धमतरी (छत्तीसगढ़): भले ही दुनिया में सात अजूबे हों, लेकिन छत्तीसगढ़ के धमतरी में स्थित माडमसिल्ली बांध को आठवां अजूबा कहा जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। महानदी की सहायक सिलियारी नदी पर बना एशिया का यह इकलौता बांध केवल एक बांध नहीं, बल्कि विज्ञान का एक अद्भुत नमूना भी है।
सदियों से लगातार काम करते इसके साइफन सिस्टम आज भी भौतिकी के सिद्धांत की सटीकता की गवाही देते हैं, जहां पानी हवा के दबाव से खुद ब खुद नियंत्रित होता है।बेमिसाल मजबूती और तकनीक की यह मिसाल पिछले सौ सालों से पर्यटकों और शोधकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। हालांकि, आमतौर पर बारिश के मौसम में साइफन खुलते ही पर्यटकों का तांता लग जाता है, लेकिन इस भीषण गर्मी में यह बांध पूरी तरह सूख चुका है। 5 टीएमसी (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) क्षमता वाले इस बांध में पानी की मात्रा अभी ‘ज़ीरो’ पर है।
निर्माण और विशेषताएँ:
धमतरी से लगभग 30 किलोमीटर दूर यह स्थान इतिहास, विज्ञान और कुदरत का एक हसीन नज़ारा है, जिसे दुनिया माडमसिल्ली के नाम से जानती है। यह उस कल्पना और जुनून की बनावट है जिसे 1905 में इंग्लैंड के मैनचेस्टर शहर में मैडमसिल्ली ने देखा था। 1914 में इसका निर्माण शुरू हुआ और 1923 में यह बांध बनकर तैयार हो गया। इसकी खासियत यह है कि बिना सीमेंट और लोहे के इस्तेमाल के यह डैम तैयार हुआ है।एक सदी से अधिक समय बीत चुका है,
लेकिन एशिया का यह इकलौता साइफन सिस्टम बांध अपनी जिम्मेदारी से नहीं चूका है। बारिश के दिनों में जब यह बांध पूरी तरह भर जाता है, तो इसके 34 साइफन होल्स बारी-बारी से काम करना शुरू कर देते हैं। हैरानी की बात यह है कि इसमें इंच भर का भी फर्क नहीं होता और न ही रत्ती भर की देरी। जानकारों का मानना है कि यह बांध विज्ञान के सिद्धांतों की मुकम्मल तौर पर पैरवी करता है।
वर्तमान स्थिति और मरम्मत:
माडमसिल्ली डैम के अधिकारी शेषनारायण मितलेश के अनुसार, 5 टीएमसी वाले इस बांध में पानी की मात्रा शून्य है। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में बारिश को देखते हुए डैम के गेटों की मरम्मत कराई जा रही है, जिसके कारण बांध के पानी को खाली कराया गया है। इस बांध में 3 मैनुअल गेट और 34 साइफन सिस्टम गेट हैं, जिनमें बारिश के मौसम में पानी का स्तर आने पर वे स्वचालित रूप से खुल जाते हैं।यह साइफन सिस्टम बांध आज भी एशिया में इकलौता होने पर इतरा रहा है, क्योंकि इसके गेट किसी इंसान से नहीं, बल्कि हवा के दबाव से खुद ही खुलते और बंद होते रहते हैं। यही वजह है कि मौजूदा पीढ़ी के लिए यह साइफन सिस्टम बांध अध्ययन और शोध का केंद्र है।
पर्यटकों का आकर्षण:
हर बार मानसून के बाद धमतरी का यह बांध एक सजी-संवरी दुल्हन की तरह अपने कद्रदानों का इंतजार करता है। चारों ओर दिखता पानी का समंदर और हरी-भरी घाटियों की माला पर्यटकों को दूर-दराज से आने पर मजबूर कर देती है। खूबसूरत गार्डन के बीच सुकून भरे लम्हे बिताने के लिए लोगों का मेला लगा रहता है। उदय राम यादव जैसे सैलानी भी यहां के तनाव भरी जिंदगी से दूर बिताए पलों को हमेशा याद रखने की बात करते हैं। देश-विदेश से भी सैलानी इस बांध को देखने के लिए पहुंचते हैं।
बहरहाल, माडमसिल्ली की पत्थरें भले ही बेजान लगती हों, लेकिन अतीत के झरोखे में झांकने पर मानो बोल उठती हैं, “मैं महज एक आम बांध नहीं हूं, मेरे संग इस बुनियाद में छिपे हैं इतिहास के कई अनछुए पहलू, जो मेरी बनावट, मजबूती और एक जुनून की दास्तान हैं। यही वजह है कि 101 सावन देखने के बाद भी मुझमें वो ताकत है कि आने वाली कई पीढ़ियों को यह सब सुना सकूं।”