भोपाल। आज भोपाल के लिए गौरव के क्षण हैं। 1 जून गुरूवार को पूरा शहर भोपाल का गौरव दिवस मनाने के लिए ललायित दिख रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शाम को मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में शाम 6 बजे भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ गौरव दिवस समारोह का शुभारंभ करेंगे। आपको बता दें कि 1 जून 1949 को भोपाल रियासत का विलीनीकरण भारत गणराज्य में हुआ था। इससे पहले बुधवार को मुख्यमंत्री ने भोपाल गौरव दिवस दौड़ का शुभारंभ फ्लैग ऑफ करके किया। इस तरह से झीलों की नगरी भोपाल में 4 जून तक चलने वाले गौरव दिवस कार्यक्रमों की श्रंखला शुरू हो गई है। समारोह में कला, संस्कृति, फूड स्टॉल और खेलों से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम होंगे। गुरूवार शाम के इस समारोह में कला, संस्कृति, फूड स्टॉल और खेलों से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम होंगे। मुख्य आकर्षण बॉलीवुड प्लेबैक सिंगर श्रेया घोषाल, गीतकार मनोज मुतंशिर, कॉमेडियन कृष्णा अभिषेक और सुदेश लहरी की प्रस्तुति होगी। पहली बार लेजर-शो से भोपाल के मनोरम दृश्यों और विलीनीकरण से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेजों का प्रदर्शन किया जायेगा। इससे पहले बुधवार को मुख्यमंत्री ने भोपाल गौरव दिवस दौड़ का शुभारंभ फ्लैग ऑफ करके किया। भोपाल गौरव दिवस की शाम ऐतिहासिक होगी। सांस्कृतिक प्रस्तुति में कथक और राजस्थानी लोक-नृत्य का अनूठा फ्यूजन देखने को मिलेगा। नृत्य गुरू समीक्षा शर्मा और सहयोगी कलाकारों द्वारा ’महाकाल संस्तुति’ की प्रस्तुति होगी। इसके बाद लेजर-शो में भोपाल के प्रसिद्ध स्थलों और विलीनीकरण के महत्वपूर्ण दस्तावेजों को थ्रीडी रूप में दिखाया जाएगा। कृष्णा-सुदेश की कॉमेडी होगी। गीतकार मनोज मुंतशिर, राजा भोज के शासन काल से लेकर एक जून 1949 को भोपाल के विलीनीकरण और वर्तमान में स्वच्छता एवं प्राकृतिक सुंदरता से प्रसिद्धि पा रहे भोपाल की कहानी को अपने शब्दों में सुनायेंगे। इसके बाद बॉलीवुड गायिका श्रेया घोषाल के सुरों से भोपाल गूँज उठेगा, वे करीब 2 घंटे की लाइव प्रस्तुति देंगी। गौरव दिवस पर नगर निगम की ओर से जुमेराती से विशेष शोभा-यात्रा भी निकाली जायेगी। शहर के सभी 85 वार्ड के सफाई कर्मचारियों को सम्मानित किया जायेगा।
ऐसा रहा भोपाल का इतिहास
आपको बता दें कि देश भले ही 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया हो, लेकिन भोपाल तब भी नवाबों का गुलाम था। तब देश में रियासतें खुद को अपना मालिक मानती थीं। देश को आजादी मिलने के बाद भी भोपाल नवाब ने इसका भारत में विलय नहीं किया। इसके बाद भोपाल की जनता ने आंदोलन शुरू किया। नवाबों को घुटने टेकने के लिए मजबूर करने के लिए बड़ा आंदोलन हुआ। 10 हजार से अधिक लोग आंदोलन में शामिल हुए। 12 से अधिक युवाओं ने अपनी जान गवाई। नवाब ने खुली और बंद जेलों में हजारों लोगों को बंद किया। लेकिन आंदोलन चलते रहा। देश की आजादी के 659 दिन बाद 1 जून को भोपाल रियासत का भारत में विलय हुआ। विलीनीकरण के तीन मुख्य चेहरों में हिन्दु महासभा के नेता वैद्य भाई उद्धवदास मेहता, पूर्व राष्ट्रपति व कांग्रेस नेता डॉ. शंकरदयाल शर्मा और पत्रकार व समाज सेवी भाई रतन कुमार शामिल थे। रतन कुमार के बेटे डॉ. आलोक गुप्ता विलीनीकरण को लेकर कई यांदें संजोये हुए हैं।