पूरे राज्य ने देखा कि रविवार को किसानों ने कैसे व्यवहार किया, जब मुख्यमंत्री खट्टर एक सभा को संबोधित करने वाले थे.मोबाइल फोन फुटेज में किसानों को मंच पर उत्पात मचाते हुए देखा जा सकता है. किसानों ने पोस्टर और बैनर फाड़ दिए और मंच की कुर्सियों को भी ​​फेंक दिया. मुख्यमंत्री को बिना उतरे वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

उस दिन पहले सैकड़ों लोग एक टोल प्लाजा के सामने इकट्ठे हुए थे, जहां उन्हें पुलिस ने रोक दिया था. हालांकि आंसू गैस और लाठी चार्ज के बावजूद, वे बैरिकेड्स को तोड़ने और घटना स्थल तक पहुंचने में कामयाब रहे थे.मुख्यमंत्री ने बाद में मीडिया को बताया था कि करीब 5,000 लोग मेरे आने और बोलने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. विरोध के मद्देनजर, मैंने चॉपर को वापस लौटने को कहा क्योंकि मैं कानून और व्यवस्था की स्थिति को खराब नहीं करना चाहता था.घटना के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा था “किसान कभी इस तरह का व्यवहार नहीं करते हैं”

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गुर्जर ने आज कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने भी सभा को संबोधित नहीं करने के हरियाणा के मुख्यमंत्री के फैसले की सराहना की है जिससे कि मामला अधिक नहीं खराब हो पाया. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन से उत्पन्न स्थिति का समाधान खोजने के प्रयास में तीनों विवादास्पद कानूनों के अमल पर रोक लगाने के साथ ही किसानों की शंकाओं और शिकायतों पर विचार के लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है.

कोर्ट ने हरसिमरत मान, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ प्रमोद कुमार जोशी (पूर्व निदेशक राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन), अनिल धनवत के नाम कमेटी के सदस्य के तौर पर सुझाए हैं. बहरहाल, किसान नेताओं ने कहा है कि SC की तरफ से नियुक्त किसी भी समिति के समक्ष वे किसी भी कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेना चाहते. 


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