ढाका: कोरोना महामारी (Corona Virus) के खतरे के बावजूद बांग्लादेश ने लॉकडाउन (Lockdown) खत्म कर दिया है और लाखों लोग काम पर लौट आए हैं. घनी आबादी वाले बांग्लादेश के इस कदम से संक्रमण के तेजी से फैलने की आशंका बढ़ गई है. स्वास्थ्य विभाग की प्रवक्ता नसीमा सुल्ताना (Nasima Sultana) ने बताया कि रविवार से लॉकडाउन हटा दिया गया है और हम सामान्य जनजीवन की ओर लौट रहे हैं. हालांकि, काम पर वापस आने वालों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की सलाह दी जा रही है.
बांग्लादेश ने हाल ही में कोरोना से लड़ाई के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से आपातकालीन महामारी ऋण लिया है. ऐसे में कोरोना की रोकथाम के लिए उपाय किए जाने चाहिए थे, लेकिन सरकार ने लॉकडाउन हटाकर खतरे को फिर से निमंत्रण दे दिया है. रविवार को यहां 2,545 नए मामले और 40 मौतें दर्ज की गईं, जो प्रतिदिन के आंकड़े के हिसाब से सबसे ज्यादा हैं. लॉकडाउन हटाने जाने की घोषणा के साथ ही भीड़-भाड़ वाली राजधानी ढाका में सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. काम पर लौटने के लिए लोग भारी संख्या में लोग अपने घरों से बाहर निकले, ट्रेनों में पैर रखने तक के जगह नहीं थी.
सरकारी आंकड़ों से ज्यादा है संख्या
कोरोना पर नियंत्रण के लिए 26 मार्च को लगाए गए प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील दी जा रही है. केवल शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. 168 मिलियन की आबादी वाले देश में संक्रमण के 47,151 मामले सामने आये हैं और 650 मौतें हुई हैं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश पर्याप्त टेस्ट नहीं कर रहा है और यहां प्रभावितों की संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा है.
मिली-जुली प्रतिक्रिया
सरकार के इस फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. बैंकर बदरुल इस्लाम ने AFP से बातचीत में कहा, ‘ऑफिस पहुंचने पर मैंने भीड़ से बचने की कोशिश की, लेकिन ढाका के फुटपाथों पर चलते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना असंभव है’. लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित हुए श्रमिकों ने फैसले का स्वागत किया है.
58 वर्षीय मजदूर तोता मिया ने कहा, ‘पिछले दो महीनों में मुझे शायद ही कभी भरपेट भोजन मिला हो. अब जब लॉकडाउन हट गया है तो कमाकर अपना पेटभर सकूंगा’. हालांकि, ढाका में बैंक के बाहर लाइन में लगे एक व्यक्ति के मुताबिक, लॉकडाउन हटाना आत्मघाती कदम है. वहीं, प्रमुख बांग्लादेश थिंक टैंक ‘नीति अनुसंधान संस्थान’ के कार्यकारी निदेशक अहसान एच. मंसूर ने भी सरकार के फैसले पर चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि आने वाले हफ्तों में संक्रमण और इससे जुड़ी मौतों में बहुत वृद्धि हो सकती है.
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