धमतरी, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के धमतरी में सर्व आदिवासी समाज ने आदिवासियों की ज़मीन पर बड़े पैमाने पर फ़र्ज़ीवाड़े का आरोप लगाया है। समाज का दावा है कि एक षडयंत्रकारी गिरोह, जिसमें कथित तौर पर तत्कालीन कलेक्टर और राजस्व विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं, ने मिलकर आदिवासियों को उनकी ज़मीन से बेदख़ल किया है। समाज के सदस्यों ने धमतरी कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की।

सौ से ज़्यादा आदिवासियों की ज़मीनें हुईं अवैध प्लाटिंग का शिकार
सर्व आदिवासी समाज का आरोप है कि पिछले कुछ ही सालों में ज़िले में तकरीबन 100 से ज़्यादा आदिवासियों की ज़मीनों को गैर-आदिवासियों द्वारा ख़रीद लिया गया है। इन ज़मीनों पर अवैध प्लाटिंग कर सरकारी नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जिससे आदिवासी कृषक भूमिहीन हो रहे हैं। समाज का कहना है कि इस पूरे गोरखधंधे में तत्कालीन कलेक्टर और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने सांठगांठ कर गलत आधारों पर नियम विरुद्ध विक्रय की अनुमति दी है।
“आदिवासी की पहचान उसकी ज़मीन से है”
समाज के पदाधिकारियों ने कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में बताया कि धमतरी ज़िला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहां आदिवासी कृषकों की भूमि भी है। हालांकि, क्षेत्र के कुछ ज़मीन दलाल अपने फ़ायदे के लिए आदिवासी कृषकों को बहला-फुसलाकर उनकी कृषि भूमियों को बेचने की अनुमति ले रहे हैं और फिर अवैध प्लाटिंग कर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
जीवराखन मरई, ज़िला अध्यक्ष, आदिवासी समाज धमतरी ने बताया कि देश के क़ानून में आदिवासियों की ज़मीन को गैर-आदिवासियों द्वारा ख़रीदने पर सख़्त रोक है। इसके बावजूद, धमतरी ज़िले में प्रभावशाली लोग अधिकारियों के साथ मिलकर बड़ी मात्रा में आदिवासियों की ज़मीन को फ़र्ज़ीवाड़े से ख़रीद रहे हैं। सूचना के अधिकार के तहत तीन साल (2021, 2022, 2023) का डेटा निकालने पर पता चला है कि 151 परिवारों की ज़मीनें सरकारी परमिशन लेकर गैर-आदिवासियों के नाम रजिस्ट्री हो चुकी हैं, जिससे ये आदिवासी परिवार भूमिहीन हो गए हैं।
नियमानुसार 5 एकड़ सिंचित या 10 एकड़ असिंचित भूमि शेष रहनी चाहिए
विनोद नागवंशी, प्रदेश सचिव, सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ ने बताया कि जिन आदिवासी भूमि स्वामियों को विक्रय की अनुमति दी गई है, उनके पास विक्रय के बाद 5 एकड़ सिंचित भूमि या 10 एकड़ असिंचित भूमि शेष बचना अनिवार्य है। लेकिन कई मामलों में देखा गया है कि इन आदिवासियों के खाते में निर्धारित भूमि से कम है या उनके पास कोई भूमि शेष नहीं बची है। नागवंशी ने आरोप लगाया कि धमतरी में एक गिरोह बनाकर आदिवासियों को उनकी ज़मीन से बेदख़ल करने का प्रयास चल रहा है, जिसमें पैसे के लेन-देन के साथ-साथ सरकारी सांठगांठ भी शामिल है। यह आदिवासियों की पहचान मिटाने की कोशिश है।
कलेक्टर ने जांच का आश्वासन दिया, समाज ने आंदोलन की चेतावनी दी
आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने धमतरी कलेक्टर से मांग की है कि आदिवासी भूमि स्वामी की भूमि को गैर-आदिवासी व्यक्ति को बेचने के लिए दी गई विक्रय अनुमति/आदेश को निरस्त किया जाए और दोषी अधिकारी-कर्मचारी के विरुद्ध कड़ी से कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाए। समाज ने कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल को भी ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की है। समाज ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे आंदोलन करेंगे।
इस संबंध में धमतरी कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने मामले की जांच करवा कर कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि शासन का स्पष्ट निर्देश है कि विक्रय के बाद 5 एकड़ का सिंचित रकबा होना चाहिए और वे तथ्यात्मक विवरण देखेंगे।
आगे क्या?
बहरहाल, आदिवासी समाज ने अपने किसानों के मामले में इस बड़े फ़र्ज़ीवाड़े का ख़ुलासा किया है और इसकी जांच की मांग की है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस फ़र्ज़ीवाड़े के मामले में कब जांच शुरू होती है और तत्कालीन कलेक्टर समेत राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के आरोप पर क्या कार्रवाई की जाती है। फ़िलहाल, इस खुलासे के बाद ज़मीन दलालों में हड़कंप मच गया है।